नई दिल्ली, 11 दिसम्बर (आईएएनएस)| कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी, कृषि संकट और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर 2019 का चुनाव एकसाथ मिलकर लड़ेंगी और भाजपा को हराएंगी।
छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज करने और राजस्थान व मध्यप्रदेश में जीत के काफी करीब पहुंचने के बाद यहां कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि मोदी ने जो वादे किए थे, उसे पूरा नहीं किया, जिसके कारण पूरे देश में उनसे मोहभंग की स्थिति है।
राहुल ने कहा, "मोदी ने जो वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए..यह सवाल खड़ा होता है। पूरे भारत में लोग मान रहे हैं कि मोदी और उनकी सरकार ने जो वादे किए थे, उसे पूरे नहीं किए।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हमारे युवाओं के भविष्य के लिए गंभीर प्रश्न पूछे जा रहे हैं। मुख्य प्रश्न यह है कि कैसे हमारा देश लाखों युवाओं को रोजगार देगा?"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन वह उसे पूरा करने में नाकाम रहे। इसी तरह की भावना किसानों में है। उनमें यह निराशा है कि वे कैसे अपना गुजर-बसर करेंगे।"
उन्होंने इसके साथ ही विश्वास जताया कि एक संगठित विपक्ष 2019 में मोदी और भारतीय जनता पार्टी को हरा देगा।
राहुल ने कहा, "कांग्रेस ने विपक्ष के साथ गठबंधन करेगा.. मोदी और भाजपा के लिए 2019 के चुनाव में जीतना बहुत मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री और भाजपा को स्पष्ट संदेश है कि देश नोटबंदी, जीएसटी और नौकरियों की कमी से खुश नहीं है।"
उन्होंने कहा कि 2019 चुनाव में मुख्य मुद्दा बेरोजगारी और कृषि संकट होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "विपक्ष मजबूती के साथ एकजुट है और हम एकसाथ भाजपा के विरुद्ध लड़ेंगे।"
राहुल ने तीन राज्यों में पार्टी की जीत के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं, युवाओं और किसानों को बधाई दी।
उन्होंने कहा, "हमने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को हराया है। हम इस जीत के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं, युवाओं और किसानों को बधाई देना चाहते हैं।"
राहुल ने कहा, "तेलंगाना और मिजोरम में हमारी हार हुई है। लेकिन जो वहां जीते हैं, उन्हें भी हमारी बधाई।"
उल्लेखनीय है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के आए नतीजों में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की है, जबकि राजस्थान और मध्यप्रदेश में बहुमत के करीब है। हालांकि तेलंगाना और मिजोरम में उसे क्रमश: तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के हाथों हार का सामना पड़ा है।
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