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Mikhail Gorbachev ने रूस को बदला, उनकी जिंदगी एक महिला ने बदली?

मिखाइल गोर्बाचेव का 30 अगस्त, 2022 को निधन हो गया. वे 91 साल के थे.

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जमाना था कोल्ड वॉर (Cold-War) का, यानी शीत युद्ध वाला टाइम और इस कोल्ड वॉर के अन्दर भी कई कोल्ड वॉर हो जाते थे. आइए आपको एक किस्सा सुनाते हैं. साल था 1987, एक रूसी महिला अपने पति के साथ अमेरिका(America) के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास वाइट हाउस आई. अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की पत्नी और उस वक्त अमेरिका की फर्स्ट लेडी नैंसी रीगन ने रूसी महिला को पूरा वाइट हाउस दिखाया और पूछा कैसा लगा? रूसी महिला का जवाब था. “अगर इंसानों की बात की जाए तो इंसान एक साधारण घर में रहना चाहेगा, एक रेगुलर हाउस में. ये तो एक अजायबघर जैसा है.”

इसके बाद नैंसी रीगन ने अपने संस्मरण ‘My Turn’ में लिखा-

“ये एक सभ्य जवाब नहीं था. खासकर एक ऐसी महिला की तरफ से जिसने कभी प्राइवेट लिविंग क्वार्टर्स देखे ही न हो”

नैंसी रीगन उस महिला पर और उस बहाने रूसियों पर तंज कर रही थी.

लेकिन अमेरिका की फर्स्ट लेडी को कोल्ड वॉर के दौर में भी वाइट हाउस को अजायबघर जैसा बताने वाली ये रूसी महिला कौन थी. ये थी राईसा गोर्बाचेव. राईसा सोवियत संघ के आखिरी लीडर मिखाइल गोर्बाचेव(Mikhail Gorbachev) की पत्नी थी.

मिखाइल गोर्बाचेव का 30 अगस्त, 2022 को निधन हो गया. वे 91 साल के थे. मिखाइल गोर्बाचेव के रहते हुए ही सोवियत संघ जिसे USSR-यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक्स भी कहा जाता है टूटा था. मिखाइल को ही दूसरे विश्व युद्ध के बाद विश्व के दो धड़ों अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शुरू हुए कोल्ड वॉर को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है. गोर्बाचेव का निधन मॉस्को के एक अस्पताल में हुआ, वे लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. मिखाइल गोर्बाचेव 1985 में USSR यानि सोवियत संघ के राष्ट्रपति चुने गए थे और साल 1991 में इसके बिखरने तक पद पर रहे. हालांकि माना जाता है सोवियत संघ के बिखरने से वो कभी खुश नहीं थे.

गोर्बाचेव ऐसे शख्स थे, जिन्हें पश्चिमी देशों में खूब सराहा गया. यहां तक कि उन्हें कोल्ड वॉर खत्म करने और अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के साथ परमाणु हथियार समझौता करने के लिए 1990 में नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला. लेकिन विडंबना कहें या नियति उनके अपने ही देश रूस में उन्हें कभी पसंद नहीं किया गया.
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1985 का सोवियत यूनियन

गोर्बाचेव जब राष्ट्रपति बने, तब सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था बिखर चुकी थी और राजनीतिक ढांचा भी तबाह हो रहा था. गोर्बाचेव सोवियत संघ को लोकतंत्र और निजी स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर ले जाना चाहते थे. इसके लिए गोर्बाचेव ने राजनीतिक-आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया शुरू की.

इसके लिए गोर्बाचेव दो नीतियां लेकर आए- पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्ट.

  1. पेरेस्त्रोइका- यानि सभी को काम करने की आजादी.

  2. ग्लासनोस्ट- यानि राजनीति और अर्थव्यवस्था में खुलापन, सबकी भागीदारी.

धीरे-धीरे लोगों में खुलापन आने लगा. लोग कारोबार करने लगे. संपत्ति खरीदने लगे. बाजार पर सरकार का नियंत्रण कम हुआ. गोर्बाचेव रूस की राजनीति और समाज को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे थे. लेकिन उनकी नीतियों की खुलकर विरोध भी हुआ, जिसकी आजादी खुद उन्होंने दी थी. धीरे धीरे गोर्बाचेव को लेकर लोगों का नजरिया बदलने लगा. खुद कम्युनिस्ट पार्टी में उनका विरोध हुआ.

25 दिसंबर 1991 को मिखाइल गोर्बाचेव ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति से इस्तीफा दे दिया और USSR के खात्मे से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए.

सच ये है कि आज हम जिस दुनिया में सांस लेते हैं उसमें गोर्बाचेव के लिए गए फैसलों की भी भूमिका है.

रूस के उदारवादी अर्थशास्त्री रुसलान ग्रिनबर्ग ने गोर्बाचेव को श्रद्धांजलि देते हुए कहा-

"गोर्बाचेव ने हमें तमाम तरह की आजादी दीं, लेकिन हमें नहीं मालूम था कि हम उन आजादियों का क्या करें"
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मिखाइल गोर्बाचेव और उनकी पत्नी मिस राईसा

मिखाइल गोर्बाचेव की जब बात होती है तो उनकी पत्नी राईसा का जिक्र कम ही होता है. उनका निधन 1999 में ही हो गया था. आज के रूस को बनाने में उनकी पत्नी का भी रोल था.

एक समय राईसा की राजनितिक कार्यक्रमों में भागीदारी और सभी विदेश दौरों में मिखाइल गोर्बाचेव के साथ ही रहने से रूस में ये चर्चा आम हो गई थी कि मिखाइल पर उनकी पत्नी का प्रभाव ज्यादा है. सत्ता मिखाइल नहीं बल्कि उनकी चालाक और सुन्दर पत्नी राईसा चला रही हैं.

राईसा टीवी के सामने बैठकर न केवल रूस के लीडर्स की वेशभूषा और शिष्टाचार के बारे में जीवंत चर्चा करती थीं, बल्कि शिखर सम्मेलनों में भी सक्रिय भागीदार होती थी. राईसा गोर्बाचोव ने सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने में रूसी महिलाओं की मदद की और उनके पति मिखाइल दुनिया के सामने सोवियत संघ की फर्स्ट लेडी को सामने लाने वाले पहले व्यक्ति बने.

मिखाइल हमेशा अपनी पत्नी को साथ रखते थे. उनके निधन के बाद उनके नाम से एक फाउंडेशन भी शुरू किया. और मिखाइल का ये व्यव्हार उनकी ग्लासनोस्ट नीति को भी दर्शाता है.

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