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रोजगार,अपराध,स्वास्थ्य: पिछले 5 सालों में मणिपुर में कैसा रहा BJP का प्रदर्शन?

मणिपुर में पिछली कांग्रेस सरकार की तुलना में वर्तमान BJP सरकार ने कैसा प्रदर्शन किया है.

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उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर (Manipur) में 60 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए दो चरणों में मतदान होने थे, जिनमें से पहले चरण का मतदान 28 फरवरी को हो चुका है और दूसरे चरण के लिए 5 मार्च 2022 को वोट पड़ेंगे.

चुनावी मैदान में जिन पार्टियों के बीच मुकाबला है, उनमें से बीजेपी, कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP), नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) मुख्य पार्टियां हैं. मणिपुर में पिछले पांच सालों से बीजेपी सत्ता में है.

इससे पहले, कांग्रेस के ओकरम इबोबी सिंह 15 साल तक राज्य के सीएम थे.
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पूर्वोत्तर के सात राज्यों में से एक मणिपुर मुख्य रूप से कृषि, वानिकी और कुटीर उद्योगों पर निर्भर करता है. राज्य के बड़े मुद्दों में से एक है उग्रवाद. ये समस्या 1960 के आसपास उभरकर सामने आई और आज तक जारी है.

इस आर्टिकल में हम खास मापदंडों (पैरामीटर्स) के आधार पर बीरेन सिंह सरकार के प्रदर्शन के बारे में बात करेंगे. इन पैरामीटर्स में आर्थिक प्रदर्शन, नौकरी, अपराध, स्वास्थ्य शामिल हैं.

हमने 5 राज्यों में चल रहे 2022 विधानसभा चुनावों के बीच उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा से संबंधित भी डेटा स्टोरी की हैं. इनके बारे में पढ़ने के लिए, आप राज्यों पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं.

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कैसा रहा आर्थिक प्रदर्शन?

2012 और 2017 (FY13-FY17) के बीच स्थिर मूल्य पर राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में साल-दर-साल जो वृद्धि हुई, वो 5.8 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ी.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 2020 (FY18-FY20) में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

वित्त वर्ष 2021 के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इस दौरान देश के ज्यादातर राज्यों के रुझान देखें तो COVID-19 महामारी की वजह से जीएसडीपी की संख्या में गिरावट दर्शाते हैं.

वर्तमान सरकार के दौरान राज्य में प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि देखी गई है. आरबीआई की ओर से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2013 (FY13) में 38,954 रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2020 (FY20) में बढ़कर 53,930 रुपये हो गई.

FY13-FY17 में जो साल दर साल औसत वृद्धि 3.52 प्रतिशत थी, FY18-FY20 में वो बढ़कर 4.64 प्रतिशत हो गई है.

मणिपुर की FY21 के लिए प्रति व्यक्ति आय उपलब्ध नहीं थी

ये ध्यान देना जरूरी है कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय की तुलना में काफी कम रही है, लेकिन साल दर साल वृद्धि की बात करें तो ये ज्यादा रही है.

जहां एक औसत भारतीय की प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2015 में 94,566 रुपये थी, वहीं ये मणिपुर में आधे से थोड़ा ज्यादा 53,930 रुपये थी.

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राज्य में बेरोजगारी की स्थिति

2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में साक्षरता दर 76.90 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय औसत 72.99 प्रतिशत से ज्यादा थी. उच्च साक्षरता दर के बावजूद, राज्य में बेरोजगारी एक लंबे समय से चली आ रही समस्या रही है.

इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में कमी और निजी कंपनियों की उपस्थिति न होने की वजह से राज्य में बेरोजगारी दी दर बढ़ी है. दूसरी ओर, नौकरियों की कमी से युवा ड्रग्स और उग्रवाद के चंगुल में फंस रहे हैं.

मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MoSPI) की ओर से किए गए पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLSS) के मुताबिक, बीजेपी सरकार में बेरोजगारी दर में 2 प्रतिशत की गिरावट हुई. जहां ये 2017-18 में 11.5 प्रतिशत थी, 2019-20 में घटकर 9.5 प्रतिशत हो गई.

हालांकि, राज्य में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रही है. 2017-18 में राष्ट्रीय औसत 6.1 प्रतिशत था. 2019-20 में देश में बेरोजगारी दर राज्य के 4.8 प्रतिशत से आधी थी.

