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Coronavirus:सूझबूझ के साथ महामारी और अर्थव्यवस्था से निपट रहा चीन

चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का सीमित असर क्यों होगा?

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2020 में चीनी नववर्ष पर हुबेई प्रॉविन्स के वुहान शहर में कोरोनावायरस की वजह से न्यूमोनिया का प्रकोप शुरू हुआ. इस बीमारी ने जल्द ही चीन के दूसरे हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया और कई देश और इलाके इससे प्रभावित हुए.

30 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने कोरोनावायरस के प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताजनक पब्लिक हेल्थ इमर्जेंसी (पीएचईआईसी) की घोषणा की. चीन और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे इसके प्रभाव ने सबका ध्यान खींचा है.

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अलग-अलग वजहों को समझने और मौजूदा संकट के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़े असर की तुलना 2003 में SARS के प्रकोप के बाद की स्थिति से करते हुए मेरा शुरुआती आकलन यह है कि इस महामारी का निश्चित रूप से चीन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा. 2020 की पहली तिमाही में यह असर दिखेगा, लेकिन पूरे साल में देखा जाए तो इसका सीमित ही असर नजर आएगा.

चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस का सीमित असर क्यों होगा?

पहली बात यह है कि 2003 में SARS के प्रकोप के बाद हासिल हुए अनुभवों के साथ इस बार रोकथाम और नियंत्रण की कोशिशें समय पर हुईं और वह प्रभावी नजर आया.

कोरोनावायरस के प्रकोप का समय वही है, जो 2003 में SARS महामारी का था. दोनों अवसरों पर जनवरी में वायरस का संक्रमण शुरू हुआ, जिसमें पहला मामला पिछले साल के आखिरी महीने में सामने आया.

बहरहाल 2003 में चीन में SARS महामारी से जूझने और इसका जवाब देने में हर स्तर पर सरकार को अपेक्षाकृत ज्यादा समय लगा. बीमारी की पहचान करने की क्षमता में कमी और इसकी रोकथाम और नियंत्रण के सीमित कोशिशों की वजह से इस महामारी के फैलने की दर तेज रही और यह करीब 6 महीने तक चली.

इसके उलट 2003 में SARS के प्रकोप से मिली सीख का आभार माना जाए कि इस साल जब कोरोना वायरस फैला तो चीन में हर स्तर पर सरकार ने तेजी से सक्रियता दिखलायी.

अब बीमारी को पहचानने और इसकी रोकथाम और नियंत्रण के प्रयासों में प्रभावशाली तरीके से सुधार हुआ है, और इस कारण इस बार महामारी से पीड़ित होने की दर पहले से कम है और इसलिए संभव है कि इस बार बहुत कम समय तक ही इस बीमारी का प्रकोप दिखे. माना जा रहा है कि 2020 की पहली तिमाही तक चीन की अर्थव्यवस्था पर इस महामारी का प्रकोप और असर रह सकता है.

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दूसरी बात यह है कि अगर चीन 2020 की पहली तिमाही में कोरोना वायरस के खिलाफ संघर्ष जीत जाता है तो चीन की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में दोबारा पटरी पर आ सकती है ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है.

2003 में जब SARS महामारी फैली थी, तब चीन को विश्व व्यापार संगठन में शामिल हुए बमुश्किल दो साल ही हुए थे.

उस समय चीन की अर्थव्यवस्था ऊपर की ओर चढ़ रही थी और विश्व कारोबार और निवेश का वातावरण तुलनात्मक रूप से अनुकूल था. उससे पहले तक चीन ने कभी अपनी अर्थव्यवस्था की समीक्षा अलग-अलग पैरामीटर पर तिमाही के आधार पर नहीं की थी. 2003 में चीन की वास्तविक विकास दर 10 फीसदी तक पहुंच गयी थी, जो 2002 के मुकाबले 1 प्रतिशत अधिक थी.

चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का सीमित असर क्यों होगा?
दक्षिण बीजिंग रेलवे स्टेशन पर हाई स्पीड ट्रेनें. हाल के वर्षो में चीन की हाई स्पीड रेल का तेजी से विकास हुआ है जिससे देश का आर्थिक विकास को बहुत मजबूती मिली है.
(तस्वीर : जुजुन/चाइन पिक्टोरियल)
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इस वजह से अर्थव्यवस्था पर SARS महामारी के असर ने बहुत अधिक ध्यान नहीं खींचा. 2020 में चीन की अर्थव्यवस्था नीचे की ओर जाने के दबाव का सामना कर रहा है. हालांकि चीन और अमेरिका ने ट्रेड डील फेज वन पर हस्ताक्षर किए हैं जिससे अंतरराष्ट्रीय कारोबार और निवेश का जटिल माहौल कायम है.

