इन दिनों यूएस के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट दुनियाभर में ‘पॉइंट ऑफ डिस्कशन’ बने हुए हैं. पिछले दिनों जहां डोनाल्ड ट्रंप महिलाओं के बारे में टिप्पणी को लेकर चर्चा में थे, वहीं अब चुनाव के ठीक पहले डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के लीक ईमेल मामले की जांच एफबीआई ने शुरू कर दी है.
अमेरिका में चुनाव प्रक्रिया पर पढ़ें हमारी पूरी रिपोर्ट :
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी दिनोंदिन तेज होती जा रही है. रिपब्लिकन कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के बीच ‘वर्ड वॉर’ की खबरें लगातार आ रही हैं. अमेरिका में चुनाव की प्रक्रिया भारत से बिल्कुल अलग है. आइए समझते हैं कि कैसे होता है अमेरिका में चुनाव...
1. दो चरणों में होता है चुनाव
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए वैसे तो चुनाव 8 नवंबर को होना है, लेकिन इसकी शुरुआत आयोवा कॉकस से हो चुकी है. अमेरिका में पार्टियां जनता और कार्यकर्ताओं के चुने हुए उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारती हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दो फेज हैं: प्राइमरी-कॉकस और फिर इलेक्शन डे.
2. ऐसे पूरा होता है फर्स्ट फेज
अमेरिका में पहले चरण के चुनाव को भी दो हिस्सों में बांटा गया है, पहला- प्राइमरी और दूसरा- कॉकस. प्राइमरी चुनाव का परंपरागत तरीका है, जिसे अधिकतर राज्यों में अपनाया जाता है. इसमें रजिस्टर्ड वोटर्स को ही वोट डालने का मौका मिलता है. ये लोग वोट डालकर पार्टी को बताते हैं कि उनकी पसंद का उम्मीदवार कौन है.
कॉकस में पार्टी के पारंपरिक वोटर ही हिस्सा लेते हैं और डेलीगेट्स चुनकर भेजते हैं, जो कि उम्मीदवार को नॉमिनेट करते हैं. कॉकस प्रक्रिया अमेरिका के 10 राज्यों (आयोवा, अलास्का, कोलार्डो, हवाई, कन्सास, मैनी, नेवाडा, नॉर्थ डैकोटा, मिनीसोटा और वायोमिंग) में अपनाई जाती है.
3. अयोवा प्रांत से शुरू होती है रेस
राष्ट्रपति चुनाव की रेस आयोवा प्रांत में कॉकस प्रक्रिया से ही शुरू होती है. इसके अलावा अन्य 40 राज्यों में प्राइमरी प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसके तहत वोटर्स मतदान करते हैं और अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनते हैं.
4. फिर आता है ‘सुपर ट्यूजडे’
अमेरिका में जब भी राष्ट्रपति चुनाव होते हैं, तो सुपर ट्यूज डे यानी 1 मार्च को मतदान जरूर होता है. यह इसलिए भी खास है, क्योंकि इस दिन एक साथ कई राज्यों में प्राइमरी इलेक्शन होता है. राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए अपनी-अपनी पार्टियों में चुनाव लड़ने वालों के लिए यह निर्णायक दिन होता है. 2008 में 24 राज्यों में प्राइमरी इलेक्शन हुआ था. इस बार एक साथ 14 राज्यों में वोट डाले गए.
सुपर ट्यूजडे को तय होता है कि रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्मीदवार कौन होगा और डेमोक्रेट्स के किस नेता पर दांव लगाएंगे.
5. कॉकस में डेलिगेट्स करते हैं तय
डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए प्रत्याशी को 4,763 में से 2,382 का समर्थन हासिल करना होगा. इसी प्रकार से रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए 2,472 में से 1,236 डेलिगेट्स का समर्थन हासिल करना होगा.
6. जुलाई में नेशनल कन्वेंशन मीटिंग
प्राइमरी और कॉकस समाप्त होने के बाद जुलाई में रिपब्लिकन पार्टी क्लीवलैंड में अपनी नेशनल कन्वेंशन की बैठक बुलाएगी, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी फिलाडेल्फिया में. इसी नेशनल कन्वेंशन में दोनों दल अपने-अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर देंगी.
7. नाम की घोषणा के बाद नामांकन
उम्मीदवारों के चयन के बाद 14 जून तक राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी नामंकन दाखिल कर देंगे और फिर शुरू होगा चुनाव प्रचार.
8. नवंबर के पहले हफ्ते में इलेक्शन डे
आम तौर पर नवंबर के पहले हफ्ते में इलेक्शन डे होता है, जिसमें जनता वोट डालती है. इस बार 8 नवंबर को इलेक्शन डे होगा. अपनी-अपनी पार्टी में उम्मीदवारी की रेस जीतने के बाद दोनों प्रत्याशी इलेक्शन डे पर आमने-सामने आते हैं.
9. इलेक्शन डे का तरीका कॉकस जैसा
इलेक्शन डे के मतदान का तरीका भी कॉकस के जैसा ही है. जैसे वहां डेलिगेट चुने जाते हैं ठीक वैसे ही इलेक्शन डे में इलेक्टर्स चुने जाते हैं. इसे इलेक्टोरल कोलाज कहा जाता है, यानी ऐसा समूह, जिसे अमेरिकी जनता चुनती है और फिर वो राष्ट्रपति की जीत का ऐलान करते हैं.
10. इलेक्टोरल कोलाज में 538 सदस्य
अमेरिकी इलेक्टोरल कोलाज में 538 इलेक्टर्स होते हैं. दरअसल, ये संख्या अमेरिका के दोनों सदनों की संख्या का जोड़ है. अमेरिकी सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स यानी प्रतिनिधि सभा और सीनेट का जोड़ है. प्रतिनिधि सभा में 435 सदस्य होते हैं, जबकि सीनेट में 100 सांसद. इन दोनों सदनों को मिलाकर संख्या होती है 535. अब इसमें 3 सदस्य और जोड़ दीजिए और ये तीन सदस्य आते हैं अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से. इस तरह कुल 538 इलेक्टर्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनते हैं.
11. जादुई आंकड़े की चाह
अमेरिका की जनता अपने-अपने उम्मीदवार के समर्थन वाले इलेक्टर्स के पक्ष में मतदान करेगी. राष्ट्रपति की जीत के लिए 270 का जादुई आंकड़ा चाहिए होता है. अमेरिकी मतदाता जब वोट देने जाएंगे, तो उन्हें जो बैलेट पेपर यानी मतपत्र मिलेगा, उस पर रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के इलेक्टर्स को वोट देने का विकल्प होगा.
12. आखिरी पड़ाव
जब जनता जब वोट कर देगी, तो फिर सभी 538 इलेक्टर्स बैठेंगे और अपने अपने क्षेत्र के वोटरों के फैसले के अनुसार वे उम्मीदवार के पक्ष में वोट देंगे. जिसे भी 270 से ज्यादा वोट मिलेंगे, वही अमेरिकी राष्ट्रपति चुन लिया जाएगा.
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