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जिस ब्रिटेन का सूरज कभी नहीं डूबता था, वहां क्यों मचा है तेल के लिए हाहाकार

ब्रिटेन लगभग एक लाख ड्राइवरों की कमी से जूझ रहा है,लाखों रुपये की सैलरी के विज्ञापनों के बावजूद ड्राइवर नहीं मिल रहे

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पेट्रोल की किल्लत. खाने-पीने की चीजों की दिक्कत, सुपर मार्केट खाली. लोग लंबी-लंबी लाइनों में लगकर गाड़ियों की टंकियां फुल करा रहे हैं. लोग खाने की चीजों की जमाखोरी कर रहे हैं. पीएम को आर्मी की मदद लेनी पड़ रही है.

ये कहानी अफगानिस्तान, पाकिस्तान या फिर शायद किसी गरीब अफ्रीकी देश की नहीं दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक की है. ऐसा देश, जिसके बारे में कहते थे, इसका सूरज कभी नहीं डूबता-इंग्लैंड.

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तो अचानक ऐसा क्या हुआ कि ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन को फ्यूल सप्लाई को बनाए रखने के लिए आर्मी की जरूरत पड़ गई?

क्यों पड़ी आर्मी की जरूरत?

इसकी वजह है, ब्रिटेन का यूरोपीय यूनियन से हटने का फैसला. जिसे दुनिया ब्रेग्जिट नाम से जानती है. इसकी शुरुआत 2008 में आई वैश्विक मंदी से ही शुरू हो गई थी. तब ब्रिटेन मंदी और बेरोजगारी से जूझ रहा था. कई ब्रिटेनवासी मानते थे कि उनके देश को हर साल यूरोपियन यूनियन को बजट के लिए 9 अरब डॉलर देने होते हैं.

साथ ही, ईयू के दूसरे देशों से लोग बिना रोक-टोक ब्रिटेन में आकर बसते जा रहे हैं. ऐसे में उन्हें ऐसा लगा कि उनकी फ्री वीजा पॉलिसी की वजह से देश का नुकसान हो रहा है.

इसके बाद एक लंबी प्रक्रिया के बाद फरवरी 2020 में वो दिन आ ही गया जब ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से अलग हो गया.

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कोरोना महामारी के दौरान पता चले बुरे प्रभाव

लेकिन इसके बुरे प्रभावों का कोरोना महामारी के दौरान पता चला. जब कोरोना के चलते ब्रिटेन में अलग-अलग सामानों की सप्लाई लेकर आने वाले ड्राइवर संक्रमित होने लगे और ब्रेग्जिट की वजह से कई दूसरे यूरोपीय देशों के ड्राइवर अपने-अपने देशों को वापस लौट गए. हालिया पेट्रोल की कमी भी इसी से जुड़ी है.

ब्रिटेन की पेट्रोल रीटेलर्स एसोसिएशन ने कहा कि उसके लगभग 5,000 पेट्रोल पंपों में से दो तिहाई के पास तेल खत्म हो गया है. ऐसा ट्रक ड्राइवरों की कमी के कारण हो रहा है. लोग परेशान होकर जमाखोरी करने लगे हैं. देश में तेल की कमी नहीं है, लेकिन वो टर्मिनलों और रिफाइनरियों के पास पड़ा हुआ है. और उन्हें पेट्रोल पंपों तक पहुंचाने के लिए ड्राइवर नहीं हैं.

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लोकल मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि ब्रिटेन फिलहाल लगभग एक लाख ड्राइवरों की कमी से जूझ रहा है, लाखों रुपये की सैलरी के विज्ञापनों के बावजूद ड्राइवर नहीं मिल रहे.

विडंबना ही है कि ब्रेक्जिट के मुद्दे पर चुनाव जीतने वाली बोरिस जॉनसन को विदेशी ट्रक ड्राइवरों को इमरजेंसी वीजा देने की घोषणा करनी पड़ी है.

सरकार ने फ्यूल टैंकरों के ड्राइविंग लाइसेंस की समयसीमा भी बढ़ा दी है. अब बिना किसी रिफ्रेशर ट्रेनिंग के ही उन्हें ऑटोमैटिक तरीके से रिन्यू किया जा रहा है.

लेकिन देर हो चुकी है. ब्रिटेन की सरकार घर और बाहर में घिर गई है. लेबर पार्टी के नेता कीर स्टॉर्मर ने बोरिस जॉनसन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ''इंडस्ट्री से मिल रही महीनों की चेतावनियों के बावजूद, स्थिति को नियंत्रण से बाहर जाने दिया.''

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इस बदहाली के लिए किसी न किसी को तो जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए.
लिबरल डेमोक्रेट नेता एड डेवी ने कहा कि

फ्रांस के यूरोपीय मामलों के मंत्री क्लेमेंट बुआने ने कहा कि यह स्थिति दिखाती है कि ब्रेक्जिट एक ‘बौद्धिक घोटाला' था.

अब डर है कि कहीं बिन ईंधन ब्रिटेन में एंबुलेंस जैसी सेवाएं बाधित न हों. इसका अर्थव्यवस्था पर भी काफी बुरा असर हो सकता है. सबसे बड़ा डर कि यह ब्रिटेन को सालों पीछे धकेल सकता है.

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