वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
हम में से ज्यादातर लोग न्यूज के लिए सोशल मीडिया पर भरोसा करते हैं. ऐसे में कई बार गलत जानकारी को असली खबर बताकर फैलाना बहुत आसान हो जाता है. अभी हाल ही में द क्विंट से WhatsApp हेल्पलाइन नंबर के जरिये एक वीडियो के बारे में जानकारी मांगी गई. ये वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी फैलाया जा रहा है. वीडियो में नागरिकों और पुलिस बल के बीच झड़प दिखाई गई है.
इस वीडियो को एक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि ये असम का है, जहां गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर हमला किया. तो, क्या ये वीडियो असली है?
हां, काफी हद तक. लेकिन ये जिस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है क्या वो दावा सही है?
नहीं, वो दावा पूरी तरह से झूठा है. वीडियो मिलने के बाद, हमने Invid Google chrome एक्सटेंशन का इस्तेमाल करते हुए इसे कई keyframes में तोड़ दिया और एक रिवर्स सर्च की जिससे हमें असलियत का पता चला.
हमें यूट्यूब पर एक वीडियो मिला, जिसे जुलाई 2018 में ‘पोलीसनामा’ नाम के एक लोकल मराठी चैनल ने अपलोड किया था. इस वीडियो से पता चला कि ये औरंगाबाद में 2018 में हुए मराठा आंदोलन से जुड़ा था.
यहां से एक संकेत लेते हुए, हम Google पर 'औरंगाबाद प्रोटेस्ट' और 'काकासाहेब शिंदे' जैसे आसान कीवर्ड सर्च के जरिये एक न्यूज वेबसाइट तक पहुंचे, जिसने इस घटना को रिपोर्ट किया था.
अब, हमें पता चल चुका था कि वीडियो 2018 में मराठा मोर्चा विरोध प्रदर्शनों से जुड़ा है. एक मराठा युवक काकासाहेब शिंदे के गोदावरी नदी में कूदकर खुदकुशी करने के बाद मराठा आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था.
मेनस्ट्रीम मीडिया और लोकल मीडिया दोनों ने इस घटना की काफी प्रमुखता से रिपोर्टिंग की थी
इसके 2 दिन बाद कुछ गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला किया और ठीक उसी समय इस वीडियो को शूट किया गया था.
तो दोस्तों, WhatsApp पर या सोशल मीडिया पर दिखने वाली हर चीज पर भरोसा न करें और अगर आप ऐसी कोई पोस्ट देखते हैं, जो संदिग्ध लगती है जिसकी सच्चाई पर आपको शक हो तो बस हमें भेजें. हम इसे आपके लिए वेरिफाई कर आपके सामने सच रखेंगे.
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