अफगानिस्तान में तालिबान के राज और अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद, देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) ने ट्वीट कर कहा कि एक सुपरपावर ने मिनी पावर बनने का फैसला किया. 31 अगस्त को, अपनी डेडलाइन के आखिरी दिन अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से वापसी (US Troops Return) कर 20 साल के लंबे संघर्ष को खत्म किया.
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद सालेह ने लिखा, "अफगानिस्तान को पैक कर आखिरी अमेरिकी सैनिक के बैग में नहीं रख दिया गया. देश आज भी वहीं है. नदियां बह रही हैं और पहाड़ वहीं मौजूद हैं. तालिबान एक अनपॉपुलर प्रॉक्सी फोर्स है और लोग उनसे नफरत करते हैं, इसलिए पूरा देश उनसे बचना चाहता है, एक सुपर पावर ने मिनी पावर बनने का फैसला किया, ठीक है."
15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, सालेह ने काबुल छोड़ दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वो पंजशीर घाटी में हैं. ये इकलौती जगह है जहां तालिबान आज तक कब्जा नहीं कर पाया है. कहा जा रहा है कि सालेह पंजशीर घाटी में मिलिट्री कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे, अहमद मसूद के साथ तालिबान से मुकाबले के लिए लड़ाकों की फौज तैयार कर रहे हैं.
सालेह ने कहा कि पंजशीर का प्रतिरोध, पंजशीर के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है. "अफगान राष्ट्रीय ध्वज सरकारी भवनों में फहराया जाता है. हमारा प्रतिरोध अधिकारों और मूल्य के लिए है. गैर-तालिब अफगान राजनीतिक और भावनात्मक रूप से प्रतिरोध के साथ हैं."
तालिबान के राज पर कहा था- 'नहीं झुकूंगा'
तालिबान के कब्जे के बाद, 15 अगस्त को सालेह ने एक ट्वीट में कहा था, "मैं तालिबान के आतंकियों के आगे किसी भी परिस्थिति में नहीं झुकूंगा. मैं अपने नायक अहमद शाह मसूद, कमांडर, लेजेंड और गाइड की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा. मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा, जिन्होंने मेरी बात सुनी. मैं तालिबान के साथ कभी भी एक छत के नीचे नहीं रहूंगा. कभी नहीं."
अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी की कमान संभाल चुके सालेह को, मार्च 2017 में, राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सुरक्षा सुधार राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. दिसंबर 2018 में, गनी ने उन्हें आंतरिक मंत्री के रूप में नियुक्त किया. अशरफ गनी की चुनावी टीम में शामिल होने के लिए 19 जनवरी, 2019 को आंतरिक मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. वो 19 फरवरी 2020 से अफगानिस्तान के उप-राष्ट्रपति थे.
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