अमेरिकी चुनाव 3 नवंबर को होने जा रहे हैं. इससे पहले क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने पत्रकार अविनाश काला और अमेरिकी पोल एक्सपर्ट एंड्र्यू क्लास्टर से चुनाव संबंधित कई जरूरी सवालों पर बातचीत की. राष्ट्रपति पद की रेस की इस समय क्या स्थिति है, बैटलग्राउंड राज्य कौनसे हैं और ऐसे ही कई महत्वपूर्ण सवालों पर चर्चा की गई.
3 नवंबर को वोटर इलेक्टर्स का चुनाव करेंगे और फिर ये इलेक्टर्स 14 दिसंबर को डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन में से राष्ट्रपति को चुनेंगे.
अभी तक 10 मिलियन अमेरिकी वोटर राष्ट्रपति चुनाव के लिए अर्ली वोट कर चुके हैं. यूएस इलेक्शंस प्रोजेक्ट के इकट्ठा किए हुए डेटा के मुताबिक, ये आंकड़ा 2016 की अर्ली वोटिंग से कहीं ज्यादा है.
पत्रकार अविनाश काला ने कहा कि अमेरिका का चुनावी सिस्टम पुराना है.
जबकि अमेरिका में वोटिंग 15-18 दिन तक चलता है, फिर भी वोटर टर्नआउट ज्यादा नहीं होता. अमेरिकी लोग चुनावी प्रक्रिया से कनेक्ट महसूस करते हैं, लेकिन वो बुनियादी सवाल भी पूछते हैं कि लोगों की आवाज को प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिलता है. लोगों को इलेक्टोरल वोट पसंद नहीं है, वो कहते हैं कि अगर उनके इलाके से कोई और चुन लिया गया तो उनका वोट बेकार चला जाएगा.अविनाश काला
अविनाश ने कहा, "अमेरिका का वोटिंग सिस्टम अव्यवस्थित है."
ट्रंप की पॉपुलैरिटी पर बात करते हुए अविनाश काला कहते हैं, "लोग ट्रंप से रिलेट करते हैं और यही उनके बारे में एक अलग फैक्टर है. लोग कहते हैं कि ट्रंप उनकी तरह ही एक आउटसाइडर है, न कि पारंपरिक नेता."
काला का कहना है कि लोग ट्रंप को इकनॉमी के लिए अच्छा मानते हैं. उन्होंने कहा, “दो-तिहाई अमेरिकी वोटर मानते हैं कि अगर ट्रंप रहते हैं तो स्टॉक मार्केट ऊपर जाएगा. “
वहीं, एंड्र्यू क्लास्टर का मानना है कि स्टॉक मार्केट इतने जरूरी नहीं हैं. क्लास्टर ने कहा, "रिकॉर्ड हाई बेरोजगारी है, नौकरियां गई हैं, इनकम कम हो गई हैं, महीनों पहले दिया गया स्टिमुलस खत्म हो चुका है. अमेरिका में बहुत लोगों के पास नौकरी नहीं है और वो परेशान हैं, बेरोजगारी भत्ता नहीं मिल पा रहा है, अमेरिकियों की असल स्थिति स्टॉक मार्केट से अलग है."
चुनाव नतीजे के बारे में क्लास्टर ने कहा, "उम्मीद है कि बैटलग्राउंड राज्यों में मार्जिन इतना ज्यादा होगा कि नतीजे चुनाव की रात में ही पता चल जाएंगे."
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