अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के न्योते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाशिंगटन में शुरू हुए दो दिवसीय परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं.
सम्मेलन का मकसद अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), यूएन, इंटरपोल, ग्लोबल इनीशिएटिव टु कॉम्बैट न्यूक्लियर टेररिज्म और जी-7 देशों के बीच जनसंहार के हथियारों के विस्तार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग बनाना है.
व्हाइट हाउस में सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा आयोजित स्पेशल रात्रिभोज के दौरान मोदी ने परमाणु सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय आतंकवाद से जुड़ी कई बातें कहीं.
मोदी ने कहा कि परमाणु सुरक्षा सभी देशों के लिए एक बाध्यकारी राष्ट्रीय प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी देशों को अपने अंतरराष्ट्रीय कर्तव्यों का पूरी तरह पालन करना चाहिए.
परमाणु सुरक्षा पर मोदी बोले...
- परमाणु सुरक्षा एक बाध्यकारी राष्ट्रीय प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए.
- सभी देशों को अपने अंतरराष्ट्रीय कर्तव्यों का पूरी तरह पालन करना चाहिए.
- परमाणु सुरक्षा को विशेष तौर पर रेखांकित करके ओबामा ने वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा योगदान दिया है.
- ब्रसेल्स हमला दिखाता है कि परमाणु सुरक्षा पर आतंकवाद के कारण मंडराने वाला खतरा कितना वास्तविक और तात्कालिक है.
- परमाणु तस्कर और आतंकियों के साथ मिलकर काम करने वाले सरकारी तत्व अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर सबसे बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं.
आतंकियों से मिले हुए सरकारी तत्व सबसे खतरनाक
अपने वक्तव्य में पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि परमाणु तस्करों और आतंकियों के साथ मिलकर काम करने वाले सरकारी तत्व इस दुनिया के लिए बड़ा खतरा हैं. मोदी ने अपील करते हुए कहा,
यह सोचना एक बड़ा भारी भ्रम है कि उसका आतंकी, मेरा आतंकी नहीं है. या आतंक किसी एक की मुसीबत है. इसलिए आतंकवाद से निपटने के लिए एक वैश्विक नेटवर्क बनाने की जरूरत है, जबकि हम सब अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर इस खतरे से निपटने में लगे हैं.
आतंकवाद पर साधा निशाना, बोले...
- आज का आतंकवाद चरमपंथी हिंसा का इस्तेमाल युद्धक्षेत्र की तरह करता है.
- अब हम किसी गुफा में छिपे आदमी की तलाश नहीं कर रहे.
- अब हम उस आतंकी की तलाश में हैं, जो शहर में मौजूद है और जो कंप्यूटर और स्मार्टफोन से लैस है.
- आतंकवाद विकसित हो गया है और आतंकी 21वीं सदी की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.
- लेकिन हमारी प्रतिक्रियाएं अब भी पुराने जमाने की हैं.
- देशों के बीच स्वाभाविक सहयोग वैश्विक नहीं है.
व्हाइट हाउस में रात्रिभोज के दौरान मोदी ओबामा से ठीक अगली सीट पर बैठे थे. इस भोज में 20 से ज्यादा देशों के प्रमुख शामिल थे.
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