अमेरिका के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि चीन से जुड़े हैकर्स कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे संगठनों को निशाना बना रहे हैं. बीबीसी ने गुरुवार को एफबीआई के हवाले से कहा, "जांच एजेंसी ने वैक्सीन, इलाज और परीक्षण पर रिसर्च कर रहे अमेरिकी समूहों पर हैकिंग के प्रयासों को देखा है." अमेरिका लंबे समय से चीन की सरकार पर साइबर जासूसी का आरोप लगाता आया है और बीजिंग ने हमेशा इससे इनकार किया है.
कोरोना वायरस महामारी को लेकर दोनों देशों में तनाव बढ़ा है. दोनों देशों ने एक दूसरे पर कोविड-19 के प्रकोप को रोकने पर विफल रहने का आरोप लगाया है.
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, पूरी दुनिया में अब तक कुल 43 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं, जबकि महामारी की चपेट में आए अमेरिका के 83 हजार से अधिक लोग और चीन के 4 हजार 600 से ज्यादा व्यक्तियों को कोविड-19 संक्रमण के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी है.
फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन और होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट के एक डिविजन, साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी (सीआईएसए) ने बुधवार को एक संयुक्त चेतावनी जारी की. एफबीआई और सीआईएसए ने ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा, "कोविड-19 महामारी से निपटने में लगे हेल्थ केयर, फार्मास्यूटिकल और रिसर्च सेक्टर्स से जुड़े लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वे हैकर्स के प्रमुख लक्ष्य हैं."
उन्होंने कहा कि इस बात के सबूत है कि साइबर चोर कोरोना वायरस के इलाज पर सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा को पहचानने और अवैध रूप से प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, चीन साइबर-जासूसी के अमेरिकी आरोपों को हर बार की तरह नकार रहा है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने इसी हफ्ते की शुरुआत में कहा, "हम कोविड-19 महामारी के उपचार और वैक्सीन के रिसर्च में दुनिया का नेतृत्व कर रहे हैं. सबूत के अभाव में चीन के खिलाफ अफवाहों को बढ़ाना और निंदा करना अनैतिक है."
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