पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर दुनिया के मुस्लिम देशों में फ्रांस और उसके राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का विरोध किया जा रहा है. इस पूरे विवाद पर मैक्रों का बयान सामने आया है. एक इंटरव्यू में मैक्रों ने कहा कि वो मुस्लिमों की भावनाएं समझते हैं, लेकिन हिंसा को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते.
मैक्रों का ये इंटरव्यू फ्रांस के नीस शहर में हुए आतंकी हमले के बाद आया है. 29 अक्टूबर को नीस में एक ट्यूनीशियाई प्रवासी ने चाकू से तीन लोगों की हत्या कर दी.
अल जजीरा को दिए इंटरव्यू में इमैनुअल मैक्रों ने कहा, “मैं लोगों की भावनाएं समझता हूं और उनका सम्मान करता हूं. लेकिन आपको यहां मेरा रोल समझना होगा, ये दो काम करना है- शांति को प्रमोट करना और इन अधिकारों की रक्षा करना.” मैक्रों ने कहा कि वो हमेशा अपने देश में बोलने, लिखने, सोचने, ड्रॉ करने की स्वतंत्रता का बचाव करेंगे.
इस्लाम को लेकर मैक्रों के बयान के बाद से मुस्लिमों द्वारा उनका विरोध किया जा रहा है, और फ्रांस के सामान का बहिष्कार करने की भी मांग की जा रही है. इसपर मैक्रों ने कहा, “एक देश, लोगों का बहिष्कार करने का फैसला करना, क्योंकि एक अखबार ने हमारे देश में कुछ कहा, अजीब है.”
मैक्रों के किस बयान पर विवाद?
फ्रांस में 16 अक्टूबर को पैगंबर मोहम्मद का कैरीकेचर (उपहासचित्र) छात्रों को दिखाने पर एक शिक्षक का सिर काट दिया गया. ये कार्टून शार्ली हेब्दो में छपे कार्टून की कॉपी था. 18 साल के चेचन-रूसी अब्दुल्लाह जोरोव ने सैमुएल पैटी की हत्या की थी.
इमैनुअल मैक्रों ने इस हत्या को ‘इस्लामिस्ट आतंकी हमला’ बताया था और कहा कि ‘बच्चों को बोलने की आजादी सिखाने के लिए पैटी की हत्या हुई.’ कार्टून का बचाव करते हुए मैक्रों ने कहा था, “हम कार्टूनों को अपनाने से इंकार नहीं करेंगे.”
अल जजीरा को दिए इंटरव्यू में मैक्रों ने इसपर सफाई देते हुए कहा, “मुझे लगता है कि प्रतिक्रियाएं झूठ और मेरे शब्दों को गलत तरह से दिखाने पर आई हैं, क्योंकि लोगों ने समझा कि मैंने इन कार्टूनों का समर्थन किया है.” मैक्रों ने साफ किया कि कैरिकेचर्स सरकारी प्रोजेक्ट नहीं है, ये आजाद अखबारों में छपते हैं, जो कि सरकार से संबंधित नहीं होते.
एक और बयान की आलोचना
इमैनुअल मैक्रों सिर्फ इस एक बयान के कारण मुस्लिम देशों के निशाने पर नहीं हैं. फ्रांस के एक कानून को लेकर दिया गया उनका बयान भी लोगों को पसंद नहीं आया.
फ्रांस में 1905 में एक कानून लाया गया था, जिसने चर्च को राज्य से अलग किया था. मतलब ये है कि धर्म को सरकार से अलग करने के लिए ये कानून लाया गया था.
2 अक्टूबर को इमैनुअल मैक्रों ने ऐलान किया कि वो दिसंबर तक नए बिल पेश करेंगे, जो कि 1905 के एक कानून को और सख्त बनाएगा. ये कानून धर्म को सार्वजानिक जीवन से अलग करता है. इमैनुअल मैक्रों ने कहा, "इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो आज पूरी दुनिया में संकट में है. ये हम सिर्फ अपने देश में ही नहीं देख रहे." मैक्रों की 'संकट' वाली टिप्पणी आपत्ति की वजह बनी है.
मुस्लिम देशों में फ्रांस का विरोध
मुस्लिम देशों में इमैनुअल मैक्रों को लेकर काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है. तुर्की, कतर, जॉर्डन, लीबिया, फलीस्तीन, सीरिया, मोरक्को और लेबनान में प्रदर्शन हो रहे हैं. कई इस्लामिक देशों में ट्रेडर और बिजनेस यूनियन से भी फ्रांस को भी गंभीर बॉयकॉट का खतरा है.
फ्रांस में दो और हमले
फ्रांस में शिक्षक की हत्या के बाद भी दो हमले हो चुके हैं. नीस शहर में 29 अक्टूबर को नात्रे डेम चर्च में तीन लोगों की हत्या कर दी गई. हमलावर ने एक महिला का सिर चाकू से काट दिया और फिर दो लोगों की हत्या कर दी.
31 अक्टूबर को फ्रांस के लियॉन में एक ग्रीक पादरी पर गोली चला दी गई. इस हमले के पीछे की वजह का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है.
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