करीब दो महीने से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन पर 26 जनवरी को 'हिंसा का दाग' लग गया. दिल्ली की सड़कों पर हिंसा, उन्माद, तोड़-फोड़, लाठी-डंडे सब कुछ चलता दिखा. ये हंगाम-बवाल तो 10-12 घंटे में खत्म हो गया लेकिन अब इससे जुड़ी कई तरह की बातें सामने आ रही हैं.
जैसे अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस आंदोलन का भविष्य क्या होने जा रहा है? दो संगठनों ने आंदोलन से अलग होने का ऐलान कर दिया है लेकिन इसमें पेच है, उसके बारे में आपको बताएंगे. साथ ही पुलिस ने कहा है कि किसानों ने धोखा किया है और दोषी नहीं बख्शे जाएंगे, कई FIR भी दर्ज कर ली गई हैं.
दिल्ली में किसान आंदोलन के हिंसक रुख लेने के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं.किसानों के आंदोलन से राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने खुद को अलग कर लिया है. राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के कन्वीनर वीएम सिंह ने इस बात का ऐलान किया है. हालांकि, वीएम सिंह संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य नहीं थे. वीएम सिंह पूर्व विधायक हैं और पीलीभीत में इनकी पकड़ है और ये All India Kisan Sangharsh Coordination Committee के भी कन्वीनर थे.
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