भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ब्रिटेन के प्रधानमंत्री (UK Prime Minister) बनने जा रहे हैं. उन्होंने दिवाली के दिन पेनी मोरडॉन्ट को मात देते हुए सुनक ने अपने लिए राह हमवार की है, क्योंकि बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) रविवार को ही इस रेस से हट गए थे. 3 महीने पहले जब बोरिस जॉनसन को इस्तीफा देना पड़ा और कंजर्वेटिव पार्टी अपने नए नेता की तलाश में निकली तो ऋषि सुनक सबसे आगे चल रहे थे लेकिन अंत में वो लिज ट्रस से पीछे रह गए. और वो ब्रिटेन की प्रधानंत्री बन गईं.
लेकिन लिज ट्रस ने 45 दिन के भीतर इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद ऋषि सुनक एक बार फिर ब्रिटेन का पीएम बनने की रेस में सबसे आगे आ गए. किसी भारतीय के नजरिए से देखेंगे तो ये दोगुनी खुशी और गर्व का दिन है. क्योंकि आज दिवाली है, उससे एक दिन पहले क्रिकेट में टीम इंडिया ने पाकिस्तान को वर्ल्ड कप में हराया है. अब भारतीय मूल का एक प्रधानमंत्री उस देश का प्रधानमंत्री बन गया है जिसने कभी भारत को गुलाम बनाया था.
ब्रिटेन के पीएम की कुर्सी तक कैसे पहुंचे ऋषि सुनक?
अगर लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद की बात करें तो 23 अक्टूबर को ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पीएम की रेस से अपना नाम वापस ले लिया. जिसके बाद उनके सामने केवल पेनी मॉरडॉन्ट बची थीं, जिनके पास बहुत ज्यादा समर्थन नहीं था. और आखिरकार 24 अक्टूबर की शाम को उन्होंने भी नाम वापस ले लिया. लेकिन ऋषि सुनक की राह ये सामने दिख रही हालिया सड़क नहीं है. बल्कि उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए लंबे रास्ते पर सही वक्त सही टर्न लेकर सफर तय किया है.
सच साबित हुई सुनक की भविष्यवाणी
ऋषि सुनक एक बैंकर के तौर पर पहचान रखते हैं. जॉनसन की पिछली सरकार में वो वित्त मंत्री रहे और उनके काम को खूब सराहा गया. जब लिज ट्रस प्रधानमंत्री बनीं तो 23 सितंबर को वो एक मिनी बजट लेकर आईं. जिसमें 45 अरब पाउंड की टैक्स कटौती का वादा किया गया. इस फैसले पर ऋषि सुनक ने आपत्ति जताई और कहा कि इससे आर्थिक स्थिति बिगड़ जाएगी. नतीजा ये हुआ कि मार्केट गिर गया. 26 सितंबर आते-आते डॉलर के मुकाबले पाउंड गिरने लगा और इनेस्टर्स के इरादे डगमगाने लगे. हालात ऐसे बने कि लिज ट्रस ने 3 अक्टूबर को टैक्स में कटौती का अपना फैसला वापस ले लिया.
14 अक्टूबर को वित्त मंत्री भी बदल दिये गये और क्वासी वारटेंड की जगह जेरेमी हंट ने ले ली. लिज ट्रस के इस फैसले के बाद उन पर लगातार सवाल उठने लगे. फिर अचानक 20 अक्टूबर को लिज ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इसके बाद कंजर्वेटिव पार्टी के नेताओं ने कहना शुरू कर दिया कि सुनक की बात सही थी. यहीं से ऋषि सुनक के लिए रास्ता साफ होने लगा था.
