सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है, जिसमें एक शख्स बच्चे के सामने एक महिला को पीटता दिख रहा है.
इस वीडियो को सोशल मीडिया पर 'लव जिहाद' (Love Jihad) एंगल से शेयर कर दावा किया जा रहा है कि वीडियो में दिख रही महिला एक हिंदू है और जो शख्स उसे पीट रहा है वो मुस्लिम (Muslim).
क्या है दावा?: वीडियो शेयर कर कैप्शन में लिखा जा रहा है, ''लव जिहाद के बाद में हिंदू लड़की का क्या होता है यह देखो''.
वीडियो में कपल अपने बच्चे का बर्थडे मनाते दिख रहा है. इसी दौरान शख्स महिला को थप्पड़ मारता दिखता है. वीडियो के साथ स्क्रीन पर लिखा दिखता है. इसमें लिखा है कि वीडियो में दिखने वाले शख्स मोहम्मद मुश्ताक जीके है, जो बेंगलुरु की एक आईटी कंपनी में काम करता है.
(वीडियो की प्रकृति की वजह से हमने वीडियो से जुड़े किसी भी लिंक का इस्तेमाल अपनी स्टोरी में नहीं किया है.)
क्या है सच? : वायरल हो रहा वीडियो करीब 7 साल पुराना है. ये वीडियो 2015 से इंटरनेट पर मौजूद है. इसके अलावा, वीडियो में दिख रहे दोनों लोग मुस्लिम समुदाय से हैं.
हमने सच का पता कैसे लगाया? : वीडियो में शख्स को बेंगलुरु की कंपनी में काम करने वाला बताया गया है. यहां से क्लू लेकर हमने उसके नाम के साथ जरूरी कीवर्ड इस्तेमाल कर गूगल पर सर्च किया.
हमें 'Ground Report' नाम के एक पोर्टल पर पब्लिश रिपोर्ट मिली, जिसके मुताबिक वीडियो 2015 का है.
इसके अलावा, हमें दिल्ली महिला आयोगी की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का 3 अक्टूबर 2022 का एक ट्वीट भी मिला. इसमें उन्होंने वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्मई से कार्रवाई की मांग की थी.
हमें India Today की 4 अक्टूबर की एक वीडियो रिपोर्ट भी मिली, जिसमें महिला का नाम आयशा बताया गया था. इस वीडियो में वायरल वीडियो और आयशा के हालिया स्टेटमेंट का वीडियो दोनों शामिल हैं.
वीडियो में महिला अपनी आपबीती सुनाती देखी जा सकती है. वीडियो में महिला कहती दिख रही है कि
उन्होंने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. वो ये भी बताती है कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है और उस शादी से उसका एक बच्चा भी है.
इंस्टाग्राम पर एक यूजर ने इस वीडियो को शेयर किया था. इसके बाद ये वीडियो वायरल हो गया. हालांकि, बाद में इसे हटा लिया गया था.
पति ने दायर किया था कोर्ट केस: पति ने बच्चे की कस्टडी के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
21 दिसंबर 2021 के आर्डर के मुताबिक, दोनों पक्ष सुन्नी मुस्लिम हैं.
ऑर्डर के मुताबिक, दोनों की शादी साल 2009 में बेंगलुरु में हुई थी. उसके बाद उन्हें साल 2013 में एक बच्चा हुआ.
बेंच ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा था, ''अगर पत्नी दूसरी शादी को आधार बनाकर ससुराल से दूर रह सकती है, तो इसमें ये कहने की जरूरत नहीं है कि वो उसके नाबालिग बच्चे की विशेष कस्टडी ले सकती है.''
शख्स को निर्देश भी दिया गया था कि वो आयाशा को 50000 रुपये का जुर्मान एक महीने के अंदर दे. अगर वो ऐसा नहीं करता है तो वो फैमिली कोर्ट की ओर से दिए गए मुलाकात के अधिकार को खो देगा.
हमें 'Humans of Bombay' नाम के एक इंस्टाग्राम पेज पर अपलोड किया गया एक वीडियो भी मिला. जिसमें आयशा अपनी कहानी सुनाते देखी जा सकती है. वीडियो में वो बताती दिख रही हैं कि वीडियो साल 2015 का है और उनके बेटे के जन्मदिन के दिन का है.
निष्कर्ष: बेंगलुरु में महिला के साथ उसके पति के मारपीट का वीडियो झूठे सांप्रदायिक दावे से शेयर किया जा रहा है.
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