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नोटबंदी के चलते देश ही नहीं, विदेश में रहने वाले भी परेशान

प्रचंड ने मोदी को फोन कर नेपाल में मौजूद 500 -1,000 रुपये के भारतीय नोटों को वापस लेने का इंतजाम करने के लिए कहा.

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नोटबंदी की घोषणा के बाद देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी रह रही भारतीय आबादी को परेशानी हो रही है. इनमें देश की सीमा से सटे लोगों पर ज्यादा मार पड़ी है.

गुरुवार को पड़ोसी देश नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर नेपाल में मौजूद 500 और 1,000 रुपये के भारतीय नोटों को वापस लेने का इंतजाम करने के लिए कहा.

मुसीबत में प्रचंड

प्रचंड और मोदी के बीच फोन पर हुई बातचीत से नेपाली मीडिया को प्रचंड पर आरोप लगाने का मौका मिल गया.

नेपाली मीडिया ने प्रचंड पर आरोप लगाया कि माओवादी नेता ने भारत में छिपे अपने हितों के चलते भारतीय मुद्रा में एक अरब रुपये से अधिक की संपत्ति जुटा रखी है और अब नोटबंदी के बाद उन्हें उस पूरी संपत्ति के बर्बाद होने का डर सता रहा है.

नेपाली मीडिया ने प्रचंड के अलावा 10 साल से अधिक समय तक माओवादी आंदोलन चलाने वाले अन्य माओवादी नेताओं पर इंडियन करेंसी में धन जमा करने का आरोप लगाया गया है.

क्या कहता है आरबीआई?

भारत की 1,850 किलोमीटर लंबी सीमा से जुड़े नेपाल में भारतीय करेंसी लीगल है. नेपाल में हर तरह के लेनदेन में इंडियन करेंसी का प्रचलन खुलकर होता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, 100 रुपये से अधिक वैल्यू वाले नोट को भारत से बाहर नहीं ले जाया जा सकता और इंडियन कस्टम आॅफिशियल इस बैन का सख्ती से पालन करते हैं.

आरबीआई के दिशा-निर्देशों में हालांकि 19 जून, 2014 को एक नया नियम जोड़ा गया, जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति 25,000 रुपये मूल्य से अधिक इंडियन करेंसी भारत से बाहर नहीं ले जा सकता या इतने ही मूल्य की बाहरी करेंसी भारत में नहीं ला सकता.

नेपाल के केंद्रीय बैंक 'नेपाल राष्ट्र बैंक' (एनआरबी) ने बुधवार से ही 500 और 1,000 रुपये के भारतीय नोट बदलने और इसके लेनदेन पर रोक लगा दी है. आरबीआई के अनुसार हालांकि एनआरबी अब तक अवैध तरीके से ऐसा कर रहा था.

एनआरबी के अनुमान के मुताबिक, नेपाली अर्थव्यवस्था में परिचालित 500 और 1,000 रुपये के भारतीय नोटों का कुल मूल्य 3.36 करोड़ रुपये के करीब है.

इंग्लैंड-चीन में भी लोग परेशान

विदेशों में रह रहे इंडियन इमिग्रेंट्स ने भी इसी तरह का मांग की है और उन्होंने सुझाव दिया है कि उनके देशों में स्थित इंडियन एंबेसी में पुराने रद्द कर दिए गए भारतीय नोटों को बदलने की व्यवस्था की जानी चाहिए.

इंग्लैंड में रह रहे इंडियन इमिग्रेंट्स ने भी प्रधानमंत्री मोदी से वहां नोट बदलने की व्यवस्था करने की गुजारिश की है. लंदन स्थित इंडियन हाई कमीशन को हालांकि अभी इस तरह का कोई निर्देश नहीं दिया गया है.

चीन में भी रह रहे भारतीय कारोबारियों ने बीजिंग स्थित इंडियन एंबेसी से नोट बदलने की व्यवस्था करने का आग्रह किया है, लेकिन एंबेसी अधिकारियों ने उन्हें भारत लौटने पर नोट बदलने की सलाह दी है.

फाइनेंस मिनिस्ट्री को इसकी जानकारी पहले से ही थी, लेकिन नोटबंदी के बाद यह बहुत स्पष्ट तरीके से सामने आया है कि विदेशों में 500 और 1000 रुपये के भारतीय नोटों की बहुत बड़ी मात्रा पड़ी हुई है, और विदेशों में रह रहे अप्रवासी भारतीय अब उन पुराने रद्द नोटों को बदलना चाहते हैं.

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