पर्दे के पीछे भी चल रही थी एक पिक्चर
लिज ट्रस अपने फैसलों के बाद चारों तरफ से घिरी थीं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, लिज ने हर किसी को निराश किया था, जिसके बाद 1922 कमेटी की मीटिंग बुलाकर एक साल का नियम खत्म करने की मांग उछने लगी. अब 1922 की कमेटी और एक साल वाला नियम क्या है. दरअसल कंजर्वेटिव पार्टी में एक रूल बुक कमेटी है जिसे 1922 कमेटी कहा जाता है. इस बुक में लिखा है कि प्रधानमंत्री को हटाने के दो तरीके हो सकते हैं पहला इस्तीफा और दूसरा अविश्वास प्रस्ताव. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव एक साल से पहले नहीं लाया जा सकता, इसी एक साल के नियम को बदलने की मांग हो रही थी.
लेकिन पार्टी ने बीच का रास्ता अपनाय, दरअसल इसी रूल बुक में औक और नियम है कि पार्टी अपने नेता को हटा सकती है, बशर्ते कि पार्टी के 50 फीसदी या उससे ज्यादा सांसद कमेटी चीफ से जाकर नेता को हटाने की मांग करें. और यही किया गया.
ऋषि सुनक को मिला खुला समर्थन
लिज के जाने के बाद कंजर्वेटिव पार्टी के कई बड़े नेताओं ने उनका खुला समर्थन किया. जिनमें पूर्व मंत्री प्रीति पटेल, जेम्स क्लेवरली और नादिम जहावी ने भी ऋषि सुनक को सपोर्ट किया.
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने ट्वीट कर कहा कि मैंने दशक पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी जो सच साबित हुई.
और अंत में पैनी मोरडॉन्ट ने भी सुनक का समर्थन कर अपना नाम वापस ले लिय.
वित्त मंत्री रहते इन फैसलों ने बनाया लोकप्रिय
जॉब रिटेंशन स्कीम
कोरोना काल में ऋषि सुनक ने वित्त मंत्री रहते मार्च 2020 में जॉब रिटेंशन स्कीम की शुरुआत की. जिसके तहत क्वालीफाई करने वाली कंपनियों को सभी कर्मचारियों कुल तनख्वाह और एम्प्लॉयमेंट कॉस्ट का 80 फीसदी हिस्सा सरकार देती थी. जिससे एक कर्मचारी को हर महीने करीब सवा दो लाख रुपये तक की मदद मिल रही थी.
इट आउट टू हेल्प आउट
इंग्लैंड के होटल्स और रेस्टोरेंट्स को दोबारा खड़ा करने के लिए सुनक ने ये स्कीम शुरू की थी. इसके तहत स्टांप ड्यूटी और वैट में छूट से होटल्स के साथ-साथ रेस्टोरेंट्स के लिए हर ऑर्डर की लागत करीब 50 प्रतिशत तक कम हो गई थी.
बिग टेक कंपनियों पर टैक्स
जून 2021 में ऋषि सुनक ने लैंकेस्टर हाउस में जी7 देशों की शिखर वार्ता की अध्यक्षता की. उनकी पहल पर सभी सदस्य देश मल्टीनेशनल कंपनियों और फेसबुक, गूगल जैसी बिग टेककंपनियों पर एक न्यूनतम टैक्स लगाने पर सहमत हुए.
सांसद से पीएम तक का सफर
यॉर्कशायर के रिचमंड से सांसद ऋषि सुनक 2015 में पहली बार संसद पहुंचे थे. उस समय ब्रेग्जिट का समर्थन करने के चलते टोरी पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ता चला गया. इसके बाद फरवरी 2020 में उस समय इतिहास रच दिया था, जब बोरिस जॉनसन ने उन्हें देश का वित्त मंत्री नियुक्त किया था. सांसद के तौर पर अपने पांचवें ही साल में, सुनक को ब्रिटेन के वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंप दिया गया. फरवरी 2020 में, साजिद जाविद के इस्तीफा देने के बाद उन्हें ब्रिटेन का नया चांसलर ऑफ द एक्सचेकर नियुक्त किया गया. इससे पहले ऋषि सुनक ने 2019 से 2020 के बीच ट्रेजरी के मुख्य रूप में काम किया.
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