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ICJ चुनाव: भारत को मिले समर्थन से डरा UK, करवा सकता है वोटिंग रद्द

ब्रिटेन के पास सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता होने से विशेष शक्तियां हैं. भारत के खिलाफ इनका इस्तेमाल करेगा UK

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इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में एक जज के चुनाव को लेकर भारत और ब्रिटेन में जबरदस्त तनातनी हो गई है.

दरअसल आईसीजे में भारत की ओर से दलबीर भंडारी, ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव जीतने के लिए ब्रिटेन अब सभी तरीके अपनाने पर उतारु हो गया है.

सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने से मिली विशेष ताकतों के जरिए अब ब्रिटेन वोटिंग कैंसल करवाकर एक दूसरे तरीके से जज की नियुक्ति करवाना चाहता है. भारत भी ब्रिटेन की इस चाल को काउंटर करने की लगातार कोशिश कर रहा है.

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क्यों ब्रिटेन इतना उतावला है?

दरअसल आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई स्थायी सदस्य आईसीजे की सीट के लिए चुनाव हारा हो. ब्रिटेन तो 1946 से ही इसका सदस्य है. लेकिन इस बार भारत की मजबूत दावेदारी से उसकी सीट पर खतरा मंडरा रहा है.

अब यह चुनाव केवल एक जज का चुनाव न होकर, दो देशों के प्रभुत्व का सवाल बन चुका है. रिपोर्टों के मुताबिक दुनिया के दूसरे देश भी ब्रिटेन की इस धमकी का विरोध कर रहे हैं.

क्या है मामला

आईसीजे में कुल 15 सदस्य होते हैं. एक सदस्य का कार्यकाल 9 साल होता है. हर तीन साल में एक तिहाई सदस्य मतलब 5 रिटायर हो जाते हैं. इस बार भी 5 नए सदस्यों का चुनाव हो रहा है.

आईसीजे में जज बनने के लिए किसी को यूएन जनरल असेंबली (UNGA) सहित सुरक्षा परिषद में बहुमत की जरूरत होती है. मतलब UNGA में 97 सदस्यों का समर्थन और सुरक्षा परिषद के 15 में से 8 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है.

इस बार पहले चार सदस्यों के लिए चुनाव हो चुका है. इसमें फ्रांस के रोनी अब्राहम, सोमालिया के अब्दुलकवी अहमद युसुफ, ब्राजील के अगस्तो कनकाडो और लेबनान के नवाफ सलाम पहले ही चुने जा चुके हैं. पांचवी सीट के लिए दलबीर भंडारी और क्रिस्टोफर ग्रीनवुड में मुकाबला जारी है.

भारत ने जमाई दमदार फील्डिंग

यूएनजीए में 193 सीटों पर हुई कई राउंड की वोटिंग में दलबीर भंडारी का बहुमत लगातार बढ़ता गया. आखिर में लगभग दो तिहाई (121) समर्थन मिला. भारत ने एशिया-अफ्रीका-तीसरे दुनिया के लैटिन अमेरिकी देशों के मजबूत त्रिकोण बनाकर वोटिंग में दमदार बहुमत हासिल किया है.

लेकिन 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में पांचो स्थायी सदस्यों की नाकेबंदी की वजह से भारत को बहुमत नहीं मिला. यहां पांच राउंड में वोटिंग हुई, जहां हर बार भारत को केवल 5 वोट मिले.

फंस गया है डेडलॉक

इस स्थिति के चलते दोनों देशों में डेडलॉक की स्थिति बन गई है. ऐसी स्थिति पहले भी बनी है. इससे निपटने के लिए अगले राउंड की वोटिंग करवाई जाती है. इसमें हर बार वही सदस्य जीता है जिसका जनरल असेंबली में बहुमत रहा है. लेकिन इस बार ब्रिटेन सुरक्षा परिषद में अपनी स्थायी सीट की ताकत इस्तेमाल कर वोटिंग रुकवाना चाहता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में दावा किया है कि सोमवार को अगले राउंड की वोटिंग के बाद ब्रिटेन वोटिंग रुकवा देगा.

वोटिंग के बजाए ब्रिटेन एक तीन मेंबर वाली ज्वाइंट कॉन्फ्रेंस का प्रस्ताव की धमकी दे रहा है. इसमें जनरल असेंबली और सुरक्षा परिषद से एक-एक सदस्य होगा. यह अगले जज का फैसला करेगी. साफ तौर पर इसमें ब्रिटेन के फायदे की स्थिति होगी.

आपको बता दें यह प्रोसेस आज तक इतिहास में उपयोग नहीं किया गया है. 2014 और 2011 में भी डेडलॉक की स्थिति बनी थी, लेकिन तब भी ज्वाइंट कॉन्फ्रेंस वाले विकल्प का इस्तेमाल नहीं किया गया था.

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