उत्तर प्रदेश में लगातार कोरोना का संक्रमण गंभीर होता जा रहा है और तेजी के साथ आंकड़े बढ़ रहे हैं. वहीं सरकार दावा कर रही है कि सारी व्यवस्थाएं ठीक से काम कर रही हैं. लेकिन ग्राउंड से अस्पतालों और कोविड मरीजों जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वो डरावनी है. ये जमीनी हकीकत सरकार के दावों पर सवालिया निशान खड़ा कर रही हैं. कानपुर शहर में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं. कानपुर नगर में 1 अप्रैल को 103 कोरोना केस मिले थे, वहीं 18 अप्रैल को नए कोरोना केस की संख्या बढ़कर करीब 1839 हो गई. साफ है एकदम तेजी से कोरोना अटैक हुआ है.
डेली कोरोना केस- कानपुर नगर
18 अप्रैल - 1839 केस
17 अप्रैल - 1826 केस
16 अप्रैल - 1403 केस
15 अप्रैल - 1263 केस
14 अप्रैल - 1221 केस
13 अप्रैल - 1271 केस
12 अप्रैल - 716 केस
10 अप्रैल - 706 केस
5 अप्रैल- 208 केस
1 अप्रैल - 103 केस
आपको बताते हैं कानपुर में सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम के चरमराने की तीन कहानियां.
अस्पताल की सीढ़ियों पर पड़े मरीज, पूछने वाला कोई नहीं
कानपुर के काशीराम अस्पताल में कोरोना के मरीज जमीन और सीढ़ियों पर अस्पताल के चौखट पर पड़े नजर आए. उनके परिजन अधिकारियों और स्टाफ से गुहार लगाते रहे लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था. एक महिला मरीज कई घंटों तक सीढ़ियों पर लेटी रही और उसकी बेटी इलाज के लिए रोती रही. ये लोग सरकार को कोसते हुई नजर आए.
एक तस्वीर जिसमें एक बेटा अपने मां-बाप के इलाज के लिए 2 दिन से अस्पतालों के चक्कर काट रहा है लेकिन उसके संक्रमित मां-बाप को किसी अस्पताल में दाखिला नहीं मिला यहां तक अभी स्वास्थ्य विभाग से वह लेटर भी नहीं मिल सका जिससे उसे प्राइवेट अस्पताल में अपने मां-बाप के इलाज कराने की अनुमति मिल सके. ऐसे में जब स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 108 नंबर पर उसने अपनी समस्या को हल कराने के लिए बात की तो तकरीबन 3 घंटे बाद उसकी बात तो हुई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
ऐसे में यह लाचार बेटा किस तरह से अपने मां बाप का इलाज कराएगा और उन्हें कहां ले जाएगा यह उसे खुद नहीं समझ आ रहा. कैमरे पर इस तरह की तस्वीर देखकर सरकार भले ही संजीदा ना हो लेकिन इंसानियत जरूर जागती है .
कोरोना पॉजिटिव पिता को लेकर अस्पताल-अस्पताल भटकता रहा बेटा
कानपुर के बाबू पुरवा 40 दुकान निवासी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में निदेशक के पीए रंजन पाल सिंह 4 दिन से बीमार थे. 16 अप्रैल को बेटा कमलजीत सिंह पिता को लेकर नरोना चौराहा स्थित एक निजी अस्पताल ले गया. जांच में पता चला कि निरंजन कोरोना संक्रमित हैं. कमलजीत ने पिता निरंजन को भर्ती कराने के लिए बोला. उनका आरोप है कि चिकित्सकों ने भर्ती करने से मना कर दिया.
इसके बाद कमलजीत पिता को लेकर हैलट अस्पताल पहुंचा तो वहां भी चिकित्सकों ने बेड फुल होने की बात कही. यहां से सर्वोदय नगर और गोविंद नगर के निजी अस्पताल गया तो वहां भी जगह नहीं मिली. इसके बाद पनकी के निजी अस्पताल की ओर निकला. इसी दौरान जूही लाल पैलेस के सामने निरंजन ने दम तोड़ दिया. एंबुलेंस से उतरकर बेटा चीख-पुकार मचाने लगा. इसके बाद लोगों ने पुलिस को सूचना दी.
इस मामले में एडीएम सिटी अतुल कुमार सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है इसकी जांच करवाई जा रही है. जांच के बाद जिसका भी दोष होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. एडीएम अतुल कुमार ने बताया कि परिजनों ने अभी तक किसी प्रकार की कोई तहरीर नहीं दी है. जैसे ही तहरीर मिलेगी, उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.
इलाज के अभाव में महिला की जान चली गई
ये मामला हैलेट फ्यू ओपीडी के बाहर का है जहां इलाज के भाव मे महिला ने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि बर्रा इलाके की रहने वाली सरस्वती नाम की महिला की हालत बिगड़ी जिसके बाद उसके पति ब्रज किशोर ने महिला की कोविड जांच कराई जिसके बाद रिपोर्ट में महिला पॉजिटिव आ गई. इस दौरान पति उसे प्राइवेट अस्पताल ले गए जहां डॉक्टर ने लेने से मना कर दिया और डॉक्टरों ने हैलेट में जाने के लिए बोला इस दौरान वो फिर से एम्बुलेंस की तलाश में जुट गया.
इस दौरान एम्बुलेंस नही मिलने से महिला की और हालात खराब हो गई जिसके बाद पति किसी तरह पत्नी को हैलेट फ्यू ओपीडी लेकर पहुंचा और पत्नी को देखने के लिए बोला लेकिन वहां किसी ने महिला की ओर ध्यान नहीं दिया जिसके चलते थोड़ी ही देर में महिला की सांसे थम गई.
लेकिन सिस्टम का सितम देखिए कि महिला की मौत के बाद भी किसी को दया नहीं आई. स्टेचर तो दूर महिला को एक चादर तक नसीब हुई.
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