उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जिले में शुक्रवार, 14 जुलाई यानी जुमे की नमाज के समान नागरिकता कानून (UCC) के विरोध में जमीयत-ए-उलेमा हिंद ने मस्जिदों के बाहर एक बार कोड चस्पा किया. संगठन ने UCC का विरोध करते हुए लोगों से अपील की है कि लोग अपनी राय दें. जुम्मे की नमाज अदा करने के बाद लोगों ने अपने मोबाइल से बारकोड को स्कैन कर अपनी राय भी दी है.
समान नागरिक संहिता पर जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द के प्रदेश सचिव मौलाना कारी जाकिर हुसैन ने बताया कि
इस दौरान संगठन ने एक बार कोड जारी किया है और लोगों से अपील की है कि वह अपनी राय दें क्योंकि UCC मौजूदा वक्त में देश के लिए मुनासिब नही है. बारकोड के जरिए दी जा रही राय में है कि 'रिजेक्ट यूसीसी, नो यूसीसी' हम यूसीसी को स्वीकार नहीं करते क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है.
संगठन के प्रदेश सचिव कारी जाकिर हुसैन की मानें तो जुमे की नमाज के बाद जमीअत-उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने अपील की थी कि मुल्क की एकता, अमन और शांति के लिए जुम्मे के दिन यानी 14 जुलाई को यौमे दुआ के नाम से मनाया जाये. उन्होंने बताया कि नमाज के बाद मस्जिदों में देश की एकता व अखंडता के लिए दुआ हुई.
संविधान ने जहां हमें शरीयत के हिसाब से आजादी दी है, हम उसी शरीयत के हिसाब से जिंदगी गुजारेंगे. इसके अलावा जो आदिवासी हैं उनके लिए जो सुविधाएं हैं, उन पर भी कहीं ना कहीं असर पड़ रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि UCC पर लॉ कमीशन ने राय मांगी, तो हमने राय भेज दी और लोगों से अपील कर दी है कि इस पर अपनी राय दे दी जाए.
मस्जिदों में जुम्मे की नमाज अदा करने आए लोगों ने भी यूसीसी UUC के खिलाफ वोट करते हुए कहा है कि यह कानून लागू नहीं होना चाहिए.
नमाज अदा करने आए हुए आम व्यक्ति हाजी अंजुम कुरैशी ने बताया कि
हमने यह बारकोड स्कैन इसलिए किया है, कि हम यूसीसी कानून के खिलाफ हैं. कोड स्कैन करके राय देने से यह संदेश जाएगा कि देश में जो कानून थोपा जा रहा है, उसको ना लाया जाए. जो कानून देश में पहले से चले आ रहे हैं, उनको कायम रखा जाए.
स्थानीय नागरिक सूफी दिलनवाज ने कहा कि जो शरीयत है वह हमारा कानून है और जो हमारे सरकारे वजीरआना शरीयत लाए हैं उस पर ही हमें कायम रहना है क्योंकि यह बहुत जरूरी है. इसलिए हमने UCC के खिलाफ वोट किया है. यह लागू नहीं होना चाहिए और यह जरूरी ही नहीं है क्योंकि जो शरीयत है वही कायम रहेगी और शरीयत के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए.
(इनपुट- अमित सैनी)
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