पीएम मोदी की राह पर चलते हुए सीएम योगी ने ऐलान किया है कि मेक इन इंडिया के तर्ज पर अब मेक इन यूपी का सपना साकार किया जाए. मुख्यमंत्री ऑफिस के ट्विटर हैंडल से मंगलवार रात आए एक ट्वीट में योगी आदित्यनाथ ने ये निर्देश दिए हैं.
योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार देर रात तक कैबिनेट और मंत्रियों के साथ बैठक की और मेक इन यूपी प्रोजेक्ट के लिए ढेर सारे निर्देश दिए.
मेक इन यूपी के लिए योगी के निर्देश
- स्टैंड-अप योजना के तहत बैंक शाखा एक अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थी और एक महिला उद्यमी को ऋण उपलब्ध कराने के लक्ष्य को शीघ्रता से पूरा किया जाए.
- प्रदेश के गांवों में बैंक शाखाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्यवाही की जाए.
- लोगों को बीमा योजनाओं की जानकारी देने और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए.
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के लिए विशेष लोन मेला आयोजित किए जाएं.
- लोगों को बैंक आसानी से ऋण दे.
- केन्द्र सरकार की योजनाओं से लिंक करते हुए योजनाएं बनायी जाएं और उनका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए.
मेक इन यूपी से किसे फायदा?
वाराणसी
सीएम योगी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पर खास ध्यान दे रहे हैं. हाल ही में उन्होंने वाराणसी के आला अधिकारियों की बैठक बुलाई थी, लेकिन उस मीटिंग में बिजली, पानी, साफ-सफाई, गंगा और सड़के के मुद्दे पर मंथन की गई. रोजगार और सिल्क उद्योग जैसे अहम मुद्दों पर बात नहीं हुई.
अब मेक इन यूपी के ऐलान के बाद वाराणसी में दम तोड़ता सिल्क कारोबार और बुनकरों की हालत में सुधार हो सकती है. अगर मेक इन इंडिया स्कीम को राज्य सरकार प्रभावशाली तरीके से लागू करती है तो बुनकरों को आसानी से लोन मिल पाएगा, छोटे कारोबारियों के लिए रास्ते खुल सकते हैं.
मेरठ
मेरठ ऐसा शहर है जहां 60 फीसदी स्पोर्ट्स गुड्स का कारोबार होता है. 35 फीसदी सिर्फ क्रिकेट गुड्स की मैन्युफैक्चरिंग होती है. भारत में 318 तरीके के खेलकूद उत्पाद मैन्युफैक्चरिंग किए जाते हैं और इनमें 70 फीसदी क्रिकेट संबंधी उत्पाद होते हैं जो मरेठ में बनते हैं. यूपी का ये शहर स्पोर्ट्स गुड्स का निर्यात यूके, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े बाजारों में करता है. एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक भारत का स्पोर्ट्स गुड्स एक्सपोर्ट कारोबार 6 अरब यूएस डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
ऐसे में मेक इन यूपी इस उद्योग के लिए बूस्टर का काम कर सकता है. कारोबार के लिए आसान ऋण छोटे कारोबारियों की मदद कर सकता है. बशर्ते मेक इन यूपी, मेक इन इंडिया को सही मायने में जनता में पहुंचाए.
मुरादाबाद
पीतलनगरी मुरादाबाद का सालाना कारोबार तकरीबन 6,000 करोड़ रुपए का है. यहां से 50 फीसदी माल विदेश एक्सपोर्ट होता है. पीएम मोदी ने नोटबंदी का फैसला किया तो कई कारोबारियों ने भारी नुकसान की शिकायत की. अखिलेश सरकार में मेक इन इंडिया के फायदे पूरी तरह से यहां नहीं पहुंच सके.
अब योगी के मेक इन यूपी प्रोजेक्ट से मेक इन इंडिया स्कीम के तहत यहां के कारोबारियों को फायदा मिल सकता है, नोटबंदी के कारण उनके नुकसान की भरपाई हो सकती है. छोटे उद्योगों के लिए सॉफ्ट लोन, स्किल डेवेलपमेंट,उद्योग आधार मेमोरेंडम जैसे स्कीम्स के जरिए पीतल कारोबार को एक नई पहचान मिल सकती है.
