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भारत के किसान-मजदूरों को किसका डर ज्यादा, कोरोना या गरीबी?

सुनिए CPR की मुक्ता नायक से जिन्होंने लॉकडाउन की वजह से दिल्ली में प्रवासी मज़दूरों के हालात पर एक रिसर्च की है. 

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जहां  सरकार कहती है 'सोशल डिस्टेंसिंग करो, यही एक तरीका है कोरोनावायरस को फैलने से रोकने का', वहीं ट्रकों में भर भर के लोग कर्फ्यू तोड़ के निकल गए हैं और दलील दे रहे हैं कि बीमारी से मरे ना मरें लेकिन ना गए तो भूख से मर जाएंगे. जान हथेली पर रखकर जैसे-तैसे तरीकों से अपने घरों के लिए निकले ये लोग दूसरों के लिए भी खतरा हैं. क्या रास्ते में इनके लिए कुछ इंतजाम हैं? सरकारों ने जो घोषणाएं की हैं वो उन मजदूरों तक पहुंचेंगी भी या नहीं? एक्सपर्ट्स की लगातार दलील है कि लॉकडाउन असरदार नहीं होगा अगर दिहाड़ी मजदूरों का खयाल ना रखा गया तो.

आज बिग स्टोरी में सुनिए सेंटर फॉर पालिसी एंड रिसर्च की मुक्ता नायक से जिन्होंने लॉकडाउन की वजह से दिल्ली में प्रवासी मजदूरों का क्या हाल है उस पर ग्राउंड रिपोर्ट की है.

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