यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित फैसले का हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. गुरुवार को सैकड़ों फिलिस्तीनियों ने इसे लेकर पश्चिमी तट पर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान इजरायली जवानों के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प भी हुई. जबकि गाजा में कार्यकर्ताओं ने ट्रंप के पोस्टर जलाए. इजरायली जवानों ने प्रदर्शकारियों पर पानी की बौछार की और आंसू गैस के गोले छोड़े. इस दौरान कम से कम 31 प्रदर्शनकारी घायल हो गये.
प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका और इजरायल के झंडे भी जलाए. प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने टायरों में आग लगा दी और इस्राइली जवानों पर पथराव किया. बढ़ते तनाव को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस विवादित फैसले पर पहले ही अरब के कई नेताओं ने बड़े पैमाने पर तनाव की चेतावनी दी थी. हालांकि ट्रंप ने कहा था कि उन्हें यह कदम अमेरिका के हित और इजरायल-फिलिस्तीन के बीच शांति के लिए सही लगा. ट्रंप ने 2016 में अपने प्रचार अभियान के दौरान इस कदम के बारे में वादा किया था.
क्या है यरुशलम विवाद?
1948 से लेकर अब तक यरुशलम को लेकर फिलिस्तीन और इजरायल के बीच विवाद चल रहा है. साथ ही यूनाइटेड नेशन से लेकर दुनिया के ज्यादातर देश पूरे यरुशलम पर इजरायल के दावे को मान्यता नहीं देते हैं. वहीं दोनों ही देश इजरायल को अपनी राजधानी मानते हैं.
साल 1948 में इजरायल ने अपनी आजादी का ऐलान किया था. जिसके एक साल बाद यरुशलम का बंटवारा हुआ. लेकिन 1967 में ‘सिक्स डे वॉर’ के नाम से मशहूर इजरायल और अरब देशों के बीच हुई जंग में इजरायल ने पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया.
साल 1980 में इजरायल ने यरुशलम को अपनी राजधानी बनाने का ऐलान किया था. लेकिन यूनाइटेड नेशन ने इस का विरोध किया और यरुशलम पर इजरायल के कब्जे की निंदा की थी. जिसके बाद से यरुशलम को लेकर फिलिस्तीन और इजरायल लगतार एक दूसरे के आमने-सामने है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)