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यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार रूस जाएंगे जयशंकर, क्या हैं इस दौरे के मायने?

जयशंकर 8 नवंबर को रूस के ट्रेड मंत्री से मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे.

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यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के दो दिन के दौरे पर जाएंगे. फरवरी में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था और अब दोनों देशों के बीच ये युद्ध नौवें महीने में प्रवेश कर चुका है. जहां आक्रमण को लेकर पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, वहीं भारत इस पूरे मुद्दे पर स्वतंत्र बना हुआ है.

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कब रूस जाएंगे जयशंकर? दोनों देशों के बीच युद्ध के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर पहली बार रूस जाएंगे. जयशंकर 7 और 8 नवंबर को रूस के दौरे पर रहेंगे. जयशंकर की अहम बैठकें 8 नवंबर को होगी. इस दौरान वो रूस के विदेश मंत्री Sergey Lavrov, और डिप्टी प्रधानमंत्री और ट्रेड मंत्री Denis Manturov से मिलेंगे.

जयशंकर IRIGC-TEC (इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन ऑन ट्रेड, इकनॉमिक, साइंटिफिक, टेक्नोलॉजिकल एंड कल्चरल कोऑपरेशन) पर द्विपक्षीय बैठक को को-चेयर भी करेंगे. जयशंकर रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे या नहीं, इसपर अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है.

इस दौरे के क्या मायने? भारत के निष्पक्ष स्टैंड को देखते हुए इसे दोनों देशों के बीच मध्यस्थ के तौर पर भी देखा जा रहा है. इस दौरान पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर होंगी कि क्या भारत, यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए रूस पर दबाव बना सकता है.

द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अधिकारी इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि दोनों देशों के बीच युद्ध में भारत क्या भूमिका निभा सकता है.

उज्बेकिस्तान में हुए एक समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से कहा था कि 'ये युद्ध का समय नहीं है.'
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पुतिन का भारत पर क्या है स्टैंड? भारत और रूस के बीच हमेशा से बेहतर संबंध रहे हैं, और रूस भी भारत को अपने अहम सहयोगी के तौर पर देखता है. हाल ही में, 4 नवंबर को, रूस के यूनिटी डे पर पुतिन ने भारत की तारीफों के पुल बांध दिए. उन्होंने कहा कि भारत विकास में जबरदस्त परिणाम हासिल करेगा.

"भारत अपने विकास के मामले में आउटस्टैंडिंग परिणाम प्राप्त करेगा. इसमें कोई संदेह नहीं है. भारत के पास लगभग डेढ़ अरब लोग हैं. ये बड़ी क्षमता है."
व्लादिमीर पुतिन, रूस के प्रधानमंत्री

इससे पहले एक मौके पर उन्होंने कहा था, "भारत के साथ हमारे विशेष संबंध हैं, जो दशकों से करीबी संबंध की नींव पर बने हैं. भारत के साथ हमारा कभी कोई विवाद नहीं था, हमने हमेशा एक-दूसरे का समर्थन किया है और मैं सकारात्मक हूं कि ये भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा."

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