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“मास्क से नहीं रुकता कोरोना संक्रमण”- प्रशांत भूषण का दावा भ्रामक 

दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़ी प्रमुख संस्थाओं ने मास्क को कोविड-19 का संक्रमण रोकने में प्रभावी बताया है

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एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सोशल मीडिया पर ये दावा किया है कि कोविड-19 को रोकने में मास्क प्रभावी नहीं हैं. दावे के साथ प्रशांत भूषण ने एक स्टडी पेपर भी शेयर किया. वेबकूफ की पड़ताल में ये दावा भ्रामक निकला. प्रशांत भूषण ने जो स्टडी पेपर शेयर उसे न तो रिव्यू किया गया है, न ही उसमें किसी तरह के वैज्ञानिक प्रमाणों का जिक्र है.

दुनिया की शीर्ष स्वास्थ्य संस्थाओं के साथ ही वैज्ञानिकों का भी यही मानना है कि मास्क पहनना कोविड -19 के संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी है. प्रशांत भूषण द्वारा शेयर की गई स्टडी का ये दावा भी हमारी पड़ताल में झूठा निकला कि मास्क पहनने से सांस लेने में तकलीफ होती है.

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दावा

प्रशांत भूषण ने लिखा - मास्क पर ये डिटेल्ट स्टडी पढ़िए : डेटा के मुताबिक, फेस मास्क कोविड 19 जैसी बीमारियों का संक्रमण रोकने में प्रभावी नहीं है. फेस मास्क पहनने के शारीरिक औऱ मानसिक कई तरह के विपरीत प्रभाव हैं.

ट्विटर ने प्रशांत भूषण का ट्वीट कम्युनिटी गाइडलाइंस के उल्लंघन का हवाला देते हुए हटा दिया है. ट्वीट का अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें. फेसबुक पर प्रशांत का इसी दावे के साथ किया गया पोस्ट रिपोर्ट लिखे जाने तक मौजूद है.

दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़ी प्रमुख संस्थाओं ने मास्क को कोविड-19 का संक्रमण रोकने में प्रभावी बताया है
पोस्ट का अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें
सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

ट्विटर पर कई अन्य यूजर्स ने भी स्टडी को इसी दावे के साथ शेयर किया है. अर्काइव यहां देखा जा सकता है.

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पड़ताल में हमने क्या पाया ?

प्रशांत भूषण ने जो स्टडी शेयर की है, वो असल में एक हाइपोथीसिस है. स्टडी पूरी पढ़ने पर पता चलता है कि इसमें इस दावे का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं दिया गया है कि मास्क पहनना कोविड 19 के संक्रमण को रोकने में प्रभावी नहीं है.

न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. सुमैया शेख ने प्रशांत भूषण के ट्वीट के जवाब में ट्वीट कर लिखा  - यह एक हाइपोथीसिस है, न की कोई ऐसी डिटेल्ट स्टडी जिसमें कोई डेटा शामिल हो. मास्क के पीछे का साइंस बिल्कुल क्लियर है. कई रिसर्च में ये साबित हुआ है कि मास्क आपकी और दूसरों की सुरक्षा करते हैं.

डॉ.  सुमैय्या ने नेचर जर्नल में छपे एक आर्टिकल का लिंक भी ट्विटर पर शेयर किया है. ये लेख लंबे समय से विज्ञान से जुड़े मुद्दों पर लिखने वाली अमेरिकी लेखक Lynne Peeples का है. इस लेख में कई साइंटिफिक स्टडी और केसेस के जरिए कोरोना महामारी में मास्क को लेकर बदले परसेप्शन के बारे में बताया गया है. वायरस और महामारी से जुड़े दुनिया के कई विशेषज्ञों के बयान भी इस लेख में हैं, ये सभी बयान इस बात की पुष्टि करते हैं कि मास्क कोरोना संक्रमण को रोकने में प्रभावी है.

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Lynee Peeples लिखती हैं,

“मास्क के प्रभावी होने का सबसे बड़ा उदाहरण अमेरिका का ब्लैक लिव्स मैटर प्रोटेस्ट है. अमेरिका के कई शहरों में हुए प्रदर्शनों में अधिकतर लोगों ने मास्क पहने थे. नतीजतन इस इवेंट की वजह से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने का कोई मामला सामने नहीं आया. इसके उलट जॉर्जिया के समर कैंप में वायरस पहुंच गया, इस समर कैंप में बच्चों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य नहीं था.”

यूनिवर्सिटी ऑफ सैन फ्रांसिस्को की रिसर्च साइंटिस्ट जैरेमी होवर्ड कहती हैं,

“ये कहने के लिए आपको ज्यादा गणित लगाने की जरूरत नहीं है कि मास्क पहनना एक अच्छा आइडिया है.”

(नेचर जर्नल में छपे लेख में जैरेमी होवर्ड के स्टेटमेंट का हिंदी अनुवाद)

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The Lancet जर्नल में जनवरी, 2021 में छपी स्टडी में ये सामने आया कि उन समूहों के संक्रमण से सुरक्षित रहने की संभावना ज्यादा है, जो मास्क पहनते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं.

WHO  के मुताबिक, जानें बचाने और संक्रमण को रोकने के लिए मास्क पहनना जरूरी है. मेडिकल फील्ड से जुड़े लोगों को कौनसे मास्क पहनने हैं और आम लोगों को कौनसे इस पर भी WHO ने अलग से गाइडलाइन जारी की है.

दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़ी प्रमुख संस्थाओं ने मास्क को कोविड-19 का संक्रमण रोकने में प्रभावी बताया है

अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDS) और भारत के इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का भी यही मानना है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए मास्क का उपयोग सही और जरूरी है.

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मास्क पहनने से सांस लेने में तकलीफ होती है ?

एडवोकेट प्रशांत भूषण ने जो रिपोर्ट शेयर की, उसमें दूसरा दावा ये है कि मास्क पहनने से सांस लेने में तकलीफ होती है. द क्विंट पहले भी इस दावे की पड़ताल कर चुका है. लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार ने क्विंट से हुई बातचीत में बताया कि तीन लेयर वाला मास्क या फिर सर्जिकल मास्क पहनने से सांस लेने में कोई कठिनाई नहीं होती.

“अगर मास्क लगातार 8 घंटे पहना जाता है, खासतौर पर N95 या फिर N99 मास्क, तो कार्बन डायोक्साइड का लेवल 2% से 4% बढ़ सकता है. ये उन डॉक्टरों के साथ हो सकता है, जो सर्जरी करते हैं और N95 मास्क के ऊपर एक सर्जिकल मास्क भी पहनते हैं. लेकिन, आम इंसान यदि तीन लेयर वाला मास्क या फिर सर्जिकल मास्क पहनता है तो कोई खतरा नहीं है.”
डॉ. अरविंद कुमार, संस्थापक ट्रस्टी, लंग केयर फाउंडेशन
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पल्मोनोलॉजिस्ट और फोर्टिस अस्पताल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन कंसलटेंट डॉ. रिचा सरीन के मुताबिक, “आम जनता से जो मास्क पहनने के लिए कहा गया है, वो एयर टाइट या सील्ड नहीं हैं. ये मास्क सिर्फ वायरस को शरीर से बाहर या अंदर जाने से रोकते हैं. जबकि कार्बन डायोक्साइड के पार्टिकल इतने छोटे होते हैं कि आसानी से मास्क के होते हुए भी शरीर के अंदर जा सकते हैं.”

मतलब साफ है - ये दावा झूठा है कि मास्क पहनने से कोरोना संक्रमण नहीं रुकता और मास्क पहनना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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