रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज
दुनिया में सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन तो कई होते हैं, लेकिन इनमें से ज्यादा प्रदर्शनों को सरकार समर्थक ताकतें नए-नए रूप देकर दबाने की कोशिश में जुटी रहती हैं. भारत में भी हर प्रदर्शन की तरह देश के अन्नदाता किसानों के प्रदर्शन को नए रंग देने की खूब कोशिश हुई और हो रही है. पिछले दिनों सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन को झूठा साबित करने के लिए कई तरह के प्रोपेगेंडा चलाए गए. ए्क्टर कंगना रनौत ने भी एक ऐसी ही फेक तस्वीर को शेयर किया था, जिसमें उन्होंने एक महिला किसान को शाहीन बाग की दादी बता दिया. हालांकि इसके बाद पंजाबी स्टार दिलजीत दोसांझ ने कंगना को जमकर आड़े हाथों लिया.
लेकिन ऐसी खबरें फैलाने में सिर्फ सोशल मीडिया की ही भूमिका नहीं है, बल्कि मेन स्ट्रीम मीडिया ने भी जमकर किसान आंदोलन को लेकर ऐसी खबरें चलाईं, जिनमें कभी इसे खालिस्तानी आतंकियों से जोड़कर बताया गया तो कभी विपक्ष का प्लांट किया गया आंदोलन करार दिया गया. इसीलिए कुछ किसानों ने मेनस्ट्रीम मीडिया का बायकॉट भी किया और सवाल पूछा कि वो ऐसी खबरें क्यों दिखाते हैं?
किसानों को ये पहले से ही पता था कि सरकार विरोधी हर आंदोलन की तरह उनके इस आंदोलन को भी नया अमलीजामा पहनाने का काम जरूर होगा. इसीलिए किसान नेताओं ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनके मंच पर कोई भी राजनीतिक दल का नेता नहीं आएगा. अब भारत बंद को लेकर भी किसानों ने कहा है कि नेताओं के समर्थन का तो वो स्वागत करते हैं, लेकिन उनसे गुजारिश है कि वो अपने झंडे घर पर ही छोड़कर आएं.
हम बात कर रहे थे, लोगों तक सूचना पहुंचाने वाले मीडिया की, कि कैसे उसने किसानों के इस आंदोलन में भी सेंध लगाने की कोशिश की. लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया का काम इस दौरान कई छोटे यूट्यूबर और सोशल मिडिया इन्फ्लुएंसर्स कर रहे हैं. आज इसी पर पॉडकास्ट में बात करेंगे.
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