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C-VOTER सर्वे बिहार: CM के तौर पर पहली पसंद, क्या हैं अहम मुद्दे

बिहार की जनता ने भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को बताया सबसे अहम मुद्दा

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बिहार चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है. चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार में 3 चरणों में चुनाव होगा और 28 अक्टूबर को पहली वोटिंग होगी. इसके अलावा 10 नवंबर को नतीजे भी सामने आ जाएंगे. लेकिन चुनाव की तरीखों के ऐलान के ठीक बाद अब सी- वोटर का एक सर्वे सामने आया है, जिसमें सीटों के गणित के साथ-साथ जनता के मन की बात को भी बताया गया है. इस सर्वे में लोगों से कई सवाल पूछे गए थे, जिनमें एक सवाल ये भी था कि सीएम के तौर पर उनकी पहली पसंद कौन है, साथ ही ये भी पूछा गया कि बिहार की जनता के लिए मौजूदा सबसे बड़े मुद्दे कौन से हैं.

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बिहार के लिए सबसे बेहतर सीएम

बिहार के लिए सबसे बेहतर सीएम के तौर पर ज्यादातर जनता ने इस बार भी नीतीश कुमार को ही चुना. सी-वोटर सर्वे में पूछा गया था कि बिहार के लिए सबसे बेहतर मुख्यमंत्री कौन हो सकता है? इस सवाल के जवाब में 30.9 फीसदी लोगों ने नीतीश कुमार को बेहतर सीएम बताया.

वहीं नीतीश के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को 15.4 फीसदी लोगों ने सीएम के तौर पर चुना. उनके बाद सुशील मोदी को 9.2%, लालू प्रसाद यादव को 8.3%, एलजेपी के रामविलास पासवान को 6.5%, गिरिराज सिंह को 6.2% और आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा को 5.1% लोगों ने बतौर सीएम बेहतर माना.
बिहार की जनता ने भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को बताया सबसे अहम मुद्दा
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बिहार को किन मुद्दों की दरकार

इसके बाद जनता के लिए एक सबसे अहम सवाल यही होता है कि वो आखिर किन मुद्दों पर वोटिंग करने जा रहे हैं. यानी कौन से वो मुद्दे हैं, जो उनके लिए मौजूदा समय में सबसे ज्यादा जरूरी हैं. इस सवाल के जवाब में बिहार के लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया.

बिहार की जनता ने भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को बताया सबसे अहम मुद्दा

कुल 25.1 फीसदी लोगों ने कहा कि राज्य में इस वक्त बेरोजगारी सबसे अहम मुद्दा है. इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार को बताया गया. कुल 19.3 फीसदी लोगों ने कहा कि सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार को खत्म करने की जरूरत है. तीसरे नंबर पर बिहार की जनता ने बिजली, पानी और सड़कों को जरूरी मुद्दा बताया. 13.3 फीसदी लोगों ने इन तीनों मुद्दों को बिहार के लिए जरूरी बताया. इसके अलावा-

  • हॉस्पिटलों के हालात और वहां दवाओं की कमी - 12.9%
  • शिक्षण संस्थानों की कमी - 9.5%
  • महिला सुरक्षा और लॉ एंड ऑर्डर - 7.7%
  • राज्य में बाढ़ को लेकर व्यवस्था - 2.6%
  • सीएए-एनआरसी जैसे राष्ट्रीय मुद्दे - 1.9%
  • अन्य मुद्दे- 7.7%

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