राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने आपातकालीन संकट से जूझ रहे श्रीलंका में आपातकाल (Emergency In Sri Lanka) की घोषणा कर दी है. इस घोषणा के महज एक दिन पहले गुस्साए नागरिकों ने उनके घर के सामने विरोध प्रदर्शन करते हुए उनके तत्काल इस्तीफे की मांग की थी.
शुक्रवार की देर रात जारी एक गजट अधिसूचना में कहा गया है कि "सार्वजनिक सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था की सुरक्षा और समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं के रखरखाव के हित में" तत्काल प्रभाव से आपातकाल की स्थिति लागू की गई है.
गुस्से में सड़कों पर हैं नागरिक
ये कदम देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे विरोध के बाद सामने आया है. राष्ट्रपति ने गुरुवार की रात अपने निजी आवास के बाहर एक बड़े विरोध प्रदर्शन के लिए "संगठित चरमपंथियों" को दोषी ठहराया. गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम दिख रहे राष्ट्रपति के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है.
पुलिस ने बताया कि 50 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है. गुस्साए नागरिकों की सड़कों को जाम करने और सरकार से पद छोड़ने की मांग की खबरों के बीच इलाके में रात भर कर्फ्यू लगा दिया गया. राष्ट्रपति के मीडिया डिवीजन ने कहा कि एक समूह ने "लोहे की छड़ें, क्लब और लाठी लेकर प्रदर्शनकारियों को उकसाया और राष्ट्रपति के निवास की ओर मार्च किया."
“इस हिंसक घटना में शामिल लोगों में से कई को गिरफ्तार कर लिया गया है और कई की पहचान संगठित चरमपंथियों के रूप में की गई है. उन्होंने इस देश में एक 'अरब स्प्रिंग बनाएं' के नारे लगाते हुए विरोध का नेतृत्व किया था."
सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की एक टीम ने शुक्रवार सुबह एक संवाददाता सम्मेलन में हिंसा के लिए विपक्षी दलों के चरमपंथियों को दोषी ठहराने की मांग की. कोलंबो में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर ने एक ट्वीट में कहा: "हम घटनाक्रम की निगरानी कर रहे हैं और श्रीलंका में हिंसा की खबरों से चिंतित हैं. सभी समूहों से संयम बरतने का आह्वान करते हैं."
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