ADVERTISEMENTREMOVE AD

WHO ने नहीं कहा- चिकन खाने से 200% तेजी से फैलता है ब्लैक फंगस

न तो WHO की तरफ से जारी किसी गाइडलाइन में ऐसा बताया गया है और न ही हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे सही मानते हैं

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

कोरोना की दूसरी लहर में ठीक हुए कई कोविड मरीजों में Mucormycosis (म्यूकरमाइकोसिस) यानी ब्लैक फंगस के कई मामले देखने को मिले हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर ये दावा वायरल हो रहा है कि WHO ने कहा है कि चिकन खाने से ब्लैक फंगस 200% तेजी से फैलता है.

हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि WHO की ओर से ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं जारी की गई है कि चिकन खाने से ब्लैक फंगस फैलता है. इसके अलावा, डॉ. विकास मौर्या और डॉ. जैकब टी जॉन ने हमें बताया कि ब्लैक फंगस से जुड़ा ये दावा गलत है. इसे सही साबित करने वाला न तो कोई डेटा है और न ही कोई प्रमाण.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दावा

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस दावे को शेयर किया है जिसमें लिखा है, ''चिकन खाने से ब्लैक फंगस 200% तेजी से फैलता है- WHO." इसमें आगे ये भी सुझाव दिया गया है कि मुुर्गा खाना आज ही छोड़ें.

न तो WHO की तरफ से जारी किसी गाइडलाइन में ऐसा बताया गया है और न ही हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे सही मानते हैं

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

शौकत अली नाम के एक फेसबुक यूजर ने भी इस दावे को फेसबुक पर पोस्ट किया. जिसे आर्टिकल लिखते समय तक 900 से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं.

न तो WHO की तरफ से जारी किसी गाइडलाइन में ऐसा बताया गया है और न ही हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे सही मानते हैं

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

इसे कई फेसबुक यूजर्स ने शेयर किया है. इनके आर्काइव आप यहां, यहां, और यहां देख सकते हैं.

0

पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने सबसे पहले WHO की साइट देखी लेकिन हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली कि चिकन खाने से ब्लैक फंगस हो सकता है.

हमें न्यूज वेबसाइट Mint का 21 मई 2021 को प्रकाशित एक आर्टिकल मिला. ये आर्टिकल AIIMS निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की प्रेस कॉनफ्रेंस पर था. डॉ. गुलेरिया ने कोविड रोगियों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आने पर, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और इसे रोकने के सुझाव बताए. इस कॉन्फ्रेंस में ऐसी कोई बात नहीं की गई कि चिकन खाने से ब्लैक फंगस फैल सकता है.

हमें PIB पर डॉ. रणदीप गुलेरिया की एक और प्रेस कॉनफ्रेंस का वीडियो मिला. जिसमें डॉ. गुलेरिया फंगल इनफेक्शन के बारे में बोल रहे थे. उन्होंने बताया कि म्यूकरमाइकोसिस संक्रामक नहीं होता यानी ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलता. गुलेरिया ने ये भी बताया कि 90-95% ऐसे इनफेक्टेड लोग थे, जो या तो डायबिटिक थे और उन्होंने स्टेरॉयड ली थी. हालांकि, जो डायबिटिक नहीं थे और स्टेरॉयड नहीं लिया उनमें इसका इनफेक्शन कम देखा गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि हाइजीन रखना जरूरी है, इसलिए सामान्य हाइजीन तरीकों का तो इस्तेमाल करना ही चाहिए, जैसे ऑक्सीजन सिलिंडर का पानी साफ हो और अपने हाथ ठीक से धुलना.

इसके बाद, हमने म्यूकरमाइकोसिस के बारे में ज्यादा जानने के लिए, और चिकन से इसके संबंध के बारे में जानने क लिए अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की वेबसाइट पर भी चेक किया. जिसके मुताबिक,

म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस एक गंभीर लेकिन रेयर फंगल इनफेक्शन है, जो म्यूकरमिसेट्स नाम के मोल्ड्स के समूह के कारण होता है. ये आमतौर पर उन लोगों को होता है जिन्हें हेल्थ से जुड़ी समस्याएं होती हैं या जो ऐसी दवाएं ले रहे होते हैं जो शरीर की इम्यूनिटी को घटाते हैं.

हमें CDC की साइट पर, ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली कि चिकन खाने से ब्लैक फंगस हो सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमने ICMR की ओर से, कोरोना के बीच फैल रहे म्यूकरमाइकोसिस को लेकर जारी की गई एडवायजरी भी देखी. इसके मुताबिक, पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों में वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस आदि से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. जिस वजह से म्यूकरमाइकोसिस होता है. हालांकि, हमें चिकन से जुड़ी ऐसी कोई जानकारी यहां पर भी नहीं मिली, जिसके मुताबिक चिकन ब्लैक फंगस का कारण बन सकता है.

न तो WHO की तरफ से जारी किसी गाइडलाइन में ऐसा बताया गया है और न ही हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे सही मानते हैं

ICMR की एजवाइजरी

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ICMR)

हमने इस एडवाइजरी में 'Dos (क्या करें)', 'Don'ts (क्या न करें)' और 'How To Manage (कैसे मैनेज करें)' सेक्शन को ध्यान से देखा. जिसे आप भी नीचे देख सकते हैं.

न तो WHO की तरफ से जारी किसी गाइडलाइन में ऐसा बताया गया है और न ही हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे सही मानते हैं

ICMR की एडवाइजरी

(फोटो:स्क्रीनशॉट/ICMR/Altered by The Quint)

ऊपर दिए गए तीनों सेक्शन में कहीं पर भी चिकन और ब्लैक फंगस के बीच संबंध से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है. कहीं पर भी ऐसा नहीं लिखा है कि ब्लैक फंगस से बचने के लिए चिकन न खाएं.

CDC और ICMR की जानकारी से ये निष्कर्ष निकलता है कि म्यूकरमाइकोसिस वातावरण में पहले से मौजूद गंदगी के जरिए विकसित होता है, लेकिन ये शरीर को तभी प्रभावित करता है जब शरीर की बीमारियों से लड़ने की शक्ति कम हो गई हो.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमने इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने ICMR के सेंटर फॉर ए़डवांस रिसर्च इन वायरोलॉजी के प्रमुख रह चुके वायरोलॉजिस्ट डॉ. जैकब टी जॉन और पल्मोनोलॉजी डॉ. विकास मौर्या से भी बात की.

डॉ. जॉन ने इसे मिथ के बजाय अफवाह बताया और कहा कि ये पूरी तरह से गलत है. वहीं डॉ. विकास मौर्या ने म्यूकरमाइकोसिस के बारे में ऊपर बताई गई जानकारी दी और कहा कि

चिकन खाने से या चिकन की वजह से किसी को ब्लैक फंगस हो सकता है, इस बारे में न तो हमारे पास कोई डेटा है और न ही कोई प्रमाण. ये महज एक मिथ है, जिसे सोशल मीडिया के जरिए फैलाया जा रहा है.
डॉ. विकास मौर्या, पल्मोनोलॉजिस्ट , फोर्टिस हॉस्पिटल
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मतलब साफ है कि WHO के नाम से वायरल हो रहा ये दावा गलत है कि चिकन खाने से ब्लैक फंगस 200% तेजी से फैलता है. न तो WHO की तरफ से जारी किसी भी गाइडलाइन में ऐसा बताया गया है और न ही हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे सही मानते हैं.

(ये स्टोरी क्विंट के कोविड-19 और वैक्सीन पर आधारित फैक्ट चेक प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुरू किया गया है)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×