ADVERTISEMENTREMOVE AD

मजदूरों को पैदल चलने की बजाय ट्रेन का इंतजार करना चाहिए- केंद्र 

कोर्ट ने कहा कि मजदूरों की आवाजाही को रोकना या मॉनिटर करना उसके लिए मुमकिन नहीं है

Published
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

कोरोना वायरस की वजह से मार्च से लागू लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों का पैदल घर लौटना जारी है. रोजाना मीलों मील चलते हुए मजदूरों की तस्वीरें सामने आ रही हैं. ऐसे में प्रवासी मजदूरों को राहत दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी. 15 मई को सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मजदूरों की आवाजाही को रोकना या मॉनिटर करना उसके लिए मुमकिन नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से पैदल घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों की पहचान करने के निर्देश दे. याचिकाकर्ता की मांग थी कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट इन मजदूरों को शेल्टर और खाना-पीना उपलब्ध कराएं. इसके बाद घर तक के लिए मुफ्त यात्रा का इंतजाम किया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस एल नागेश्वरा राव की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की. जस्टिस राव के अलावा बेंच में जस्टिस एस के कॉल और बीआर गवई मौजूद थे. बेंच ने मजदूरों की आवाजाही पर कहा कि 'कोर्ट इसे कैसे रोक सकता है.'

बेंच ने कहा कि वो इस याचिका पर सुनवाई की इच्छुक नहीं है. कोर्ट का कहना था कि इन मामलों पर राज्यों को एक्शन लेना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि मजदूरों की आवाजाही को रोकना या मॉनिटर करना उसके लिए मुमकिन नहीं है.  
0

'प्रवासी मजदूरों को ट्रेन का इंतजार करना चाहिए'

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जजों से कहा कि अधिकारी इस मामले में कुछ नहीं सकते क्योंकि मजदूरों ने ट्रेनों का इंतजार नहीं किया.

बार एंड बेंच के मुताबिक मेहता ने कहा, "राज्य इंटर-स्टेट ट्रांसपोर्ट का इंतजाम किया है. लेकिन अगर लोग गुस्सा होकर पैदल ही चलना शुरू कर देंगे और ट्रांसपोर्ट का इंतजार नहीं करेंगे, तो कुछ नहीं किया जा सकता."

क्विंट से बातचीत में याचिकाकर्ता अलख अलोक श्रीवास्तव ने पुष्टि की है कि सॉलिसिटर जनरल ने यही कहा था.  

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने कोर्ट से कहा कि सरकार सिर्फ लोगों से पैदल न जाने को कह सकती है, उन्हें बलपूर्वक रोकना ठीक नहीं होगा. लाइव लॉ के मुताबिक तुषार मेहता ने कहा, "प्रवासी अपनी बारी का इंतजार नहीं कर रहे हैं और पैदल घर जा रहे हैं. उन्हें इंतजार करना चाहिए, न कि पैदल जाना चाहिए."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×