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दो धर्मो की शादी को लेकर इलाहाबाद HC का फैसला कितना अहम?

टरफेथ मैरिज को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक अहम फैसला आया है

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देश में पिछले कुछ दिनों से लव जिहाद के नाम पर काफी कुछ हो रहा है. लव जिहाद जैसे शब्द का बीजेपी नेताओं पर सबसे ज्यादा असर हुआ है. यहां तक कि अब बीजेपी शासित राज्यों में इसके खिलाफ कानून बनाने की होड़ लग चुकी है. बीजेपी के मुख्यमंत्री लगातार डंके की चोट पर धमकी भरे अंदाज में कानून का पाठ पढाते हुए दिखते हैं. लेकिन इसी बीच अब इंटरफेथ मैरिज को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक अहम फैसला आया है.

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इस फैसले के तहत कोर्ट ने 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट के एक प्रवाधान को अनिवार्य की बजाय वैकल्पिक बना दिया है. इस फैसले से दो अलग-अलग धर्मों के जोड़े के लिए शादी करना आसान हो जाएगा. ये फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कानून के इस नियम को किसी भी भारतीय नागरिक की निजता का हनन बताया है. अब कोर्ट के इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी ने इंटरफेथ मैरिज यानी कि दो अलग-अलग धर्म के लोगों के बीच होने वाली शादी के मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कानून के मुताबिक अगर दो अलग-अलग धर्म के लोग आपस में शादी करना चाहते हैं तो उन्हें स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत शादी करनी होती है. लेकिन इसके तहत सीधे शादी नहीं हो सकती है क्यों कि एक्ट के सेक्शन 5 के तहत शादी करने वाली दोनों पार्टियों को 30 दिन का पब्लिक नोटिस देना होता है. जिसे हाईकोर्ट ने वैकल्पिक कर दिया है.

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