वैसे तो ब्रिटेन, सिंगापुर और कई अन्य देशों से स्टूडेंट हायर स्टडी कर सकते हैं. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में वीजा 457 प्रोगाम के तहत आपको अच्छी पढ़ाई के साथ नौकरी के अवसर भी मिल जाते थे. पर अब ऐसा नहीं होगा.
18 अप्रैल को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मार्क टर्नबुल ने वीजा 457 को खत्म करने का ऐलान कर दिया. अब अस्थायी विदेशी कर्मचारियों को इस वीजा के तहत काम नहीं मिलेगा. ऑस्ट्रेलिया में ऐसे 95 हजार लोग हैं, जो दूसरे देशों से आकर यहां काम कर रहे हैं, इनमें 25% भारतीय हैं.
जो लोग इस वीजा के तहत काम कर रहे हैं, उनका वीजा एक्सपायर होने तक वह ऑस्ट्रेलिया में काम कर सकते हैं.
जानिए ऑस्ट्रेलिया क्यों नहीं चाहता भारतीय कर्मचारी
वास्तव में क्या कहता है वीजा 457?
साफ शब्दों में कहें तो वीजा 457 ऑस्ट्रेलिया के बाहर के लोगों को स्किल सेक्टर में काम करने की इजाजत देता है, जहां ऑस्ट्रेलियन वर्करों की कमी है.
क्यों खत्म किया गया ये वीजा?
सरकार का कहना है कि स्किल लेबर सेक्टर में बेरोजगारी कम करने के लिए ऐसा किया गया है, न कि इसलिए कि कंपनियां ऑस्ट्रेलिया के लोगों के मुकाबले विदेशियों को आसानी से हायर कर लेती हैं. हालांकि इसके पीछे कारण तो ऑस्ट्रेलिय के लोगों को प्राथमिकता देना है.
एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक पता चलता है कि ‘वीजा 457’ पाए लोगों में 70% ने ‘पर्मानेंट सिटिजनशिप’ के लिए अप्लाई कर रखा है.
कैसे ऑस्ट्रेलिया में इंडियन स्टूडेंट्स और अस्थाई कर्मचारी होंगे प्रभावित?
यूनेस्को 2017 की रैंकिंग के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया भारतीयों स्टूडेंट्स के लिए दूसरे नंबर पर है. पहले नंबर पर यूएस है. एक अनुमान है कि इस वक्त ऑस्ट्रेलिया में 60 हजार भारतीय पढ़ रहे हैं.
अब वीजा 457 को खत्म करने के कदम से पढ़ाई में तो नहीं, लेकिन नौकरी मे जरूर असर पड़ेगा. वीजा खत्म होने के बाद कंपनियां दो बार सोचेंगी कि वहां काम कर रहे लोगों का कॉन्ट्रेक्ट दोबारा रिन्यू किया जाए या नहीं.
नए वीजा में क्या होगा?
नया शॉर्ट टर्म वीजा अब दो साल के लिए होगा. मिड टर्म वीजा का भी प्रावधान होगा, लेकिन तब जब स्किल क्षेत्र में भारी कमी होगा और ये वीजा 4 साल का मिलेगा.
नए वीजा में संभवत: पिछले काम का एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट मांगा जाएगा और अच्छी अंग्रेजी भी आनी चाहिए. इससे दो और 4 साल वाले वीजा पाए लोगों की नौकरी को खतरा होगा, जिसमें 216 तरह के व्यवसाय आते हैं. जैसे फिशरीज ऑफिसर, शूमेकर और एंटीक डीलर आदि.
जाहिर है इस कदम से निराशा तो जरूर हाथ लगी है. लेकिन वहां रह रहे अस्थाई कर्मचारी और स्टूडेंट्स अभी भी अंतिम गाइडलाइन आने का इंतजार कर रहे हैं और क्लूलेस हैं कि वो आगे क्या करें.
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