अफगानिस्तान (Afghanistan) में हर गुजरते दिन के साथ स्थिति खराब होती जा रही है. अशांति और हिंसा बड़े स्तर पर फैल चुकी है. तालिबान (Taliban) कम से कम नौ प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुके हैं. राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) की मुश्किलें बढ़ रही हैं और वो मदद के लिए अब वारलॉर्डस से मुलाकात कर रहे हैं. लेकिन इस सबके बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने ऐसा बयान दिया है, जिससे देश के मंसूबों पर शक होता है.
प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने कहा है कि अशरफ गनी के राष्ट्रपति रहते तालिबान अफगान सरकार से बातचीत नहीं करेगा. इमरान का बयान ऐसे समय में आया है जब तालिबान और अफगान सरकार की दोहा में चल रही बातचीत लगभग बंद हो गई है.
इस्लामाबाद में विदेशी पत्रकारों से बात करते हुए इमरान खान ने कहा कि 'मौजूदा परिस्थितियों में राजनीतिक समाधान मुश्किल लगता है.'
"तीन चार महीने पहले जब तालिबान यहां आए थे, तो मैंने उन्हें मनाने की कोशिश की थी. बात ये है कि जब तक अशरफ गनी राष्ट्रपति रहेंगे, तालिबान अफगान सरकार से बात नहीं करेंगे."पाकिस्तान के द न्यूज इंटरनेशनल ने इमरान खान के हवाले से बताया
पाकिस्तान पर अशांति फैलाने का आरोप
पाकिस्तान पर सालों से तालिबान को समर्थन देने और उन्हें पनाह देने का आरोप लगता रहा है. अफगान नेता और लोगों का कहना है कि पाकिस्तान तालिबान के जरिए अफगानिस्तान में अशांति फैलाता है. पाकिस्तानी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इस आरोप को झूठा बताते आए हैं.
अफगान सरकार में उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह पाकिस्तान के कट्टर आलोचक हैं और सोशल मीडिया के जरिए उस पर हमला बोलते रहते हैं. न्यूज एजेंसी ANI का कहना है कि हाल ही में अफगानिस्तान के लोगों ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के खिलाफ कैंपेन भी चलाया था.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि उनके लिए तालिबान को पकड़ना मुश्किल है क्योंकि लाखों की संख्या में अफगान शरणार्थी पाकिस्तानी सीमाओं पर रहते हैं और उनमें से तालिबान की पहचान करना मुमकिन नहीं.
हालांकि, इसी इंटरव्यू में इमरान ने तालिबान को 'सामान्य नागरिक' बताया था. खान ने कहा था, "तालिबान कोई सैन्य संगठन नहीं है, वो सामान्य नागरिक हैं."
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