नीति संबंधी स्थायित्व के छह कारणों (सिक्स स्टैबिलिटीज) के समर्थन के बावजूद (जिसका अर्थ होता है कि रोजगार, वित्त, विदेश व्यापार, विदेशी पूंजी, निवेश और उम्मीदों को स्थिर बनाए रखने के लिए निश्चित रूप से काम करना) 2020 की पहली तिमाही में कोरोना वायरस महामारी का बुरा प्रभाव चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. खासकर यह बुरा प्रभाव परम्परागत सेवा उद्योग पर पड़ेगा जैसे परिवहन, पर्यटन, खरीददारी, कैटरिंग, किराए के घर, खेल और मनोरंजन.

बहरहाल अगर महामारी पूरी तरह से 2020 की पहली तिमाही तक सीमित रहती है तो चीन की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में फिर से पटरी पर लौट आएगी.

तीसरी बात यह है कि कोरोना वायरस के प्रकोप से जो क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं वे चीन की अर्थव्यवस्था का महज एक सीमित हिस्सा हैं. 2003 में SARS महामारी के दौरान ग्वांगडांग, बीजिंग, शांग्जी, इनर मंगोलिया, हेबेई, श्यानजिन, हांगकांग और ताइवान सबसे बुरी तरह प्रभावित इलाके थे.

इन इलाकों में ग्वांगडांग, बीजिंग, शांग्जी, इनर मंगोलिया, हेबाई और श्यानजिन देश की 20 फीसदी आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी हैं. कोरोना वायरस के प्रकोप से प्रभावित होने वाले मूल इलाके हेबेई प्रॉविन्स के वुहान और आसपास के क्षेत्र हैं.

2019 में देश की अर्थव्यवस्था में हुबेई प्रॉविन्स की हिस्सेदारी केवल 4.65 प्रतिशत थी. इसलिए हुबेई में आर्थिक गतिविधियों के उतार-चढ़ाव का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर बहुत सीमित प्रभाव ही पड़ेगा.

बहरहाल इस महामारी ने लोगों की आवाजाही और माल ढुलाई पर बहुत ज्यादा असर डाला है. इसके अलावा कई प्रॉविन्स में नगरपालिकाओं और स्वायत्त क्षेत्रों ने सार्वजनिक छुट्टियां बढ़ा दी हैं ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा

चौथी बात यह है कि 2003 में SARS की महामारी के असर से तुलना करें तो चीन की अर्थव्यवस्था अब कोरोना के प्रकोप को झेलने के लिहाज से अधिक लचीली है.

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2003 में चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1300 अमेरिकी डॉलर से कम थी और विदेशी कारोबार पर निर्भरता का अनुपात 51.3 प्रतिशत के स्तर तक ऊंचा था. निवेश और उत्पादन आर्थिक विकास के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण थे.

उस समय चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं समेत चीन की सामाजिक सुरक्षा क्षमता पर्याप्त नहीं थीं और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थितियों का सामना करने के लिहाज से देश के पास अनुभव की भी कमी थी.

चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का सीमित असर क्यों होगा?
डांगफेंग होन्डा ऑटोमोबाइल्स कंपनी लिमिटेड जो चीन की डांगफेंग मोटर कॉर्प और जापान की होंडा मोटर कंपनी का साझा उपक्रम है, ने अपनी तीसरी फैक्ट्री हुबेई प्रॉविन्स के वुहान में शुरू की है.
(फोटो : वीसीजी)

2020 में चीन की प्रति व्यक्ति जीडीपी 10,000 अमेरिका डॉलर को पार कर चुका है और विदेशी कारोबार पर निर्भरता का अनुपात गिरकर 31.8 फीसदी रह गया है. उपभोग और सेवा उद्योग आर्थिक विकास के असल फैक्टर हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य की आपात स्थितियों का सामना करने के ख्याल से स्वास्थ्य जैसी सामाजिक सुरक्षा क्षमता समेत सभी स्तरों पर सरकार की क्षमताओं में महत्वपूर्ण सुधार आया है.

