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ट्रेड वॉर:अमेरिका-चीन समझौते को राजी, दुनिया ने ली राहत की सांस 

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और चीन की अर्थव्यवस्था के धीमेपन ने ट्रंप और जिनपिंग को ट्रेड वॉर रोकने को मजबूर किया 

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पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की वजह बन गई चीन और अमेरिका की ट्रेड वॉर अब थम सकती है. अमेरिका और चीन ने कहा है कि दोनों देश इस व्यापार युद्ध से पीछे हटने के लिए तैयार हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले एक साल से चल रही ट्रेड वॉर को खत्म करने का संदेश देते हुए कहा कि चीन के साथ हमारे संबंध पटरी पर आ गए हैं. वहीं चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के हवाले से कहा गया है कि दोनों देश फिलहाल ट्रेड वॉर को रोकने पर राजी हो गए हैं.

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जिनपिंग का ऐलान,अमेरिका फिलहाल ट्रेड वॉर रोकने को राजी

ट्रेड वॉर को रोकने लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओसाका (जापान) में G-20 की बैठक से इतर बातचीत चल रही थी. इस बातचीत के बाद शनिवार को जिनपिंग ने कहा कि अमेरिका ट्रेड वॉर को धीमा करने पर राजी हो गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले दिनों चीन के 300 अरब डॉलर के सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया था. इसके पहले वह 250 अरब डॉलर के चीनी सामानों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान कर चुके थे. इससे चीन से आने वाला लगभग हर सामान हाई टैरिफ के दायरे में आ गया था.

ट्रंप का कहना है कि चीन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बरबाद कर देना चाहता है. इसलिए उसके सामानों पर हाई टैरिफ जरूरी था. चीन ने भी अमेरिका की इस कार्रवाई के जवाब में 60 अरब डॉलर के सामानों पर टैरिफ बढ़ा दिया था. दोनों के बीच सुलह के लिए कई दौर की बातचीत चली लेकिन तनाव कम करने में कामयाबी नहीं मिली.

चीन के सामानों पर हाई टैरिफ की वजह से ट्रंप को घरेलू मोर्चे पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ट्रेड वॉर से अमेरिकी किसान और उद्योग दोनों चिंतित हैं.
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ट्रेड वॉर की वजह से घर में ही घिर गए थे ट्रंप

अमेरिकी कार्रवाई के जवाब में चीन और भारत जैसे देशों की जवाबी कार्रवाई की वजह से अमेरिका के सोयाबीन और बादाम किसानों में भारी चिंता थी. महंगे आयात ने अमेरिकी उद्योगों की मुश्किल बढ़ा दी है.

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अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में ट्रेड वॉर ट्रंप के लिए मुश्किल साबित हो सकती थी. इसलिए भी ट्रंप ने समझौते का रास्ता चुना.दूसरी ओर, चीन के लिए भी तनाव कम करना जरूरी है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है. चीनी अर्थव्यवस्था का काफी दारोमदार इसके निर्यात पर है.

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