2 जनवरी, 2016 को सऊदी अरब ने शिया धर्मगुरु शेख निम्र अल निम्र के साथ 46 और लोगों को फांसी दे दी. पिछले साढ़े तीन दशक में पहली बार इस देश ने इतने बड़े पैमाने पर फांसी दी है. निम्र को दी गई फांसी के बाद ईरान में सऊदी अरब के राजनयिक केंद्रों पर भी हमले हुए, जिसके चलते पहले से तनाव में चल रहे दोनों देशों के राजनायिक संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं.
इन फांसियों की आंच ईरान तक ही नहीं, मध्य एशिया और उससे आग भी पहुंची है.
कौन है निम्र अल निम्र
पूर्वी सऊदी अरब के एक कस्बे के रहने वाले कथित तौर पर 50 साल के निम्र अल निम्र एक प्रमुख शिया धर्मगुरु थे. उन्होंने अपनी पढ़ाई ईरान और सीरिया में पूरी की थी और वे वंशवादी राजतंत्र की मुखालफत के लिए जाने जाते थे.
सऊदी अरब को निम्र पर गुस्सा क्यों आया?
निम्र सऊदी अरब के शासक परिवार के मुखर आलोचक थे. वे अपने उन तीखे उपदेशों के चलते सुर्खियों में आए, जब उन्होंने सऊदी अरब के शासक परिवार की खुली आलोचना की और शिया सशक्तिकरण की बात की.
इसके चलते युवा शियाओं में उन्हें काफी पसंद किया जाने लगा और फारस की खाड़ी की सरकार से भेदभाव का सामना कर रहे बहरीनी शिया युवाओं और पूर्वी सऊदी अरब के शिया युवाओं ने अरब स्प्रिंग के प्रभाव में आकर 2011 में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किए.
निम्र को फांसी क्यों दी गई?
सऊदी अधिकारियों ने निम्र को 2012 में गिरफ्तार किया, जब वे अरब स्प्रिंग से निपटने की कोशिश कर रहे थे. शेख को देशद्रोह जैसे आरोपों का सामना करना पड़ा और 2014 में उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई. न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, उनके समर्थकों ने कहा कि अपने तीखे बयानों और भाषणों को बावजूद उन्होंने हिंसा को कभी प्रोत्साहन नहीं दिया.
क्या भारतीय शिया भी नाराज हैं?
कश्मीर के शिया बहुल इलाकों में सेंकड़ों शिया युवाओं ने इस फांसी के विरोध में प्रदर्शन किया. श्रीनगर के सईदाकदल इलाके में शेख की तस्वीरों और काले झंडों के साथ उन्होंने कई घंटों तक प्रदर्शन किया. इस बीच पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं.
श्रीनगर के अलावा मध्य कश्मीर के शिया बहुसंख्यक बड़गांव जिले में भी इस तरह के प्रदर्शन हुए.
जम्मू में भी शिया फेडरेशन जम्मू प्रोविंस के अयातुल्ला बकीर अल निम्र के श्रद्धांजलि देने के दौरान भी विरोध के सुर सुनाई दिए.
लखनऊ में इमाम-ए-जुमा, मौलाना कल्बे जव्वाद के नेतृत्व में पुराने शहर में रैली निकाली गई और सऊदी सरकार का पुतला भी जलाया गया.
इमाम-ए-जुमा, मौलाना कल्बे जव्वाद ने द क्विंट को बतायायह कोई शिया-सुन्नी मसला नहीं था. इस विरोध प्रदर्शन में शियाओं और सुन्नियों के अलावा हिंदू पंडित भी मौजूद थे.
सुन्नी धर्मगुरु मौलाना हसनैन बकाई ने कहा, “एक शिया नेता को सिर्फ इसलिए फांसी दे दी गई, क्योंकि वह अल्पसंख्यकों के हक के लिए आवाज उठा रहा था और आतंक को पनाह देने वाली सऊदी सरकार का विरोध कर रहा था.”
इस बीच ईरान में सऊदी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन हुए और दूतावास की इमारत को आग लगा दी गई. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खुमैनी ने सऊदी सरकार को चेतावनी दी कि उनके इस कृत्य के लिए उन्हें ‘दैवीय’ दंड मिलेगा. रियाद ने इसका जवाब देते हुए तेहरान से अपने राजनायित संबंध खत्म कर दिए.
अयातुल्ला सैयद अली खुमैनी, सर्वोच्च नेता, ईरानबेशक नाइंसाफी से बहाया गया इस निर्दोष शहीद का खून अपना असर दिखाएगा और जल्दी ही सऊदी नेताओं को खुदाई इंतकाम का सामना करना होगा
भारत के शिया और सुन्नी
बीबीसी के मुताबिक, ईरान के बाद सबसे ज्यादा शियाओं की आबादी भारत में है. Pew रिसर्च के मुताबिक, 2009 में भारत में 16 से 24 मिलियन शिया मुसलमान थे, जो कि भारत की कुल मुसलमान जनसंख्या का 10-15 फीसदी हिस्सा भर हैं.
सुन्नी करीब 180 मिलियन जनसंख्या के साथ भारत के मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा हैं और मुसलमान परंपराओं और संस्थानों पर उन्हीं का कब्जा है. पर उदाहरण के लिए बीजेपी का सबसे बड़ा मुसलमान चेहरा, पार्टी के उपाध्यक्ष और संसदीय कार्यमंत्री मुख्तार अब्बार नकवी एक शिया मुसलमान हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)