क्या पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पर बैन लगने वाला है? हम यह सवाल इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ (Khwaja Asif) ने बुधवार, 24 मई को कहा कि इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद सैन्य प्रतिष्ठानों पर उनके समर्थकों द्वारा किए गए हमलों के बाद सरकार PTI पर संभावित प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "अभी तक फैसला (पीटीआई पर बैन लगाने का) नहीं लिया गया है, लेकिन निश्चित तौर पर समीक्षा की जा रही है."
उन्होंने कहा कि अगर सरकार PTI पर बैन लगाने का फैसला करती है तो इस मामले को मंजूरी के लिए संसद के पास भेजा जाएगा.
पाकिस्तान में जारी इन चर्चाओं के बीच इमरान खान की पार्टी में हलचल जारी है. पार्टी के कई बड़े चहरे पीटीआई को अलविदा कह चुके हैं. यहां तक कि पाकिस्तान के पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री और पीटीआई के बड़े नेता फवाद चौधरी ने भी पीटीआई से इस्तीफा दे दिया है और इमरान खान से दूरी बना ली है.
9 मई को अर्धसैनिक रेंजरों द्वारा 70 वर्षीय इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लाहौर कॉर्प्स कमांडर हाउस, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित एक दर्जन सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की थी. रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पर भी पहली बार भीड़ ने हमला किया था. पुलिस ने हिंसक झड़पों में मरने वालों की संख्या 10 बताई है.
मीडिया से बात करते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा कि इमरान खान अभी भी अपने समर्थकों द्वारा सैन्य और असैन्य प्रतिष्ठानों पर किए गए हमलों की निंदा करने में अनिच्छुक हैं.
मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि इमरान खान की पार्टी छोड़ने वाले नेता भी यही बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैं जो कह रहा हूं वह पीटीआई छोड़ने वाले सभी लोग कह रहे हैं.'
उन्होंने कहा है कि, "सब कुछ योजना के साथ हुआ. वास्तव में, उन्हें सुविधा प्रदान की गई थी. उन्होंने सैन्य सुविधाओं पर हमलों की निंदा नहीं करने के लिए भी इमरान खान की आलोचना की."
पीटीआई छोड़ने वाले नेताओं की लिस्ट लंबी
9 मई के बाद से पीटीआई के कई सदस्य, जिनमें पूर्व कैबिनेट मंत्री आमिर कियानी और मलिक अमीन असलम शामिल हैं, पीटीआई छोड़ चुके हैं. डॉ शिरीन मजारी ने पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ एक भी शब्द बोले बिना, अपने परिवार की खातिर पीटीआई के साथ-साथ सक्रिय राजनीति छोड़ दी. लगभग दो हफ्ते की अवधि में 9 मई की हिंसा के सिलसिले में डॉ मजारी को पांच बार गिरफ्तार किए जाने के बाद यह फैसला आया है.
फैयाजुल हसन चौहान, पीटीआई के एक पूर्व प्रांतीय मंत्री और पीटीआई के प्रवक्ता ने भी पीटीआई छोड़ दी क्योंकि वह "सेना के खिलाफ बोलने की कल्पना नहीं कर सकते थे."
चौहान ने अपने पूर्व बॉस पर भी निशाना साधा और दावा किया कि उन्होंने पिछले एक साल से पीटीआई के अध्यक्ष के साथ मतभेद पैदा कर लिए थे और उनके लिए बनिगाला और जमान पार्क के दरवाजे बंद कर दिए थे.
उच शरीफ से पीटीआई के पूर्व एमपीए मखदूम इफ्तिखार अली गिलानी ने भी पाकिस्तान में 9 मई की हिंसा के बाद पार्टी छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा की. गिलानी ने कहा कि उन्होंने अभी तक किसी पार्टी में शामिल होने का फैसला नहीं किया है और इस उद्देश्य के लिए वह अपने मतदाताओं से चर्चा करेंगे.
कराची में, पीटीआई एमपीए, उमर ओमारी और बिलाल अहमद गफ्फार की जोड़ी ने भी घोषणा की कि वे पार्टी छोड़ रहे हैं. बिलाल गफ्फार ने 9 मई के विरोध प्रदर्शनों की निंदा करते हुए सिंध विधानसभा से इस्तीफा देने के अपने फैसले की भी घोषणा की.
इससे पहले रविवार को पार्टी एमएनए और कराची चैप्टर के अध्यक्ष आफताब सिद्दीकी ने समान आधारों का हवाला देते हुए यही फैसला लिया था. पिछले हफ्ते, पीटीआई एमएनए महमूद मौलवी और सांसद डॉ संजय गंगवानी और डॉ इमरान अली शाह ने पार्टी छोड़ दी और विधानसभाओं से इस्तीफा दे दिया था.
इस बारे में पूछे जाने पर कि नेता पीटीआई क्यों छोड़ रहे हैं, इमरान खान ने जवाब दिया, “लोग नहीं छोड़ रहे हैं; उन्हें बंदूक की नोक पर पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.”
उन्होंने कहा: "राजनीतिक दलों को इस तरह की रणनीति के माध्यम से नष्ट नहीं किया जा सकता है. एक [राजनीतिक] पार्टी को केवल अपने वोट बैंक की कमी से समाप्त किया जा सकता है."
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