भारत के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और 'प्रस्तावित' राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) पर चिंताओं के बीच संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि जब किसी नागरिकता कानून में बदलाव होता है तो किसी की नागरिकता न जाए, इसके लिए सबकुछ करना जरूरी है.
पाकिस्तान की तीन दिन की यात्रा पर आए गुतारेस से जब एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या वह भारत में नए कानूनों को लेकर चिंतित हैं तो उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर तौर पर हूं क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें संयुक्त राष्ट्र की संबंधित इकाई ज्यादा सक्रिय है.’’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने डॉन न्यूज टीवी से कहा, ‘‘शरणार्थियों के लिए वर्तमान उच्चायुक्त इस स्थिति को लेकर काफी सक्रिय हैं. क्योंकि इस तरह के कानूनों से नागरिकता जाने का खतरा पैदा होता है.’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘जब किसी नागरिकता कानून में बदलाव किया जाता है तो यह ख्याल रखना निहायत जरूरी है कि किसी की नागरिकता नहीं जाए.’’
बता दें कि भारत सरकार का कहना है कि CAA उसका आंतरिक मामला है और इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों में उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को संरक्षण प्रदान करना है.
गुतारेस ने कश्मीर को लेकर कहा कि कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त की दो रिपोर्टों ने वहां के घटनाक्रम को स्पष्ट रूप से बयां करने में अहम भूमिका निभाई है और जरूरी है कि इन रिपोर्ट को गंभीरता से लिया जाए.
गुतारेस ने रविवार को इस्लामाबाद में कहा कि वह कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित हैं और लंबे समय से अटके मुद्दे के समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार हैं.
भारत ने उनकी पेशकश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस वास्तविक मुद्दे पर ध्यान देना है, वो है कि पाकिस्तान द्वारा अवैध तरीके से और जबरन कब्जाए गए क्षेत्रों को खाली कराया जाए. विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में कहा था, ‘‘भारत के रुख में बदलाव नहीं हुआ है. जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा.’’ उसने कहा, ‘‘अगर बाकी मुद्दे हैं तो उन पर द्विपक्षीय तरीके से बातचीत होगी. तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है.’’
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)