पुलवामा हमले की साजिश रचने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के खिलाफ फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र का रुख किया है. फ्रांस के इस कदम को भारत के लिए कूटनीतिक जीत माना जा रहा है.
ये दूसरी बार है जब फ्रांस आतंकी सरगना मसूद अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में अपनी आवाज उठाएगा.
फ्रांस 'कुछ दिनों में' संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाकर जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर के नाम को वैश्विक आतंकी सूची में डाले जाने का आग्रह करेगा. फ्रांसीसी सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को यह जानकारी दी.
साल 2017 में अमेरिका ने यूके और फ्रांस के समर्थन के साथ मसूद अजहर के संगठन पर प्रतिबंध लगवाने के लिए प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन ने अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए उसे रुकवा दिया था.
मीडिया से बात करते हुए फ्रांस के एक बड़े अधिकारी ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने के लिए फ्रांस एक प्रस्ताव पेश करेगा..ये कुछ ही दिनों में होने वाला है’’
फ्रांस के अधिकारी ने की डोभाल से बात
पुलवामा हमले पर शोक जताते हुए फ्रांस के अधिकारी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बात की है. उन्होंने डोभाल से दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों को साथ लाकर आतंंक के खिलाफ काम करने को कहा.
रास्ते का रोड़ा है चीन
साल 2016 से लगातार भारत ने कोशिश की है कि वो संयुक्त राष्ट्र के सैंक्शन कमेटी 1267 प्रस्ताव लाकर मसूद अजहर को आतंकी घोषित करवाए. सुरक्षा परिषद के 15 देशों में से 14 देश, जिनमें अमेरिका, फ्रांस और यूके जैसे देश भारत के पक्ष में खड़े रहे हैं.
चीन ने 2017 में वीटो का इस्तेमाल करके प्रस्ताव को रोककर ये साफ कर दिया था कि वो मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने के खिलाफ है और आतंक के खिलाफ भारत के साथ कतई नहीं है.
पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और सख्त रवैया अपना रहा है. जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने भी हमले की जिम्मेदारी ले ली है. अब जब फ्रांस ये प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में रखने जा रहा है और जाहिर है कि अमेरिका भी इसका समर्थन करेगा ही. अब बाकि के देशों पर नजर रहेगी कि वो फ्रांस के इस पहल में कैसा रुख अपनाते हैं.
(इनपुट भाषा से)
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