राज्य में बेरोजगारी दर में गिरावट तो आई है, लेकिन राज्य की श्रम बल दर (LFPR) की भागीदारी 2017-18 में 48.1 प्रतिशत से दो प्रतिशत अंक बढ़कर 2019-20 में 50.3 प्रतिशत हो गई.

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राज्य में अपराध की स्थिति

अगला इंडीकेटर जो हमने देखा वो अपराध था, ताकि ये पता लगाया जा सके कि पिछले पांच सालों में राज्य में बीजेपी सरकार का कानून और व्यवस्था के मामले में कैसा प्रदर्शन रहा है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान बीजेपी सरकार में मणिपुर में अलग-अलग धाराओं में दर्ज होने वाले आपराधिक मामलों की संख्या में कमी आई है. ये 2016 में 3170 थी जो 2020 में घटकर 2349 हो गई. हालांकि, इसके पहले 2017 में इसमें बढ़ोतरी हुई थी और तब इसकी संख्या 3,416 हो गई थी.

हालांकि, यहां ये ध्यान रखना जरूरी है कि कई राज्यों में 2020 में कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण अपराधों की संख्या में कमी आई थी.

महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या के मामले में असमान ग्राफ देखने को मिलता है. इसमें बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद से वृद्धि और गिरावट देखने को मिली है.

2016 में महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों की संख्या 253 थी जो 2020 में घटकर 247 हो गई. हालांकि, 2018 में ये बढ़कर 271 हो गई थी.

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उग्रवाद

राज्य में एक और बड़ी समस्या उग्रवाद की है, जो 1960 के दशक में शुरू हुई और आज तक जारी है.

19 दिसंबर 2017 को तत्कालीन गृह राज्य मंत्री (MOS) किरेन रिजिजू द्वारा लोकसभा में दी गई प्रतिक्रिया के अनुसार, 35 पहाड़ी और घाटी-आधारित संगठन और 23 भूमिगत संगठन थे.

2019 में लोकसभा में दिए गए एक और जवाब के अनुसार, मणिपुर में विद्रोह की घटनाओं और मौतों की संख्या में कमी आई है. 2014 में, रिपोर्ट की गई घटनाओं की संख्या 278 थी, जो 2018 में घटकर 127 हो गई.

2017 में जिस साल मौजूदा सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब 23 नागरिकों की मौत दर्ज की गई थी, लेकिन तब से लेकर नवंबर 2021 तक ये संख्या 10 थी.

साउथ एशियन टेरिरिजम पोर्टल (SATP) ने भी पिछले पांच वर्षों में राज्य में विद्रोह से संबंधित घटनाओं और नागरिक मौतों की संख्या में गिरावट दर्ज की है. SATP एक गैर-सरकारी समूह जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों पर नज़र रखता है.

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स्वास्थ्य: शिशु मृत्यु दर, प्रजनन दर

शिशु मृत्यु दर (IMR) क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थितियों की स्थिति को दर्शाती है. ये प्रति हजार पैदा हुए जीवित बच्चों पर होने वाली एक साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या होती है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (NFHS) के अनुसार, मणिपुर के लिए आईएमआर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 25 मृत्यु थी, जो राष्ट्रीय औसत 35.2 से कम है.

2015-2016 में किए गए पिछले NFHS-4 सर्वे के मुताबिक, राज्य का IMR बदतर हुआ है, जो प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 21.7 मृत्यु थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 40.7 था.
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मणिपुर में बिजनेस कितना आसान है?

2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से राज्य की अर्थव्यवस्था बेहतर रही है. हालांकि, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार करने में आसानी के मामले में मणिपुर की रैंक 2016 में 28 थी, जो 2019 में 29 हो गई. ईज ऑफ डूइंग, निवेश के अनुकूल व्यापार माहौल का एक इंडीकेटर है.

2020 और 2021 की रैंकिंग उपलब्ध नहीं है.

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में बेहतर हुई है. 2019 में प्रकाशित विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग के अनुसार, भारत ने 2018 के बाद से 14 स्थानों का सुधार किया है, जिससे ये 190 देशों में 63 वें स्थान पर है. विश्व बैंक की रिपोर्ट को तब से बंद कर दिया गया है.

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