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महाभियोग ट्रायल में ट्रंप बरी, लेकिन अभी कम नहीं हैं चुनौतियां 

महाभियोग ट्रायल की वोटिंग में ट्रंप के खिलाफ गए उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के 7 सीनेटर

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को सीनेट ने उनके दूसरे इम्पीचमेंट ट्रायल (impeachment trial) में बरी कर दिया है. ट्रंप पर 6 जनवरी के कैपिटल बिल्डिंग हिंसा मामले में 'विद्रोह भड़काने' का आरोप था.

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100 सदस्यीय सीनेट में ट्रंप को दोषी साबित करने के लिए दो-तिहाई वोट (67) की जरूरत थी, लेकिन इसके पक्ष में 57 वोट ही पड़े. हालांकि, इस वोटिंग में ट्रंप की ही रिपब्लिकन पार्टी के 7 सीनेटर्स ने ट्रंप के खिलाफ वोट किया है.

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ट्रंप के भविष्य पर क्या होगा असर?

अगर ट्रंप को दोषी ठहराया जाता तो एक दूसरे वोट से उन्हें भविष्य में फेडरल ऑफिस के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता था. इसके लिए सामान्य बहुमत यानी (51 वोट) ही चाहिए होते. ऐसा होते ही न सिर्फ ट्रंप का राजनीतिक करियर भी लगभग खत्म हो जाता, बल्कि उनकी छवि पर एक बड़ा धब्बा लगने के साथ-साथ उनके बिजनेस पर भी बड़ा असर पड़ता.

एक तथ्य यह भी है कि ट्रंप को लेकर रिपब्लिकन पार्टी में एक खाई पैदा हुई है. सीनेट में शनिवार को हुई वोटिंग में यह बात साफ दिखी, जब ट्रंप को दोषी ठहराने के लिए 7 रिपब्लिकन उनके खिलाफ चले गए.

सोशल मीडिया पर सामने आए कैपिटल बिल्डिंग हिंसा मामले के वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग्स में सुना जा सकता है कि भीड़ ट्रंप प्रशासन में उपराष्ट्रपति रहे माइक पेंस को लेकर नारे लगा रही थी- ''हैंग माइक पेंस! हैंग माइक पेंस!'' मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप समर्थक इस भीड़ ने पेंस को इसलिए निशाने पर लिया क्योंकि उन्होंने चुनाव में धांधली के ट्रंप के आरोपों पर आगे कदम उठाने से इनकार कर दिया था. रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं के दिमाग में ये बात भी होगी.

ऐसे में अगर ट्रंप राजनीति में बने रहना चाहते हैं तो उनके सामने इस खाई को पाटने की बड़ी चुनौती होगी.

हालांकि, ट्रंप के लिए राहत की बात यह है कि अभी भी बड़ी संख्या में रिपब्लिकन उनके साथ हैं. सीनेट में 50 रिपब्लिकन में से 43 ने ट्रंप को बरी करने के लिए वोट किया. ज्यादातर रिपब्लिकन्स ने ट्रंप के इम्पीचमेंट ट्रायल को असंवैधानिक भी बताया.

ट्रंप के लिए नई मुसीबत पैदा कर सकते हैं हिंसा मामले के मुकदमे

कैपिटल बिल्डिंग हिंसा मामले को लेकर ट्रंप भले ही इम्पीचमेंट ट्रायल में बरी हो गए हों, लेकिन अमेरिका की अदालतें उनकी मुसीबत बढ़ा सकती हैं. बता दें कि 6 जनवरी को कैपिटल बिल्डिंग में ‘ट्रंप समर्थकों’ ने उस वक्त बवाल किया था, जब अमेरिकी संसद के दोनों सदन राष्ट्रपति चुनाव के इलेक्टोरल कॉलेज रिजल्ट्स को सर्टिफाई करने के लिए ज्वाइंट सेशन के तहत मिले थे. यह घटना ऐसे वक्त में हुई थी, जब ट्रंप लगातार राष्ट्रपति चुनाव में धांधली का दावा कर रहे थे.

सीएनएन के मुताबिक, कैपिटल बिल्डिंग हिंसा मामले में अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों में दंगाइयों के खिलाफ सैकड़ों मुकदमे चल रहे हैं. इन मुकदमों की सुनवाई में ट्रंप की भूमिका का जिक्र भी आया है.

जैसे एक मामले में फेडरल प्रोसीक्यूटर्स ने आरोप लगाया है कि ओथ कीपर मिलिशिया ग्रुप की सदस्य जेसिका वाटकिन्स (कैपिटल बिल्डिंग हिंसा मामले में आरोपी) ने ट्रंप के निर्देश का इंतजार किया था.

जॉर्जिया में प्रोसीक्यूटर्स ने चुनाव के नतीजे प्रभावित करने की ट्रंप की कथित कोशिश के मामले में आपराधिक जांच शुरू की है. भले ही ये मामले ट्रंप को फेडरल ऑफिस से न रोक सकें, लेकिन इनसे अपनी छवि को साफ निकालना ट्रंप के लिए बड़ी चुनौती होगी.

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