उत्तर प्रदेश में हिंसा (UP Violence) के आरोपियों पर बुलडोजर एक्शन (UP Bulldozer Action) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन दिन में हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. वहीं इस मामले में अब अगले हफ्ते कोर्ट में सुनवाई होगी.
'आपातकाल में भी ऐसा नहीं हुआ'
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह (CU Singh) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तोड़फोड़ का कारण यह बताया गया कि हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
वकील सीयू सिंह ने कहा कि बार-बार तोड़फोड़ की कार्रवाई हो रही है. यह चौंकाने वाला और भयावह है. ऐसा न तो आपातकाल के दौरान हुआ और न ही आजादी से पहले हुआ है.
इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट में कहा कि कई घर पिछले 20 साल से खड़े थे, जो कि आरोपियों के नहीं बल्कि उनके माता-पिता के नाम पर थे.
'कोई वैध इमारत नहीं गिराई गई'
उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कोर्ट में पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि जहांगीरपुरी तोड़फोड़ (Jahangirpuri Demolition) मामले में किसी भी प्रभावित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं की और इस मामले में भी ऐसा ही है. याचिका जमीयत-उलमा-ए-हिंद की ओर से दायर की गई है.
"हमने स्पष्ट किया कि कोई वैध ढांचा या इमारत नहीं गिराई गई है. हर किसी का अपना एजेंडा है. एक राजनीतिक दल ने याचिका दायर की है."तुषार मेहता, सॉलिसिटर जनरल
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जहांगीरपुरी इलाके में यह देखे बिना कार्रवाई हुई कि संपत्ति किस समुदाय के लोगों की है. ऐसी कार्रवाई नियत प्रक्रिया के साथ चल रही है और ताजा कार्रवाई भी उसी का एक उदाहरण है. कार्रवाई के दौरान नियमों का पालन किया जा रहा है.
सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए-SC
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को अपनी आपत्तियां दर्ज करने के लिए समय मिलेगा. हमें इस दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, वे भी समाज का हिस्सा हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि जब किसी को कोई शिकायत होती है तो उन्हें इसके समाधान का भी अधिकार है. इस तरह की तोड़फोड़ की कार्रवाई केवल नियमों के अनुसार हो सकते हैं. हम अगले सप्ताह मामले की सुनवाई करेंगे.
जस्टिस बोपन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिना नोटिस के डेमोलिशन की कार्रवाई की जा सकती और हम (SC) इसके प्रति सचेत हैं. याद रहे कि जहांगीरपुरी में चले बुलडोजर की सुनवाई के वक्त वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से पूरे देश में ऐसी किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी.
इसके जवाब में जस्टिस नागेश्वर राव ने इसका विरोध किया था. सुप्रीम कोर्ट की इस बात को लेकर आलोचना होती रही है कि जिन लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है, उनकी आपात स्थिति देखते हुए जरुरत मुताबिक कदम नहीं उठा रहा.
आज फिर सुप्रीम कोर्ट ने इतना तो जरूर कहा कि जिनके भी घर टूट रहे हैं वो भी इस समाज का हिस्सा हैं और कोई भी डेमोलिशन नियमों और कानूनों की अनदेखी करके नहीं की जानी चाहिए. बावजूद इसके आज फिर SC ने कोई अंतरिम आदेश पारित कर बुलडोजर एक्शन पर रोक नहीं लगाई. देखना होगा कि सुनवाई की अगली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट क्या स्टैंड लेता है.
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