उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक (Deputy CM Brajesh Pathak) ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) चिकित्सा और स्वास्थ्य- अमित मोहन प्रसाद को जो पत्र भेजा वो अब सामने आया है. इस पत्र में बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों के हालिया तबादलों पर नाराजगी व्यक्त की है.
डिप्टी सीएम ने यह पत्र 4 जुलाई, 2022 को लिखा जिसके एक हिस्से में वे लिख रहे हैं कि, "मेरी जानकारी में आया है कि मौजूदा सत्र में जो भी तबादले हुए हैं, उसमें तबादला नीति (Transfer Policy) का पूरी तरह पालन नहीं किया गया है. इसलिए, उन सभी की पूरी डिटेल्स प्रदान करें जिनका ट्रांसफर किया गया है साथ ही कारण भी बताएं कि ऐसा क्यों किया गया."
ट्रांसफर नीति में अनियमितताओं को रेखांकित करते हुए पत्र में आगे उन्होंने लिखा कि, “मुझे बताया गया है कि लखनऊ सहित कई जिलों में जहां बड़े अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की सख्त जरूरत है, वहां से उनका तबादला कर दिया गया है साथ ही उनके स्थान पर कोई विकल्प नियुक्त नहीं किया गया है. लखनऊ राज्य की राजधानी है, जो पहले से ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है और गंभीर परिस्थितियों में मरीजों को बेहतर इलाज के लिए अन्य जिलों से लखनऊ रेफर किया जाता है.
इस पत्र के एक दिन बाद यानी 5 जुलाई 2022 को, एसीएस (चिकित्सा और गृह) प्रसाद ने महानिदेशक, चिकित्सा और स्वास्थ्य को पत्र लिखकर डिप्टी सीएम द्वारा अपने पत्र में उठाई गई चिंताओं पर रिपोर्ट मांगी है.
इस पत्र में प्रसाद ने लिखा कि, "स्तर 1 पर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के ट्रांसफर निदेशालय स्तर पर किए जाते हैं. इसलिए कृपया पत्र में उठाए गए प्रश्न पर एक रिपोर्ट प्रदान करें."
यूपी का उप सीएम बन कर चौंकाया, अब औचक निरीक्षण में लगे पाठक
योगी 2.0 कैबिनेट में बृजेश पाठक का उपमुख्यमंत्री बनना कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात थी. उन्हें प्रमुख स्वास्थ्य विभाग से भी नवाजा गया. एक डाउन-टू-अर्थ मंत्री और सभी के साथ अच्छी तरह से पैठ जमाने का कौशल जानने वाले पाठक अपने पहले कार्यकाल में ऐसे मंत्री थे जिन तक सभी की पहुंच रहती थी.
वहीं दूसरे कार्यकाल में वे सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण करने में लगे हुए हैं. वे औचक निरीक्षण के दौरे अपने सोशल मीडिया पर वायरल कर अपने आप को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं जो हेल्थ सिस्टम की खामियों को लेकर चिंता में हैं.
पिछले साल, महामारी के दौरान, जब राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर खुद की पीठ थपथपा रही थी, तब तत्कालीन कानून मंत्री पाठक ने एक पत्र में लखनऊ में स्वास्थ्य अधिकारियों के खराब मैनेजमेंट और ढुलमुल रवैये पर अपना गुस्सा व्यक्त किया था.
प्रसिद्ध लेखक योगेश प्रवीण के मामले की ओर इशारा करते हुए पाठक ने अपने पत्र में लिखा था, "मेरे निर्वाचन क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार विजेता योगेश प्रवीण की हालत अचानक बिगड़ गई. अलर्ट होते ही मैंने खुद मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फोन किया और उनसे एम्बुलेंस और चिकित्सा उपचार प्रदान करने का अनुरोध किया. अफसोस की बात है कि कई घंटे की देरी के बावजूद एंबुलेंस नहीं मिली और इलाज के अभाव में उनकी (प्रवीण) मौत हो गई."
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