प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 3 जुलाई को अचानक हुए लद्दाख दौरे पर चीन की प्रतिक्रिया सामने आई है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है, ''भारत और चीन तनाव कम करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक माध्यमों के जरिए बातचीत कर रहे हैं. किसी भी पक्ष को ऐसी गतिविधि से नहीं जुड़ना चाहिए जो इस वक्त स्थिति को खराब कर सकती है.''
बता दें कि गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों बीच हिंसक झड़प के कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के साथ 3 जुलाई को लेह पहुंचे.
बताया जा रहा है कि इसके बाद प्रधानमंत्री ने निमू में एक अग्रिम स्थल पर थलसेना, वायुसेना और आईटीबीपी के कर्मियों से बात की. सिंधु नदी के तट पर करीब 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित निमू दुर्गम स्थानों में से एक है.
भारत और चीन के बीच हालिया तनाव की बात करें तो पूर्वी लद्दाख में 5 मई की शाम चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जो अगले दिन भी जारी रही, जिसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए. हालांकि, गतिरोध जारी रहा.
इसी तरह की घटना उत्तरी सिक्किम में नाकू ला दर्रे के पास 9 मई को भी हुई जिसमें भारत और चीन के सैनिक आपस में भिड़ गए. इसके बाद 15-16 जून की रात दोनों देशों के बीच गलवानी घाटी में हिंसक झड़प हो गई, जिसमें एक कर्नल सहित भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए. न्यूज एजेंसी एएनआई ने भारतीय सेना के हवाले से बताया कि झड़प में दोनों पक्षों से (अधिकारी/जवान) हताहत हुए हैं.
गलवान मामले पर भारत ने कहा कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने की चीनी पक्ष की कोशिश के चलते हुई.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि पहले शीर्ष स्तर पर जो सहमति बनी थी, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से उसका पालन किया होता तो दोनों पक्षों की ओर जो हताहत हुए हैं उनसे बचा जा सकता था.
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