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मोदी का मौजूदा चीन दौरा क्यों है अहम, जान लीजिए 5 वजह

अनौपचारिक कही जा रही मोदी-जिनपिंग बैठक के गहरे मायने हैं 

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प्रधानमंत्री को जून में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की बैठक में चीन जाना है. इसके पहले इस महीने 27-28 अप्रैल को चीन की उनकी यात्रा क्यों अहम मानी जा रही है. आखिर दोनों के बीच किन मुद्दों पर बातचीत होगी. अनौपचारिक कही जा रही इस बैठक के क्या मायने हैं. आइए जानते हैं-

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  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 27-28 अप्रैल की मीटिंग बेहद अहम मानी जा रही है. हालांकि इसे भारतीय प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति के बीच अनौपचारिक बैठक कहा जा रहा है.लेकिन जून में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) में मोदी की संभावित हिस्सेदारी से पहले की इस मुलाकात के गहरे मतलब निकाले जा रहे हैं. इसकी तुलना 1988 के राजीव गांधी के चीन दौरे से की जा रही है. जब चीनी राष्ट्रपति देंग श्याओपिंग से मुलाकात में एलओसी पर शांति और सीमा वार्ता की पहल की गई थी.
  2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस चीन यात्रा से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने वहां पहुंच कर शी जिनपिंग से भारतीय प्रधानमंत्री की बातचीत की जमीन तैयार की है. हालांकि सुषमा स्वराज और निर्मला सीतारमण वहां जून में एससीओ की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के भाग लेने से पहले की तैयारी के लिए गई हैं. लेकिन मोदी-जिनपिंग की अनौपचारिक मुलाकात डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट दूर करने की कोशिश समझी जा रही है. इस बैठक में संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए दोनों नेताओं के बीच ठोस बातचीत हो सकती है.
  3. मोदी-जिनपिंग की बैठक के लिए कोई एजेंडा घोषित नहीं किया गया है. लेकिन डोकलाम, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति, चीन के बेल्ट रोड इनिशिएटिव, भारत की एनएसजी सदस्यता, उद्योग और व्यापार और भारत में चीनी निवेश पर बातचीत हो सकती है. सीमा विवाद पर समझौते की घोषणा की संभावना नहीं है लेकिन चीन 2013 में बॉर्डर डिफेंस को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (BDCA) पर अलग फ्रेमवर्क का प्रस्ताव रख सकता है.
  4. चीन चाहता है कि भारत उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर परियोजना में शामिल हो जाए. लेकिन वह न्यूक्लियर सप्लायर (एनएसजी ग्रुप में भारत की सदस्यता का समर्थन नहीं कर रहा है. साथ ही वह पाकिस्तान को भारत के खिलाफ परोक्ष युद्ध बंद करने को भी नहीं कह रहा है. मोदी-जिनपिंग बैठक में दोनों देशों के रुख में बदलाव की गुंजाइश नहीं है क्योंकि भारत सीपीईसी को अपनी संप्रभुता में दखल मानता है. हालांकि कहा जा रहा है कि इस बैठक में मोदी और जिनपिंग दोनों इस मुद्दे पर कोई नया रुख पेश कर सकते हैं.
  5. मोदी के साथ अपनी बैठक में जिनपिंग चीन-नेपाल-भारत के त्रिस्तरीय इकोनॉमिक कोरिडोर का मुद्दा उठा सकते हैं. नेपाल की ओर से बेल्ट रोड इनिशिएटिव पर दस्तख्त करने के बाद चीन ने इसका प्रस्ताव किया था. चीन का कहना है कि इससे भारत के साथ उसकी कनेक्टिविटी बढ़ेगी. चीन के मीडिया में भारत से इस त्रिस्तरीय कोरिडोर में शामिल होने की अपील की गई है. चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है इससे चीन, भारत और नेपाल समृद्धि के एक नए दौर में पहुंच जाएंगे. तीनों स्वाभाविक दोस्त और पार्टनर हैं.

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