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'लव जिहाद' केस ने किया कंगाल, एक मां मांग रही मदद

लव जिहाद के मामले में अपने किशोर बेटे की गिरफ्तारी के बारे में बताते हुए संजीदा की आंखों में आंसू आ गए.

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चालीस साल की अवस्था में संजीदा अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही हैं. गरीबी और कर्ज से त्रस्त, अपने किशोर बेटे की कानूनी लड़ाई में पैसे लगाने के बाद उनका जीना मुश्किल हो गया है.

"मैं एक मुश्किल स्थिति में हूं, मेरे पास पैसे नहीं हैं. आपको विश्वास नहीं होगा कि मेरे पास एक रुपया भी नहीं है, मेरे पर्स में कुछ भी नहीं है. मैं आपको अपनी स्थिति के बारे में क्या बताऊं?"

अपनी आपबीती सुनाते हुए संजीदा की आंखों में आंसू आ गए.

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किशोर बेटे पर 'लव जिहाद' का मामला

उनके किशोर बेटे (17) को दिसंबर 2020 में नए घोषित- गैरकानूनी धर्मांतरणअध्यादेश 2020 के तहत जबरन धर्मांतरण को लेकर एक कथित मामले में गिरफ्तार किया गया था और जेल में डाल दिया गया था.

पिछले साल 14 दिसंबर को उनके किशोर बेटे को एक महिला मित्र के साथ देखा गया था. रात में ग्रामीणों ने चोर होने के शक में उसे घेर लिया, उसके साथ बेरहमी से मारपीट की और बाद में पुलिस के हवाले कर दिया. अगले दिन, उस पर आईपीसी, पॉक्सो अधिनियम और धर्मांतरण विरोधी कानून की विभिन्न कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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संजीदा बताती हैं-

"मेरा बेटा एक जन्मदिन की पार्टी के लिए गया था. उसे ग्रामीणों ने बेरहमी से पीटा था. मुझे अपने बेटे से पुलिस स्टेशन में मिलने की अनुमति नहीं दी गई. उसकी हालत खराब थी, उसे फ्रैक्चर हुआ था, बाद में उसे जेल भेज दिया गया.

करीब छह महीने बाद और एक संगठन की कानूनी मदद से संजीदा के बेटे को इस साल जून में जमानत मिल गई. जबकि मामला परीक्षण के चरण में है, मामले की जानकारी रखने वाले लोग जांच के शुरू से ही दावा करते हैं कि ये "लव जिहाद" का मामला नहीं था

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जबरन लगाया गया आरोप

"जबरन धर्म परिवर्तन का कोई मामला नहीं था, यह सब पुलिस द्वारा बनाया गया था. जब मैंने पुलिस स्टेशन में पुलिस से बात की, तो उन्होंने लड़की को हमारी हिरासत में लिखित रूप में दिया और हमने हिरासत (सुपुर्दगी) रजिस्टर में हस्ताक्षर किया. लड़की के परिवार ने भी वहां हस्ताक्षर किया. हमने पुलिस को लिखित में दिया था कि हम कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं, लड़की हमारे साथ आई थी."

लड़की के गांव के पूर्व प्रधान विनोद कुमार सैनी ने बताया कि शाम करीब छह बजे लड़की ने प्राथमिकी दर्ज कराई और इसे लव जिहाद का मामला बना दिया गया.

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वर्तमान प्रधान इद्रीशा के बहनोई शहजाद ने भी लव जिहाद के दावे को खारिज कर दिया.

"रात में हुआ था इसलिए स्थानीय लोगों ने लड़के की पिटाई की और बाद में पुलिस के हवाले कर दिया. ये लव जिहाद का मामला नहीं था.वे मासूम बच्चे थे, धर्म परिवर्तन का कोई मामला नहीं था, कुछ लोगों ने इस पर राजनीति की.

पिछले साल दिसंबर में हुई घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने लड़की के बयान के आधार पर लड़के को गिरफ्तार कर लिया. लड़के पर हमले का मामला भी दर्ज किया गया था, जिसे पुलिस के हवाले करने से पहले ग्रामीणों ने उसे बेरहमी से पीटा था.

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लड़की के बयान के आधार पर और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों का हवाला देते हुए पुलिस ने इस साल जनवरी में मामले में आरोप पत्र दायर किया और मुकदमा शुरू हो गया है.

लव जिहाद से जुड़े मामले

नए धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत इस साल नवंबर 2020 से जून तक राज्य भर में कुल 63 मामले दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में 162 संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और उनमें से 101 को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार किए गए लोगों में से 21 को बाद में जमानत मिल गई जबकि 81 अभी भी सलाखों के पीछे हैं.

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इस बीच संजीदा का यह संकट अभी खत्म नहीं हुआ है. वो इस मामले के बंद होने की उम्मीद कर रही हैं.

"मैंने अपने पति के इलाज पर 5-6 लाख रुपये खर्च किए. मैं अपने बेटे की वजह से भारी कर्ज में डूबी हूं. मैं क्या कहूं, मैं मुश्किल में हूं. भगवान इस मामले को देखने में हमारी मदद करें, कृपया इस मामले को खत्म करने में हमारी मदद करें, इससे लड़ना हमारी क्षमता से बाहर है".

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