समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का राम मंदिर को लेकर एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है. इसे सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया जा रहा है. लेकिन हमने पाया कि ये स्क्रीनशॉट फेक है और इस संबंध में अखिलेश यादव ने कोई ट्वीट नहीं किया.
9 नवंंबर 2019 के राम मंदिर पर आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या में विवादित जमीन पर हिंदू पक्ष का हक होगा, साथ ही कोर्ट ने कुछ शर्ते भी लगाई थीं. अंदर का हिस्सा केंद्र के ट्रस्ट को दिया जाएगा और अलग से 5 एकड़ जमीन का एक हिस्सा सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा.
दावा
फेसबुक पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया गया, जिसमें लिखा है 'हमारी सरकार (उत्तर प्रदेश में) होती तो मैं नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के नक्शे कदम पर चलता, चाहे जितनी जानें जाती लेकिन कभी राम मंदिर नहीं बनने देता.'
स्क्रीनशॉट के मुताबिक ये ट्वीट 3 नवंबर 2019 को पोस्ट किया गया था मतलब ये ट्वीट अयोध्या मामले पर आए फैसले के एक हफ्ते पहले का है.
इस ट्वीट का संदर्भ 30 अक्टूबर 1990 की घटना से जुड़ा है. जब अखिलेश यादव के पिता और तब के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पुलिस को कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था. ये कारसेवक वीएचपी, आरएसएस और बीजेपी के आव्हान पर इकट्ठा होकर अयोध्या आए थे.
सच क्या है?
ट्विटर एडवांस सर्च का इस्तेमाल करते हुए हमने अखिलेश यादव की 3 नवंबर 2019 की ट्विटर एक्टिविटी देखी. वहां पर इस तरह का कोई भी ट्वीट नहीं था.
हमने डिजिटल आर्काइव वेबैक मशीन पर भी चेक किया, अखिलेश यादव के ट्वीट को 11 नवंबर को आर्काइव किया गया था. हमें वहां पर 2 नवंबर और 4 नवंबर का ट्वीट मिला, लेकिन उन्होंने 3 नवंबर को कोई भी ट्वीट नहीं किया था.
आगे के दिनों में अखिलेश यादव की प्रोफाइल पर एक्टिविटी को देखा तो उन्होंने अयोध्या मामले पर फैसले के बाद एक ट्वीट किया था उन्होंने लिखा कि- 'जो फैसले फासलों को घटाते हैं वो इंसा को बेहतर इंसा बनाते हैं'
और तो और प्रेस रिलीज में अखिलेश यादव ने इस फैसले को 'ऐतिहासिक' बताया था और सभी से शांति और दूसरे समुदायों के प्रति सद्भाव रखने की अपील की थी.
इसलिए ये साफ है कि ये ट्वीट अखिलेश यादव ने नहीं किया. ये स्क्रीनशॉट छेड़छाड़ करके बनाया गया है.
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