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Salman Rushdie ने क्या लिखा कि कट्टरपंथियों ने सर पर रख दिया $3.3 मिलियन का इनाम

Salman Rushdie Attacked : लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका न्यूयॉर्क में हमला

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Salman Rushdie ने क्या लिखा कि कट्टरपंथियों ने सर पर रख दिया $3.3 मिलियन का इनाम
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लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका के न्यूयॉर्क में हमला (Salman Rushdie Attacked) किया गया है. सलमान रुश्दी पर शुक्रवार, 12 अगस्त उस समय हमला किया गया जब वह पश्चिमी न्यूयॉर्क के Chautauqua Institution में अपना लेक्चर देने वाले थे. रिपोर्ट के अनुसार सलमान रुश्दी की स्थिति के बारे में तत्काल पता नहीं चल सका है. चलिए आपको बताते हैं कि 1947 में मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में एक कश्मीरी-मुस्लिम परिवार में जन्में सलमान रुश्दी ने अपने किताबों में ऐसा क्या लिखा कि वे मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गए और उनकी हत्या के लिए $3.3 मिलियन तक का इनाम रख दिया गया.

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सलमान रुश्दी: विवादों का सागर

रुश्दी जिस किताब के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, उसी किताब में लिखी बात उनके जीवन के लिए खतरा बन गयी. 1988 में उन्होंने सैटेनिक वर्सेज (Satanic Verses) नाम की किताब प्रकाशित की, जिसने उन्हें उस वर्ष व्हिटब्रेड अवार्ड दिलाया था. हालांकि इस किताब में जिस तरह से उन्होंने इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद के बारे में लिखा था, उस कारण इसे कई देशों में बैन कर दिया गया.

मुसलमानों का मानना ​​​​है कि पैगंबर मुहम्मद के पास जिब्रील नाम का फरिश्ता आया था - अंग्रेजी में गेब्रियल - जिन्होंने 22 साल तक पैगंबर मुहम्मद को खुदा की कही बातों को दोहराया. आगे मुहम्मद ने अपने अनुयायियों को ये शब्द दोहराए. ये अंततः लिखे गए और कुरान की आयतें और अध्याय बन गए.

रुश्दी का उपन्यास इसी मान्यताओं का इस्तेमाल करता है. उपन्यास के मुख्य पात्रों में जिब्रील भी है. रुश्दी ने इस किताब में कथित तौर पर मुहम्मद के लिए विवादस्पद नाम चुना है. पैगंबर को उपन्यास में महौंड (Mahound) कहा गया है - मुहम्मद के लिए एक वैकल्पिक नाम जो ईसाइयों द्वारा मध्य युग के दौरान इस्तेमाल किया जाता था जो उन्हें शैतान मानते थे.

किताब में रुश्दी का किरदार महौंड (Mahound) अपनी बातों को ही जिब्रील फरिश्ता का कहा बताता है और अपने अनुयायियों को सुनाता है ताकि आसानी से उसके खुद के उद्देश्य पूरे हो जाए.

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फतवा हुआ जारी, छिपकर रहना पड़ा

किताब छपने के एक साल बाद, 1989 में ईरान के नेता अयातुल्ला खोमेनी ने रुश्दी की हत्या करने के लिए फतवा जारी कर दिया. साथ ही पैगंबर का अपमान करने के लिए उनके प्रकाशकों की भी हत्या का आह्वान किया था.

भारत में एक मुस्लिम परिवार में जन्मे, लेकिन तब तक ब्रिटिश नागरिक बन चुके रुश्दी को एक दशक के अधिक समय तक छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा. जबकि रुश्दी अपनी जान बचाने में कामयाब रहे, उनकी किताब के जापानी अनुवादक हितोशी इगारशी की 1991 में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. 1991 में ही इतालवी अनुवादक एटोर कैप्रियोलो को छुरा घोंपकर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया और नॉर्वे के प्रकाशक विलियम न्यागार्ड को 1993 में तीन बार गोली मारी गई थी, लेकिन वे बच गए.

खुमैनी की मृत्यु के बाद, 1998 में ईरान की सरकार ने घोषणा की कि वह उनके फतवे को लागू नहीं करेगी या दूसरों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेगी. लेकिन ईरान में अभी भी रुश्दी विरोधी भावना बनी हुई है. 2012 में, एक अर्ध-सरकारी ईरानी धार्मिक फाउंडेशन ने रुश्दी के सर पर रखे इनाम को 2.8 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 3.3 मिलियन डॉलर कर दिया. रुश्दी अब अमेरिका में रहते हैं और सार्वजनिक रूप से लेक्चर देते दिखाई देते हैं.

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