पाकिस्तान ने कहा है कि उसे अमेरिकी सैन्य सहायता की परवाह नहीं है. पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा ने कहा है कि उनका देश नहीं चाहता कि सैन्य सहायता रोके जाने के बाद अमिरका इसे फिर बहाल करे. उन्होंने कहा कि अमेरिका के रवैये से उनका देश छला हुआ महसूस कर रहा है.
जनरल बाजवा ने कहा कि हम नहीं चाहते कि अमेरिका सैन्य सहायता रोकने के बाद दोबारा इसे बहाल करे लेकिन हम यह जरूर चाहते हैं कि वह आतंक के खिलाफ पाकिस्तान के योगदान को सम्मानजनक मान्यता दे. आतंक के खिलाफ कार्रवाई में पाकिस्तान का बड़ा योगदान है और उसने कई बलिदान दिए हैं. आतंक के खिलाफ लड़ने में पाकिस्तान ने जबरदस्त प्रतिबद्धता दिखाई है.
नए साल पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा था कि आतंक पर नकेल कसने के नाम पर पिछले 15 साल में पाकिस्तान अमेरिका से 33 अरब डॉलर ले चुका है लेकिन बदले में उसे झूठ और फरेब ही मिला है. इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान की सैन्य सहायता रोक दी. इसमें पाकिस्तान को मिलने वाला 25 करोड़ डॉलर शामिल है. फॉरेन मिलिट्री फाइनेंसिंग फंड और कोलिशन सपोर्ट फंड (सीएसएफ) के तहत उसे सात करोड़ डॉलर दिया जाता है.
जनरल बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान अपने यहां अफगानिस्तान नागरिकों की गैरकानूनी गतिविधियों के प्रति अमेरिकी चिंता से वाकिफ है. हमने रद्द उल फसाद के तहत पाकिस्तान में हर तरह के आतंकियों के खिलाफ कदम उठाए हैं. इस बीच, पाकिस्तान और अमेरिकी अधिकारियों के बीच सैन्य सहायता रोके जाने के मसले पर बातचीत हुई है. हालांकि इस बारे में उन्होंने कोई खास जानकारी देने से इनकार कर दिया.
अमेरिका ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों और हक्कानी नेटवर्क को काबू नहीं कर रहा है. इसके बाद दोनों के रिश्तों में तनातनी का दौर चल रहा है.
इनपुट : पीटीआई
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