पांचवां, वैश्विक पैमाने पर कोरोना वायरस महामारी का आर्थिक प्रभाव बहुत सीमित होगा.

चूकि चीनी सरकार ने वुहान में कोरोना वायरस की महामारी की स्थिति से दुनिया को बताया और डबल्यूएचओ और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समयबद्ध तरीके से सूचनाएं साझा की, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे रोकने के प्रयासों से जुड़ सका. डबल्यूएचओ ने इन कार्रवाइयों को अच्छे तरीके से समझा है.

इसलिए डबल्यूएचओ की ओर से कोरोना वायरस के प्रकोप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताजनक पब्लिक हेल्थ इमर्जेंसी घोषित करने के बावजूद चीन की यात्रा करने या चीन पर कारोबारी प्रतिबंध नहीं लगाया है. 21वीं सदी में प्रवेश करते हुए आर्थिक, वैश्वीकरण, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग ने ग्लोबल कम्यूनिटी को इस काबिल बनाया है कि वह पीएचईआईसी से प्रभावी तरीके से निपट सके. आमतौर पर बात करें तो इन दिनों पीएचईआईसी का विश्व की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ता है.

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कोरोना वायरस के बुरे असर को कम करने की कोशिश

बहरहाल, चीन की अर्थव्यवस्था और दुनिया पर कोरोना वायरस के प्रकोप के प्रभाव को समझने के लिए हमें यह भी देखना होगा कि लोग कितने परेशान है, बाजार में उतार-चढ़ाव कैसा है और महामारी की वैज्ञानिक रोकथाम और नियंत्रण की कोशिशें कैसी हैं.

चीनी अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के प्रकोप के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए निश्चित रूप से प्रयास करने होंगे ताकि लोगों के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और 13वीं पंचवर्षीय योजना (2016-2020) को सफलता पूर्वक पूरा करने की गारंटी दी जा सके.

सबसे पहले महामारी को रोकने और नियंत्रित करने करने का वैज्ञानिक प्रयास मजबूत करना होगा. 2020 की पहली छमाही में पूरा जोर महामारी की रोकथाम और नियंत्रण पर रहेगा. हम कभी भी सहज रुख नहीं अपना सकते और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि परिस्थिति में स्थिरता बनी रहे.

यह जरूरी है कि पूरे समाज को इकट्ठा किया जाए, सरकार हर स्तर पर अपनी जिम्मेदारी पूरी करे और अलग-अलग विभागों, क्षेत्रों, समुदायों और सामाजिक संगठनों के बीच समन्वय मजबूत हो.

महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एकांत और सबसे अलग-थलग रखने वाला एक प्रभावी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए. इलाज और महामारी रोकने वाले उत्पादों की आपूर्ति और बुनियादी चीजें जल्द से जल्द बढ़ायी जानी चाहिए.

पीड़ित मरीजों के लिए दवाओं का प्रोडक्शन और रिसर्च बढ़ाया जाना चाहिए. दूसरे शब्दों में हमें हर वो कोशिश करनी चाहिए जिससे यह महामारी 2020 की पहली तिमाही में खत्म हो सके और इसका कम से कम बुरा असर हो.

दूसरा, हमें प्रभावी आपूर्ति बढ़ाना होगा और कीमतों को स्थिर रखना होगा. कोरोना का प्रकोप चीनी नववर्ष के दौरान आया. तब ज्यादातर फैक्ट्रियां और कुछ दुकानें उत्सव के कारण बंद थीं. इसके अलावा कुछ इलाकों में लोगों को परेशानी हुई, खाद्यान्न की कीमतें और महामारी की रोकथाम के लिए आपूर्ति पर बुरा असर देखा गया.

चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का सीमित असर क्यों होगा?
(फोटो: जियांग की/शीन्हुआ)
हुबेई प्रॉविन्स के वुहान में दवा की दुकान पर एक स्थानीय नागरिक दवा खरीदता हुआ.
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कुछ व्यापारियों ने इस मौके पर कीमतें बढ़ा दीं और बाजार को अस्त-व्यस्त कर दिया. इसलिए कीमतों को स्थिर रखने के लिए कड़े मानदंड अपनाने होंगे ताकि सामान्य स्थिति लौट सके और जल्द से जल्द प्रभावी आपूर्ति बढ़ायी जा सके. यह बाजार में मूल्य की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है ताकि इस महामारी से लड़ाई में जीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार हो सके.

