सुप्रीम कोर्ट या फिर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखना किसी को भी मुश्किल में डाल सकता है. क्योंकि कोर्ट को लेकर किया गया ट्वीट कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के दायरे में भी आ सकता है. यानी अगर उस सोशल मीडिया पोस्ट से कोर्ट की अवमानना होती है तो पोस्ट करने वाले शख्स के खिलाफ तुरंत केस दर्ज हो सकता है. लेकिन इस सोशल मीडिया के दौर में आखिर ये कैसे तय किया जाए कि कौन सा पोस्ट कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के दायरे में आएगा और कौन सा नहीं.
कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट से जुड़ा एक मामला आजकल खूब चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ़ इण्डिया को लेकर ट्विटर पर पोस्ट करने के लिए जाने माने लॉयर और एक्टिविस्ट, प्रशांत भूषण पर कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट का केस दर्ज हो गया है. उन पर 11 साल पहले एक और कंटेम्प्ट केस दर्ज हुआ था, वो भी दोबारा सामने लाया गया है. दोनों अलग केस हैं जिनकी सुनवाई 4 और 5 अगस्त को तय हुई.
लेकिन सवाल ये है कि कंटेम्प्ट ऑफ़ कोर्ट यानी कोर्ट की अवमानना क्या होती है और किन हालात में ये माना जाता है कि यहां कंटेंप्ट हुआ है. साथ ही जानेंगे कि प्रशांत भूषण के ट्वीट में ऐसा क्या था, जिसे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट मान लिया गया. आज बिग स्टोरी में इसी मामले को लेकर बात करेंगे.
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