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शाहबाज शरीफ, बिलावल भुट्टो और मरियम नवाज- कौन हैं इमरान की कहानी के तीन विलेन?

विपक्ष के नेता और पूर्व पीएम नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं.

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इमरान खान (Imran Khan) अब पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री नहीं रहे. इमरान पहले ऐसे पीएम बन गए हैं, जिन्हें पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया है. अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कुल 174 वोट पड़े यानी दो वोटों के अंतर से इमरान खान को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा.

लेकिन इमरान की इस कहानी में ऐसे तीन रहे, जो उनके लिए सुपरविलेन साबित हुए. विपक्षी नेता शाहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif), बिलावल भुट्टो (Bilawal Bhutto) और मरियम नवाज (Maryam Nawaz), जी हां, यही वो तीन नाम हैं, जिन्होंने इमरान खान को हटाने में अहम भूमिका निभाई है.

कौन हैं शाहबाज शरीफ?

विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं. हाल ही में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पत्रकार ने उनसे पूछा कि अगले दो दिन में आप पीएम बनने वाले हैं, तब शाहबाज शरीफ ने उसे टोकते हुए कहा "दो दिन नहीं डेढ़ दिन में जनाब."

पाकिस्तान मुस्लिम लीग- एन (PML-N) के अध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ को पाकिस्तान के बाहर कोई खास प्रसिद्धी हासिल नहीं है लेकिन पाकिस्तान में उनका कद बड़ा है और वे एक अच्छे प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं.

70 वर्षीय शाहबाज नेशनल असेंबली में अगस्त 2018 से ही विपक्ष के नेता हैं. साथ ही इससे पहले वे तीन बार यानी सबसे लंबे कार्यकाल तक, पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

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शाहबाज शरीफ का राजनीतिक सफर

1988 में शाहबाज ने पंजाब प्रांत से चुनाव जीता था, लेकिन असेंबली भंग होने के कारण 1990 में फिर चुनाव हुए और शाहबाज को फिर जीत मिली थी. वे 1993 में वे एक बार फिर पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए और उन्हें विपक्ष का नेता भी चुना गया.

साल 1997 में पहली बार शाहबाज मुख्यमंत्री चुने गए. 1999 में जब पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट हुआ, तो शहबाज अपने परिवार के साथ सऊदी अरब चले गए, जहां उन्होंने कई साल बिताए. 2007 में वे फिर पाकिस्तान लौटे.

2008 में हुए आम चुनावों में प्रांत में पीएमएल-एन की जीत के बाद वह दूसरी बार पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री बने. इसी तरह 2013 में वे तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने.

जब उनके भाई नवाज शरीफ को पद से अयोग्य घोषित किया गया तब वे पीएमएल-एन के अध्यक्ष बने. 2018 के चुनावों के बाद उन्हें विपक्ष का नेता चुना गया. 28 मार्च 2022 को शाहबाज ने ही इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था.

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बिलावल भुट्टो

बिलावल भुट्टो जरदारी, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे हैं. दिसंबर 2007 में जब उनकी मां बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी उसके तीन दिन बाद, बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बने.

बिलावल के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के निर्वाचित प्रधानमंत्री थे. साल 1979 में मार्शल लॉ के तहत उन्हें फांसी दे दी गई थी.

पार्टी में दिग्गज भूमिका में रहने के बावजूद बिलावल ने अपना कद छोटा ही रखा और पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी इतिहास की डिग्री पूरी की. साल 2010 में पाकिस्तान लौटने के बाद पीपीपी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने तेजी दिखाई.

सितंबर, 1988 में बिलावल का जन्म हुआ, जिसके एक महीने बाद ही उनकी मां पहली बार प्रधानमंत्री चुनी गईं.

बिलावल का ज्यादातर जीवन पाकिस्तान के बाहर ही बीता है. साल 2010 के बाद से ही वे पाकिस्तान में ज्यादा सक्रिय हुए हैं.

बीबीसी लिखता है कि बिलावल उर्दू भाषा बोलते हैं, लेकिन उनकी पहली भाषा अंग्रेजी है. उनका उर्दू उच्चारण ठीक उसी तरह है, जैसे उनकी मां का है. लेकिन धारे-धीरे उन्हें लोगों तक पहुंचने में सफलता मिली है. 2018 में वह एक शानदार प्रचारक के रूप में उभरे हैं.

हाल में भुट्टो, इमरान खान को कुर्सी से हटाने में एक बड़ी भूमिका में नजर आए हैं. इमरान की सरकार गिरने के बाद बिलावल ने कहा, "पुराने पाकिस्तान में स्वागत है".

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इमरान खान के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर रहने वाली मरियम नवाज को जानिए

इमरान खान को कुर्सी से हटाने को मजबूर करने वाली तीसरी नेता मरियम नवाज हैं. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम हमेशा से राजनीति में सक्रिय नहीं थीं, उन्होंने 40 साल की उम्र में राजनीति में पहली बार कदम रखा.

साल 2012 में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाली मरियम ने 2013 में हुए आम चुनाव में अपने पिता नवाज शरीफ के चुनावी कैंपेन का नेतृत्व किया. 2013 में जब नवाज पीएम बने, तब मरियम ने पार्टी की यूथ विंग का नेतृत्व संभाला. फिलहाल मरियम पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.

मिल्स भ्रष्टाचार मामले में नवाज शरीफ के अलावा उनका नाम भी सामने आया, जिसके बाद मरियम को भी सजा हुई और चुनाव लड़ने पर दस साल तक की रोक भी लग गई. हालांकि, लाहौर हाईकोर्ट से मरियम को बेल मिल गई. जिसके बाद मरियम ने फिर पार्टी की कमान संभाली.

मरियम ने 2020 में इमरान खान के खिलाफ कई बड़ी रैलियों का नेतृत्व किया, इमरान के खिलाफ हमेशा मुखर रहते हुए, उन्होंने तत्कालीन सरकार के विरोध में माहौल तैयार करने में अहम भूमिका निभाई.

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