तीसरा, हमें विकास की गति से ज्यादा विकास की गुणवत्ता को अहमियत देनी होगी.

किसी हद तक कोरोना का प्रकोप लोक स्वास्थ्य की आपात स्थिति है जो यह बताती है कि कई स्थानों में नेताओं ने विकास की गति पर अधिक जोर दिया है और विकास की गुणवत्ता और लोकस्वास्थ्य और सुरक्षा की अनदेखी की है. हाल में कई लोग ‘6 प्रतिशत आर्थिक विकास दर’ का शोर मचा रहे हैं जिससे लोग भ्रमित हो रहे हैं. यह सोच की जड़ता को प्रदर्शित करता है.

2016 से चीन की सरकार ने ऊंचे स्तर की गुणवत्तापूर्ण विकास को अपना मूल लक्ष्य बनाया है और ज्यादा जोर लोगों को संतुष्ट करने और उन्हें फायदा होने के अहसास पर दिया है. हमें निश्चित रूप से यह सोचना होगा कि चीन के दीर्घकालिक आर्थिक सुधार के लिए बुनियादी बातें नहीं बदली हैं.

तिमाही और वार्षिक आधार पर आर्थिक उतार-चढ़ाव अर्थशास्त्र के नियम हैं. इकनॉमिक फैक्टर के इस उतार चढ़ाव से चिंतित होने के बजाए हमें हमारी रणनीति पर विश्वास बनाए रखना होगा.

आखिर में, हमें सुधार की कोशिश, बाजार को खोलना और ऊंचे स्तर का खोज जारी रखनी होगी. चूकि 2012 में हुए 18वें नेशनल कांग्रेस ऑफ द कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) में सुधार और खुलेपन को चीन के सतत विकास और स्वस्थ आर्थिक विकास का मूल वाहक समझा गया था.

“तीन अहम लड़ाईयों”- वृक्षारोपण और प्रमुख जोखिमों को समझना, गरीबी उन्मूलन और प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण- को जीतने के लिए हमें निश्चित रूप से सुधार और खुलेपन पर भरोसा करना होगा. 19वें सीपीसी नेशनल कांग्रेस में इन बातों पर जोर दिया गया था. चीन-अमेरिका के बीच व्यापारिक टकराव से निपटना भी सुधार और खुलेपन पर निर्भर करेगा.
चीन की अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का सीमित असर क्यों होगा?
चीनी टेलीकम्युनिकेशन की बडी कंपनी हुआवेई दुनिया की लीडिंग इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) बन गयी है. तस्वीर बताती है कि कंपनी 1 मार्च 2015 को स्पेन के बार्सिलोना में अपनी स्मार्ट हुआवेई वाच और पहनने वाली गीयर टॉक बी एंड बी लांच कर रही है. 
(फोटो: वीसीजी)

बीते दो सालों से ‘छह स्थिरताओं’ और इससे जुड़ी नीतियों- सुधार, खुलापन और नवाचार- पर हमें टिके रहना होगा. हमें उच्च गुणवत्ता वाले विकास के अपने मूल लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना होगा और 2019 के आखिर में हुए सेंट्रल इकॉनोमिक कॉन्फ्रेंस में लिए गये फैसलों को लागू करना होगा.

ऐसा करने पर ही 13वीं पंचवर्षीय योजना सफलतापूर्वक पूरी होगी और हर मायने में उदार समृद्ध समाज बनाने का हमारा मकसद पूरा होगा. तभी चीन की अर्थव्यवस्था और शहरी और ग्रामीण लोगों की प्रतिव्यक्ति आय 2010 के मुकाबले दोगुनी होगी. 2021 में यह समय सीपीसी की शताब्दी का होगा.

(बीजिंग स्थित चाइना पिक्टोरियल की ओर से यह सामग्री उपलब्ध करायी गयी है. लेखक चीन के नेशनल डेवलपमेंट एंड रीफॉर्म कमीशन के मातहत इंस्टीच्यूट फॉर इंटरनेशनल इकॉनोमिक रिसर्च में ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट रिसर्च के डायरेक्टर हैं.)

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