सुप्रीम कोर्ट ने पशु बाजार में वध के लिए मवेशियों को खरीदने और बेचने पर रोक लगाने वाली नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद के मोहम्मद अब्दुल फहीम कुरैशी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए या नोटिस जारी किया है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 26 मई को एक अधिसूचना जारी कर देश भर के पशु बाजार में बूचड़खानों के लिए जानवरों को खरीदने और बेचने पर रोक लगा दी थी.
सरकार के इस फैसले को मोहम्मद अब्दुल फहीम कुरैशी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका में दलील दी गई है कि केंद्र सरकार का यह नोटिफिकेशन ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है और सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर यह नोटिफिकेशन जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने केंद्र को नोटिस जारी कर अधिसूचना को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तिथि 11 जुलाई तय की है.
केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने बेंच को बताया कि यह अधिसूचना जारी करने के पीछे मंशा देश भर के मवेशी बाजारों के लिए नियमन प्रणाली लाने की है.
सरकार का फैसला धार्मिक आजादी के खिलाफ
हैदराबाद के मोहम्मद अब्दुल फहीम कुरैशी की ओर से सात जून को दायर याचिका में कहा गया है कि अधिसूचना मवेशियों की कुर्बानी देने की धार्मिक आजादी के खिलाफ है और भोजन के लिए मवेशियों के वध पर प्रतिबंध संविधान के तहत नागरिकों को प्राप्त भोजन के अधिकार, निजता एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि केरल, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और कर्नाटक जैसे राज्यों ने पहले ही कह दिया है कि वह केंद्र के एक प्रतिबंध को लागू नहीं करेंगे क्योंकि इससे जानवरों से जुड़े व्यापार में शामिल लोगों की जीवन पर असर पड़ेगा.
याचिका में यह भी कहा गया है कि पशुओं के खरीदने और बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध से किसानों, मवेशी व्यापारियों पर बहुत बोझ पडे़गा और उनके लिए अपने बच्चों का पेट भरना भी मुश्किल हो जाएगा.
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