तालिबान ने ऐलान कर दिया है कि वो अफगानिस्तान के साथ किसी भी चर्चा में हिस्सा नहीं लेगा जब तक अफगान की सरकार उनके करीब 5000 बंदियों को रिहा नहीं करती. साथ ही तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि वो अफगानिस्तान के साथ आंशिक संघर्ष विराम का करार खत्म करते हैं और अब तालिबान अफगानिस्तान के सुरक्षाबलों के खिलाफ अपना अभियान जारी रखेंगे. ठीक इसी दिन अफगानिस्तान में फुटबॉल मैदान में हुए धमाके में तीन नागरिकों की जान चली गई.
समझौते में तय हुआ था कि अफगानिस्तान 10 मार्च तक तालिबान के 5000 कैदियों को रिहा कर देगा. हालांकि ये समझौता अमेरिका और तालिबान के बीच हुआ था. इसमें अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी शामिल नहीं थे.
AFP के मुताबिक किसी भी संगठन में अभी तक पूर्वी अफगानिस्तान के खोस्ट में फुटबॉल स्टेडियम में हुए हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. ब्लास्ट करीब-करीब उसी वक्त हुआ जिस वक्त तालिबान ने अपने लड़ाकों को अफगानिस्तान की आर्मी और पुलिस फोर्स पर हमला करने का आदेश दिया था. AFP से बात करते हुए तालिबान के प्रवक्ता ने कहा-
हिंसा में जो रोक लगाई थी उसे खत्म कर दिया गया है. अब हमारे ऑपरेशंस आम तौर पर जैसे काम किया करते हैं वैसे ही काम करेंगे. अमेरिका-तालिबान समझौते के तहत हमारे मुजाहिद्दीन विदेशी सेनाओं पर हमला नहीं करेंगी लेकिन काबुल कीसरकार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी.जबीहुल्लाह, तालिबान प्रवक्ता
US-तालिबान में हुई थी ऐतिहासिक डील
अमेरिका और तालिबान ने 29 फरवरी को कतर के दोहा में ऐतिहासिक समझौत पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते के मुताबिक, अमेरिका और उसके सहयोगी अफगानिस्तान से 14 महीनों के अंदर अपनी पूरी फोर्स वापस बुला लेंगे, अगर तालिबान समझौते का पालन करता है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि तालिबान से हुआ समझौता तभी कारगर साबित होगा, जब तालिबान पूरी तरह से शांति कायम करने की दिशा में काम करेगा. इस समझौते के साथ ही अमेरिका और अफगान तालिबान ने 18 साल लंबे रक्तपात को खत्म करने की पहल पर काम किया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)