भदोही
हाथ की जगह मशीनों ने ले ली और भदोही का वर्ल्ड फेमस कालीन कारोबार आहिस्ते- आहिस्ते घाटे का कारोबार बनता गया. कालीन निर्यात में भदोही-मिर्जापुर बेल्ट का हिस्सा 70-80 फीसदी से गिरकर 35-40 फीसदी ही रह गया है.
कारोबारी इंफ्रास्ट्रक्चर को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं, सीएम योगी के मेक इन यूपी प्लान से भदोही के कालीन कारोबार का काम आसान हो सकता है. बिजनेस के लिए लोन, एक्सपोर्ट के लिए विदेशी कारोबारियों से संपर्क के साथ-साथ कारोबार के नए एडवांस तरीकों के लिए भी मेक इन इंडिया स्कीम से मदद मिल सकती है.
अलीगढ़
तालानगरी अलीगढ़ मुगल राज से ही मशहूर है. लगभग एक लाख लोग यहां ताले के कारोबार में हैं. देश के 75 फीसदी ताले यहीं बनते हैं. सालाना तालों और ब्रास हार्डवेयर के एक्सपोर्ट से 210 करोड़ से ज्यादा की कमाई करने वाला अलीगढ़ के इस उद्योग में लगभग 6 हजार कॉटेज और मिडृ स्केल लॉक यूनिट हैं. लेकिन चीन, ताइवान, कोरिया की बाजार में एंट्री के बाद इस कारोबार पर बुरा असर पड़ा है. खासकर पिछले 10 साल में जिस तरह चीनी तालों ने बाजार पर कब्जा जमाया है उसकी वजह से छोटे ताला मेकर्स की दुकान बंद हो गई है.
अब आस है मेक इन यूपी प्लान से, छोटे कारोबारियों को पैसों की जरूरत है क्योंकि उन्होंने नई तकनीक को अपनाना है, ऐसे में मेक इन इंडिया और मेक इन यूपी से मदद मिल सकती है.
कानपुर
कानपुर की लेदर इंडस्ट्री अपनी क्वालिटी के लिए दुनिया भर में जानी जाती है. शहर में करीब 180 लेदर यूनिट हैं और सालाना टर्नओवर 3 हजार करोड़ का है. 2300 करोड़ के आसपास का माल तो देश से बाहर ही भेज दिया जाता है. लेकिन ये इंडस्ट्री बिजली, कच्चे चमड़े की सप्लाई और मजदूरों की कमी जैसी दिक्कतों का सामना कर रही है. साथ ही इस इंडस्ट्री को अब नए आइडिया, नए लेदर प्रोडक्ट्स डेवलप करने की जरूरत समझ में आ रही है.
ऐसे में मेक इन यूपी से आर्थिक मदद और बड़े प्लेटफॉर्म पर अवसर मिले तो शायद इस इंडस्ट्री का कारोबार फिर से फलने- फूलने लगे. साल 2009-10 में यहां फिनिश्ड लेदर प्रोडक्ट्स की बिक्री में 34 फीसदी और 2010-11 में 37 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी.
कन्नौज
देश दुनिया में अपने इत्र की खुशबू पहुंचाने वाले कन्नौज में इत्र की खुशबू अब फीकी पड़ती जा रही है. कारोबार मंदा है, लेकिन लोगों ने अभी भी इत्र बनाना ही अपना रोजगार बना रखा है. शहर के 80 फीसदी लोग इत्र के कारोबार से जुड़े है. 200 से ज्यादा फैक्ट्रियां है जहां बड़े पैमाने पर इत्र खाड़ी देशों में एक्सपोर्ट किया जाता है.
डिंपल यादव यहां से सांसद हैं, लेकिन इत्र बाजार को ग्लोबल बनाना उनके टॉप एजेंडे पर नहीं रहा. अब योगी सरकार मेक इन यूपी प्लान पर काम कर रही तो शायद मेक इन इंडिया से कन्नौज इत्र इंडस्ट्री को फायदा मिल जाए.
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